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दुनिया का पहला Made in China आर्कटिक भेड़िया, क्लोनिंग के 100 दिन बाद वीडियो जारी

चीन ने विलुप्त होने की कगार पर मौजूद आर्कटिक भेड़िये की सफल क्लोनिंग की है. भेड़िये का नया शावक अब 100 दिन का हो चुका है. इसकी क्लोनिंग करने वाली कंपनी ने अब इसका वीडियो जारी किया है. ऐसे जानवरों को बचाने के लिए क्लोनिंग एक सफल प्रक्रिया साबित हो सकती है.

ये है आर्कटिक भेड़िया माया. इसे चीन ने क्लोनिंग करके बनाया है ताकि इसकी प्रजाति बचाई जा सके. ये है आर्कटिक भेड़िया माया. इसे चीन ने क्लोनिंग करके बनाया है ताकि इसकी प्रजाति बचाई जा सके.
aajtak.in
  • बीजिंग,
  • 19 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:10 PM IST

आर्कटिक भेड़िये (Arctic Wolf) विलुप्त होने की कगार पर हैं. इन्हें बचाने के लिए चीन ने पहली बार आर्कटिक भेड़ियों की क्लोनिंग करके नया भेड़िया पैदा किया है. यह शावक अब 100 दिन का हो चुका है. बीजिंग में मौजूद जेनेटिक कंपनी साइनोजीन बायोटेक्नोलॉजी एंड हार्बिन पोलरलैंड ने इस भेड़िये की क्लोनिंग की है. इस कंपनी के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने कहा कि क्लोनिंग से हम दुनिया के दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जीवों को बचा सकते हैं. 

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10 जून 2022 को पैदा हुई थी आर्कटिक भेड़िया माया. अब जारी की गई तस्वीरें.

कंपनी के जनरल मैनेजर मी जिडोन्ग ने कहा कि विलुप्त होने वाली प्राणियों को बचाने के लिए हमने हार्बिन पोलरलैंड के साथ मिलकर साल 2020 में आर्कटिक भेड़िये की क्लोनिंग शुरू की थी. दो साल की मेहनत के बाद यह क्लोनिंग सफल हुई. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है. क्लोनिंग टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए आर्कटिक भेड़िये की क्लोनिंग एक मील का पत्थर है. क्योंकि ऐसे जीवों को संरक्षित रखने और इनकी प्रजाति बचाने के लिए जरूरी है. 

बीगल ब्रीड की कुतिया को बनाया गया था सरोगेट. 

इस आर्कटिक भेड़िये का जन्म 10 जून 2022 को हुआ है. इसका नाम माया (Maya) रखा गया है. इसकी सेहत अच्छी है. इसे बनाने के लिए डोनर सेल एक मादा आर्कटिक भेड़िये की त्वचा से लिया गया था. इसे कनाडा से हासिल किया गया था. इसके बाद अंडे एक मादा कुतिया से लिया गया. फिर इसे एक बीगल ब्रीड की कुतिया के गर्भ में सरोगेट कराया गया. इस भेड़िये को पैदा करने के लिए 137 नए भ्रूण तैयार करने पड़े थे. सात बीगल कुतियों के गर्भ में 85 भ्रूण को ट्रांसफर किया गया. जिनमें से सिर्फ एक ही भ्रूण विकसित हुआ. 

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बीगल का चयन इसलिए किया गया था क्योंकि आर्कटिक भेड़िये और उसका जेनेटिक्स कई मामलों में एक जैसा था. अगर किसी और कुत्ते का लेते तो शायद ये प्रोजेक्ट कभी सफल नहीं होता. चीन के सरकारी मीडिया संस्थान ग्लोबल टाइम्स में इसकी खबर प्रकाशित हुई है. 

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