पहले प्यार का मतलब अपने महबूब की इबादत होता था. प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटते थे. लेकिन अब दौर बदल चुका है आज आशिक दिल के टुकड़े पर नहीं रुकते बल्कि जिस मोहब्बत का दम भरते हैं, जिस मोहब्बत में जीने मरने की कसमें खाते हैं, उसी मोहब्बत के सीधे टुकड़े कर डालते हैं. जिसकी सच्चाई जब तब कभी ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड की शक्ल में हमारे सामने आती है.