दिल्ली यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि हॉस्टल में ज्यादातर लड़कियां इस त्योहार के मनाने अपने घर जरूर जाती थीं. जो नहीं जा पाती थीं वह इस त्योहार के गीत गाकर ही हॉस्टल को रौनक कर देती थीं. आज इतने सालों बाद भी इस त्योहार को लेकर मेरे अंदर वही उत्साह है.