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जर्मनी में मिला 3000 साल पुराना कुआं, पूरी कर देता था लोगों की हर 'इच्छा'!

जर्मनी में एक ऐसा कुआं मिला है जिसे लोग अपनी इच्छा पूरी करने के लिए इस्तेमाल करते थे. ये कुआं लकड़ी से बना है और 3000 साल पुराना है. हजारों साल पुराना होने के बावजूद इस कुएं से जो सामान मिला है वो बहुत ही अच्छी तरह से संरक्षित है. जिसे देखखर पुरातत्वविद भी हैरान हैं.

3000 साल पुराना कुंआ, जिसमें इच्छा पूरी करने के लिए सामान रखा जाता था (Photo: The Bavarian State Office for Monument Protection) 3000 साल पुराना कुंआ, जिसमें इच्छा पूरी करने के लिए सामान रखा जाता था (Photo: The Bavarian State Office for Monument Protection)
aajtak.in
  • म्युनिक,
  • 16 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:30 PM IST

जर्मनी (Germany) के बवेरिया (Bavaria) में पुरातत्वविदों ने कांस्य युग (Bronze Age) के एक लकड़ी कुएं की खोज की है. ये कुआं सामान्य कुआं नहीं बल्कि इच्छा पूरी करने वाली कुआं (wishing well) है. कुआं 3,000 साल पुराना है और इसमें 100 से भी ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां पाई गई हैं. 

आपने इस तरह के कुओं के बारे में सुना ही होगा, जिसमें लोग सिक्का डालकर कोई विश मांगते हैं. भारत में माना जाता है कि नदियों, तालाबों या कुओं में सिक्का डालने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बवेरिया में भी रीति-रिवाज के चलते, ये कुआं बनाया गया था. 

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 कुएं में जो बर्तन मिले हैं वे अच्छी तरह से संरक्षित थे (Photo: The Bavarian State Office for Monument Protection)

इस कुएं से कई कलाकृतियां भी मिली हैं. इनमें 70 से ज्यादा अच्छी तरह से संरक्षित मिट्टी के बर्तन, कई सजावटी कटोरे, कप और बर्तन शामिल हैं. ये रोजमर्रा की क्रॉकरी नहीं थी, बल्कि इन्हें किसी खास आयोजन में ही इस्तेमाल किया जाता था. इसके अलावा भी पुरातत्वविदों को दो दर्जन से ज्यादा कांसे से बनी कपड़ों की पिन, एक कंगन, चार अम्बर मोती, दो धातु के स्पाइरल, एक जानवर का दांत और एक लकड़ी का स्कूप भी मिला है.

बवेरियन स्टेट ऑफिस फॉर मॉन्यूमेंट कंजर्वेशन के एक पुरातत्वविद् जोचेन हैबरस्ट्रोह (Jochen Haberstroh) का कहना है कि किसी कुएं के लिए 3,000 से से भी ज्यादा सालों तक टिके रहना बहुत दुर्लभ है. इस कुएं की लकड़ी की दीवारें जमीन पर पूरी तरह से संरक्षित हैं और ग्राउंड वाटर की वजह से नाम मात्र ही भीगी हैं. यही वजह है कि इसके अंदर जो कलाकृतियां मिली हैं वे सुरक्षित हैं. अब इनकी और ज्यादा बारीकी से जांच की जा रही है. जोचेन का कहना है कि उम्मीद है कि इन सामानों से हमें उस दौर के लोगों के दैनिक जीवन को समझने में मदद मिलेगी.

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 कुंए से मिले सामान की बारीकी से जांच की जा रही है (Photo: The Bavarian State Office for Monument Protection)

कलाकृतियां जितनी अच्छी तरह से संरक्षित हैं, उसके आधार पर, शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ग्रामीणों ने अपनी मान्यताओं के चलते इन चीजों को कुएं में नीचे रखा होगा, न कि ऊपर से फेंका होगा, जैसा कि आम तौर पर सिक्के को फेंका जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि अच्छी फसल के लिए वे इन सामानों को कुएं में रखा करते होंगे. 

 

जहां ये कुआं मिला है, वहां एक डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर बनाया जाना था, इससे पहले दिसंबर में वहां खुदाई की गई. 2021 से, पुरातत्वविदों ने कांस्य युग और शुरुआती मध्य युग की 13,500 से ज्यादा कलाकृतियों का पता लगाया है.

बवेरियन स्टेट ऑफिस फॉर मॉन्यूमेंट कंजर्वेशन के शोधकर्ता कुएं से मिले सामानों का अध्ययन कर रहे हैं. इस साल के अंत में, सामान को जर्मरिंग सिटी म्यूजियम ऑफ साइंस (Germering City Museum of Science) के संग्रह में रखा जाएगा. 

 

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