
दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो टेलिस्कोप दुनिया के दो महाद्वीपों पर बन रहा है. इसका नाम है द स्क्वायर किलोमीटर एरे ऑब्जरवेटरी (The Square Kilometer Array Observatory - SKAO). इसे बनाने की तैयारियां पिछले 30 साल से चल रही थी. आखिरकार अब इसकी शुरुआत हो चुकी है. इस टेलिस्कोप की मदद से अंतरिक्ष की गहराइयों, एलियन दुनिया, उनके सिग्नल, उनसे बातचीत का रास्ता खुल जाएगा.
इसके दो हिस्से हैं. पहला हिस्सा यानी SKA-Mid Array दक्षिण अफ्रीका के कारू रेगिस्तान (Karoo Desert) में बना रहा है. दूसरा हिस्सा यानी SKA-Low Array पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पर्थ से उत्तर दिशा में बन रहा है. इस टेलिस्कोप को बनाना आसान नहीं है. क्योंकि इसमें शामिल यंत्रों को बेहद खास कंपनियां ही बना सकती है. उन कंपनियों के सेलेक्शन में तीन दशक लग गए.
दक्षिण अफ्रीका में शिलान्यास के समय जारी बयान में कैथरीन सेसारस्की ने कहा कि SKA प्रोजेक्ट कई सालों के बाद अब शुरू हो चुका है. कैथरीन इस प्रोजेक्ट की प्रमुख हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक यंत्र है. दुनिया भर में 30 सालों की प्लानिंग और 18 महीने लगातार काम करने के बाद अब इसका काम शुरू हो पाया है. अब SKA टेलिस्कोप खड़ा होना शुरू हो चुका है.
कारू रेगिस्तान का SKA-Mid Array टेलिस्कोप अंतरिक्ष से आने वाले मिडल रेंज की 350 मेगाहर्ट्ज से 15.4 गीगाहर्ट्ज की रेडियो तरंगों को पकड़ेगा. यहां पर 194 एंटीना लगेंगे. हर एक व्यास 50 फीट होगा. ऑस्ट्रेलिया में लगने वाले SKA-Low Array में 131,072 डाइपोल एंटीना है. जो 50 से 350 मेगाहर्ट्ज की रेडियो तरंगों को पकड़ेंगे. इन तरंगों के जरिए नए ग्रहों, उल्कापिंडों, एलियन दुनिया की खोज हो पाएगी. क्योंकि ये तरंगे सामान्य रोशनी की तरंगों से ज्यादा गहरी और लंबी दूरी तक चलती है.
इन दोनों जगहों पर टेलिस्कोप तैनात होने के बाद ब्रह्मांड के सुदूर इलाकों तक इंसानों की पहुंच हो जाएगी. ब्रह्मांड की सरंचना और निर्माण को लेकर नए खुलासे होंगे. इन दोनों टेलिस्कोप के नाम से ही इसके बारे में पता चलता है. यानी इसका कुल क्षेत्रफल एक वर्ग किलोमीटर है. इतना बड़ा टेलिस्कोप पूरी दुनिया में नहीं है.