
दुनिया भर के लोग इस बात पर जोर डालते हैं कि दिमाग लगाकर सीखो. कई तो दिमाग के सहारे क्रिएटिविटी की हद कर देते हैं. कई उसका गलत इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सीखने के लिए दिमाग होना जरूरी नहीं. कम से कम इस जेलीफिश को तो नहीं. यह एक बॉक्स जेलीफिश जिसमें सीखने की काबिलियत बाकी सभी जीवों से पहले आई थी.
कैरिबियन मैन्ग्रूव फॉरेस्ट में अक्सर घूमती मिल जाती हैं ये बॉक्स जेलीफिश. शरीर लगभग पारदर्शी होता है. बॉक्स जेलीफिश बाकी जेलीफिश से अलग होती हैं. वजह है इनका ट्रांसपैरेंट शरीर. अंगूर के आकार का इनका अगला हिस्सा 24 आंखों वाला है. लेकिन इनके पास दिमाग नहीं होता.
ये अपने क्यूब आकार के शरीर को न्यूरॉन्स के नेटवर्क से संभालती हैं. इनके न्यूरॉन्स का नेटवर्क बेहद जटिल होता है. इसे लेकर करेंट बायोलॉजी जर्नल में वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट छापी है. जिसमें बताया है कि बॉक्स जेलीफिश की प्रजाति ट्राइपेडालिया सिस्टोफोरा (Tripedalia cystophora) बिना दिमाग के भी सीख सकती है.
बॉक्स जेलीफिश अन्य जीवों से एकदम अलग
बॉक्स जेलीफिश हमारे एनिमल किंगडम से अलग हैं. अगर इनकी ढंग से स्टडी की जाए तो यह पता चल जाएगा कि जीवों ने धरती पर सीखना कब से शुरू किया. क्योंकि जेलीफिश अरबों सालों से बिना दिमाग के ही सीखती आ रही हैं. कम से कम ये बॉक्स जेलीफिश तो ये करती ही है.
सीखने के लिए 24 आंखें, बड़ा नर्वस सिस्टम
वैज्ञानिकों ने इस जेलीफिश को कई चीजें दिखा कर सिखाईं. ये अपनी 24 आंखों के इस्तेमाल से सीखती है. आंखों को जो दिखता है, वो न्यूरॉन्स के नेटवर्क में जाकर प्रोसेस होता है. विजुअल प्रोसेसिंग के जरिए यह लैंडमार्क तय करके तैरती है. ट्राइपेडालिया सिस्टोफोरा का नर्वस सिस्टम कमाल का है. यह मछली भविष्य में ये जरूर बताएगी कि बिना दिमाग के सीखने की प्रक्रिया कैसे विकसित हुई.
देखकर समझती है शिकार या शिकारी
वैज्ञानिक अब इस मछली को अलग-अलग चीजें सिखाने का प्रयास कर रहे हैं. इतना ही नहीं यह सिर्फ देखकर अपने नर्वस सिस्टम के आधार पर समुद्र में अपने शिकार और शिकारी को देखती है. समझती है. शिकार करती है. हमले से बचती है. जैसे आपको पता है आग है तो गर्मी लगेगी. उसे भी इसी तरह के आभास होते हैं.
एसोसिएटिव लर्निंग कहते हैं बिना दिमाग सीखने को
इस तरह से सीखने को एसोसिएटिव लर्निंग (Associative Learning) कहते हैं. इस जेलीफिश की सीखने की ताकत देखने के लिए वैज्ञानिकों ने उसे एक ग्लास बॉक्स में डाला. उसमें मैन्ग्रूव की जड़े डाल दीं. साथ ही ग्रे रंग की पट्टियां ताकि वो अवरोध पैदा कर सके. साढ़े सात मिनट में जेलीफिश को ये समझ में आ गया कि पट्टियां सही नहीं हैं. इसके बाद उसने रास्ता बदल लिया. जड़ों की तरफ चली गईं.