यह पहला मौका नहीं है, जब महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर आएगा. 1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है. लेकिन दोनों सदनों में पास नहीं हो सका.