केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अगर मुस्लिम महिला अपनी सहमति या मर्जी से पति को तलाक देती है या फिर किसी कारण से पति के साथ रहने से मना करती है या फिर सहमति से ही दोनों अलग-अलग रह रहे हों तो वो सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं है.