
कफ सीरप (Cough Syrup) खांसी की दवा है. ये सबको पता है. पर क्या ये जानकारी है आपको कि सबसे पहले कफ सीरप यानी खांसी की पीने वाली दवा कब बनी. कहां बनी. किसने बनाई. क्या-क्या होता था उसमें. क्या उससे भी नींद आती थी. क्या उसे पीकर लोग नशे में रहते थे. इन सवालों के जवाब आपके इसी आर्टिकल में मिल जाएंगे. जिन्हें जानकर आपको हैरानी होगी.
जर्मनी में बना था सबसे पहला कफ सीरप
127 साल पहले जर्मन दवा कंपनी बेयर (Bayer) ने कफ सीरप को पहली बार बाजार में उतारा था. जिसे वो हेरोइन (Heroin) ब्रांड के नाम से बेचते थे. इस कफ सीरप को उसी टीम ने बनाया था, जिसने एस्प्रिन (Aspirin) दवा बनाई थी. लोगों को भरोसा था इस दवा पर. उसके पहले लोग खांसी ठीक करने के लिए अफीम (Opium) की मदद लेते थे. इससे साथ में शरीर पर दर्द में भी आराम मिलता था. क्योंकि अफीम शरीर में टूटकर मॉरफीन (Morphine) में बदल जाता था. आज भी जंग के मैदान पर जाने वाले जवानों को मॉरफीन की दवाएं या इंजेक्शन दी जाती हैं.
प्राचीन मिस्र में तो अफीम की मदद से कई तरह की बीमारियों को ठीक करने का प्रयास किया जाता था. यहां तक कि 1800 की सदी में अमेरिकी लोग कफ सीरप घर पर बनाते थे. उसमें अफीम मिलाते थे. 1895 में बेयर कंपनी को लगा कि वो हेरोइन कफ सीरप की मदद से लोगों की खांसी ठीक कर सकते हैं. साथ ही उन्हें नशा भी कम होगा. नींद भी कम आएगी. साथ दर्द, दमा, निमोनिया से भी राहत मिलेगी. असल में बेयर ने देखा कि मॉरफीन को ज्यादा देर तक उबालते रहो, तो उसमें से डाइएसिटिलमॉरफीन (diacetylmorphine) निकलता है.
डाइएसिटिलमॉरफीन से कई तरह के फायदे होते हैं. इसके बाद दवा का नाम हेरोइन रखा गया. ताकि लोग अफीम के असर वाली घरेलू या किसी हकीम के कफ सीरप के नींद वाले दुष्प्रभाव से बच सकें. हेरोइन का स्वागत खुली बांहों से किया गया. इससे उन लोगों को भी फायदा हो रहा था, जिन्हें ब्रॉन्काइटिस (Bronchitis) थी. टीबी थी. यहां तक कि खांसी संबंधी किसी भी तरह की बीमारियों में यह दवा लोगों को फायदा दे रही थी. लोगों को अफीम और कोकीन (Cocaine) वाली दवाओं से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर ने हेरोइन को देना शुरू कर दिया.
लेकिन 1899 में लोगों ने शिकायत की उन्हें हेरोइन की लत लग गई है. काफी विरोध होने लगे. तब जाकर 1913 में बेयर ने हेरोइन का उत्पादन बंद कर दिया. इसके बाद अमेरिकी सरकार ने उस कफ सीरप को 1924 में प्रतिबंधित कर दिया. ये तो हो गई सबसे पहले कफ सीरप की कहानी, जिसे किसी दवा कंपनी ने बोतलबंद करके बेचना शुरू किया था. उसी समय दूसरी एक दवा भी चल रही थी, जिसका नाम था वन नाइट कफ सीरप. इसमें तो कई सारी नशीली वस्तुएं मिली थीं.
हेरोइन बनने के बाद 1898 में एक और दवा आई थी. जिसका नाम था वन नाइट कफ सीरप (One Night Cough Syrup). ये खांसी की दवा थी या फिर नशे का पूरा पैकेज ये आप इसके इंग्रैडिएंट्स को पढ़कर समझ जाओगे. इस कफ सीरप में अल्कोहल, कैनाबिस, क्लोरोफॉर्म और मॉरफीन मिलाया जाता था. इस कफ सीरप का दावा था कि आपकी खांसी को यह एक रात में खत्म कर देगा. इसमें जो रसायन मिलाए गए थे. उनसे यह बात तो तय थी कि इंसान इसकी डोज लेते ही बेहोश हो जाता रहा होगा.
अब जानते हैं कि इससे पहले क्या था इलाज का तरीका...
कफ सीरप पहले कोई वैध-हकीम बनाते थे. जब कोई मरीज जाता था तो अलग-अलग चीजों को मिलाकर उन्हें कफ सीरप बनाकर दे देते थे. भारत में तो तुलसी, कालीमिर्च, अदरक, मुलेठी जैसे कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से इलाज होता था. लेकिन मिस्र, यूरोप, अमेरिका जैसे जगहों पर प्राचीन समय में खांसी की दवाओं में अफीम, मॉरफीन, हेरोइन, क्लोरोफॉर्म आदि का उपयोग किया जाता था. ये बातें पूरी दुनिया को पता है कि ये सभी नशीली वस्तुएं हैं. जिनकी आदत पड़ जाती है.
ऐसी नशीली वस्तुओं से किया जाने वाला इलाज सीधे दिमाग पर असर डालता है. इससे दर्द को महसूस करने वाला सिग्नल सिस्टम बाधित होता है. उस समय के लोगों को लगा था कि शायद इन दवाओं का असर दिमाग पर हो. दर्द की तरह खांसी के लिए भी दिमाग उसी तरह काम करे. सिग्नल सिस्टम को रोक दे. तो खांसी न आए. राहत महसूस हो. लेकिन इन नशीले पदार्थों से बने कफ सीरप के साथ दिक्कत ये थी कि इनकी ओवरडोज़ से इंसान मर भी जाता था.
आज के कफ सीरप में किस तरह के रसायन होते हैं?
आज तो कफ सीरप की भरमार है. कई दवा कंपनियां बनाती हैं. कफ सीरप में अब भी नशीले पदार्थ मिलते हैं. लेकिन अब दर्जनों कफ सीरप ऐसे आने लगे हैं, जिनसे नशा नहीं होता. वो उतनी नुकसानदेह नहीं होतीं. आज के कफ सीरप में डेक्स्ट्रोमेथॉरफैन (DXM) होता है. यह भी अफीम से बनाया गया रसायन है. इससे दर्द में आराम नहीं मिलता लेकिन खांसी कम होती है. ज्यादा डोज़ लेने पर आपको हेल्यूशिनेशन होता है. यानी आप इस रसायन के लत में पड़ सकते हैं.
दूसरा रसायन है प्रोमेथाजिन-कोडीन (Promethazine-codeine). इस रसायन से बनने वाली कफ सीरप आपको सिर्फ डॉक्टर की पर्ची से ही मिल सकती है. यह भी अफीम से निकाला गया रसायन है. यह खांसी को काफी कम करता है. लेकिन यह मॉरफीन और हेरोइन की तरह तीव्र नशीला नहीं है. कुछ लोग इससे बने कफ सीरप को अन्य दवाओं के साथ मिलाकर उससे नशा करते हैं. तीसरा रसायन है बेनजोनाटेट (Benzonatate). यह एक गैर-नशीला रसायन है. जिसे खांसी कम करने के लिए बेहतरीन माना जाता है. लेकिन इस रसायन से बनने वाले कफ सीरप भी बिना डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के नहीं मिलता है.