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पिंग-पोंग बॉल, गुब्बारों और बर्फ का इस्तेमाल... फिर भी 111 साल बाद भी बाहर क्यों नहीं आ सका Titanic?

15 अप्रैल 1912 को डूबे विशालकाय जहाज टाइटैनिक (Titanic) को 111 साल बाद भी समंदर से नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, इसे निकालने के लिए कई प्लान बनाए गए. वैज्ञानिकों ने कई कोशिशें कीं लेकिन फिर भी आज तक यह जहाज समंदर में ही है. चलिए जानते हैं क्यों इस जहाज को समंदर से बाहर नहीं निकाला गया...

111 साल से समंदर के अंदर पड़ा है टाइटैनिक का मलबा. 111 साल से समंदर के अंदर पड़ा है टाइटैनिक का मलबा.
तन्वी गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

पूरी धरती में 71 प्रतिशत पानी और 29 प्रतिशत स्थल भाग है. समंदर वाला भाग इतना विशाल है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. और इसी विशालकाय समंदर के नीच हजारों रहस्य हैं जिनके बारे में हमें पूरी तरह पता भी नहीं है. इन्ही सभी रहस्यों में से एक कहानी है टाइटैनिक जहाज (Titanic Ship) की.

टाइटैनिक जहाज को लेकर हमेशा से यही कहा जाता था कि वह कभी नहीं डूब सकता. लेकिन फिर भी वह डूब गया. 15 अप्रैल 1912, को यह विशालकाय जहाज डूबा था. इसके लगभग 73 साल बाद यानि 1985 में उसे ढूंढा गया. लेकिन उसे ढूंढने के 38 साल बाद भी इस जहाज को समंदर से बाहर नहीं निकाला जा सका है. आखिर ये जहाज समंदर से क्यों नहीं निकाला गया, चलिए जानते हैं विस्तार से...

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टाइटैनिक जहाज के डूब जाने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे ढूंढने की जी जान से कोशिश की. आखिरकार 1985 में अमेरिकी नेवी ऑफिसर और आर्कियोलॉजिस्ट रॉबर्ट बैलर्ड (Robert Ballard) अपनी टीम के साथ टाइटैनिक को ढूंढने के मिशन पर निकल पड़े. फिर उन्हें पता चला कि आखिरकार टाइटैनिक कहां और किस हाल में है.

जहाज को ढूंढने के बाद उसके कई रहस्यों के बारे में पता चला जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. Washington Post के मुताबिक, टाइटैनिक समंदर के 12, 000 फीट की गहराई में डूबा था. Titanic, The New Evidence की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जहाज डूबने से पहले सही सलामत था. लेकिन जैसे-जैसे टाइटैनिक समंदर की गहराई में समाता गया, यह दो हिस्सों में टूट गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, टाइटैनिक आइसबर्ग से टकराने के बाद नहीं डूबा था. जहाज में आग लगने के कारण यह डूबा था. खोजकर्ताओं को जब जहाज का यह मलबा मिला तो उन्होंने पाया कि जहाज में मौजूद कई चीजें वैसी की वैसी ही हैं. जहाज को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की गई. लेकिन वैज्ञानिक यह जान गए थे कि उसे बाहर निकाल पाना लगभग नामुमकिन है.

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दो हिस्सों में टूटकर डूबा था जहाज
आज की एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से भी टाइटैनिक को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है. और यह समंदर की गहराई में आज भी मौजूद है. आमतौर पर समंदर की गहराई में मौजूद चीजों को जिस तरह से बाहर निकाला जाता है, टाइटैनिक को उस तरह बाहर निकाल पाना संभव नहीं है. क्योंकि यह दो हिस्सों में टूटकर डूबा था.

लेकिन हाइटेक सबमरीन और पॉवरफुर मैगनेटिक टेक्नोलॉजी की मदद से शायद उसे बाहर निकालने की कोशिश की जा सके. पर इन कामों में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. जिसमें से सबसे बड़ा कारण है टाइटैनिक का वजन. इसका वजन करीब 46, 000 टन है. जो कि बहुत ज्यादा है.

दूसरा कारण है पानी का दबाव, जो जहाज के वजन को कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है. टाइटैनिक जिस जगह डूबी थी उसकी गहराई बहुत ज्यादा है. वहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है. समुद्र की गहराई में तापमान भी 1 डिग्री सेल्सियस है. इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए किसी इंसान का इतनी गहराई में जाना और फिर वापस लौट कर आना बहुत जोखिम भरा होता है.

ऐसे में यहां से मलबे को निकाल कर लाना तो बहुत ही दूर की बात है. समुद्र की गहराई में 4 किलोमीटर नीचे पड़े मलबे को विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए बाहर निकालना लगभग नामुमकिन है. वैज्ञानिक भी इतनी पॉवरफुल सबमरीन नहीं बना पाए हैं जो इतने विशालकाय जहाज को आसानी से ऊपर ला सके.

