ऐसा कहा जाता है कि तानाशाह हिटलर के सैनिक नशा करने के आदि थे। क्योंकि, उन पर अपने को बेहतर साबित करने का दबाव था. साथ ही लाखों हत्याओं के गिल्ट को भी दूर रखना था. ऐसे में मेथामफेटामाइन से बेहतर और सस्ता नशा उनके लिए दूसरा नहीं था.