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पिंग-पोंग बॉल से बाहर निकालने की तरकीब
Daily Mail के मुताबिक, शुरुआत में वैज्ञानिकों का इस जहाज को बाहर निकालने का कोई प्लान नहीं था. लेकिन फिर उन्होंने कुछ तरीकों के जरिए टाइटैनिक को बाहर निकालने का प्लान बनाया. इनमें से पहला प्रयोग था, पिंग-पोंग बॉल के जरिए जहाज को बाहर निकालना. वैज्ञानिकों ने तरकीब लगाई कि वे टाइटैनिक जहाज में पिंग-पोंग बॉल भर देंगे. ताकि यह सभी बॉल ऊपर की तरफ दबाव डालें फिर ऐसे करके सबमरीन की मदद से जहाज को ऊपर खींच लेंगे.

लेकिन यह प्लान फ्लॉप हो गया. क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों ने यह तर्क दिया था कि पिंग-पोंग बॉल समुद्र की गहराई में जाते ही फट जाएंगे. इसके बाद एक और तरकीब सोची गई. यह थी बड़े-बड़े बैलून्स को टाइटैनिक में बांधकर उसमें हीलियम गैस भर देंगे. फिर इससे अपने आप जहाज ऊपर आ जाएगी. लेकिन यह प्लान भी फ्लॉप हो गया क्योंकि इतनी गहराई में जाकर लाखों बैलून्स में हीलियम गैस भर पाना असंभव था.

फिर वैज्ञानिकों ने तरकीब लगाई कि बर्फ की डेंसिटी पानी की तुलना में कम होती है और इसीलिए बर्फ पानी में तैरती है. उन्होंने सोचा कि अगर किसी तरह टाइटैनिक के पास के पानी को बर्फ में तब्दील कर दिया जाए तो ऐसे करने से जहाज पानी के ऊपर तक आ जाएगा. इस तरकीब का आइडिया था अमेरिका के इंजीनियर जॉन पियरे (John Pierre) का.

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एक के बाद एक सभी आइडिया फ्लॉप
उन्होंने अपनी रिसर्च में बताया कि इसके लिए अधिक मात्रा में लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत पड़ेगी. यह आइडिया बेशक कमाल का था. लेकिन ब्रिटिश गैस कंपनी (BOC) के मुताबिक, इसे अंजाम देने के लिए करीब आधे मिलियन टन लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत होगी. तब सबके मन में ख्याल आया कि इतनी मात्रा में नाइट्रोजन समंदर की गहराई तक ले जाना लगभग नामुमकिन है. ऐसे करके यह आइडिया भी फ्लॉप हो गया.

इसके बाद एक शिप बिल्डिंग कंपनी ने आइडिया दिया कि सबसे पहले टाइटैनिक पर जमी गंदगी और जंग को साफ करना पड़ेगा. इसके लिए एक पॉवरफुल वैक्यूम क्लीनर की जरूरत होगी. फिर टाइटैनिक को एक मोटी सी लोहे की जंजीर से बांधकर उसे एक सबमरीन से जोड़ना पड़ेगा. जिससे उसे ऊपर लाया जा सके.

लेकिन इस प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए 20 मिलियन किलोवाट बिजली की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन जिन वायर्स के जरिए बिजली यहां तक पहुंचाई जानी होगी उनके फटने की भी संभावना हो सकती है. इसलिए इस आइडिया को भी यहीं रोक दिया गया.

कई कंपनियों ने इसे बाहर लाने का प्लान आगे भी बनाया लेकिन इसे बाहर लाने में इतना खर्च है कि जिसकी भरपाई भी नहीं की जा सकती. भरपाई अगर होती भी है तो उसके लिए 100 साल से भी ज्यादा का समय लग सकता है. भले ही इस जहाज से लोगों के इमोशन्स जुड़े हैं. लेकिन कोई भी कंपनी इतना पैसा टाइटैनिक को बाहर निकालने के लिए नहीं लगाना चाहती. क्योंकि यह काफी रिस्क भरा हो सकता है.

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गल रहा टाइटैनिक का मलबा
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, टाइटैनिक का मलबा समुद्र में अब तेजी से गल रहा है. ऐसे में उसे बाहर निकाल कर भी कोई फायदा नहीं होगा. आने वाले 20 से 30 सालों में टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह गल जाएगा और समुद्र के पानी में घुल जाएगा. समुद्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया टाइटैनिक के लोहे को तेजी से खा रहे हैं, जिस वजह से उस में जंग लग रहा है. ये समुद्री बैक्टीरिया रोजाना लगभग 180 किलो मलवा खा जाते हैं. ऐसे में टाइटैनिक की उम्र अब ज्यादा नहीं बची है, इसलिए इसके मलबे को बाहर निकालना समझदारी नहीं होगी.

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