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Commonwealth Games 2022: कुश्ती में क्या होती है रेपचेज प्रणाली? जिसने कॉमनवेल्थ में भारत को दिलाया मेडल

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है. रेसलर दिव्या काकरान ने रेपचेज के जरिए भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. कुश्ती मे रेपचेज नियम को लागू किया जाता है, ताकि खिलाड़ियों के साथ अन्याय न हो. ओलंपिक के कुश्ती इवेंट्स में पहली बार इसका बीजिंग (2008) में किया गया था. 

दिव्या काकरान दिव्या काकरान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:12 PM IST
  • दिव्या काकरान ने जीता था ब्रॉन्ज मेडल
  • दिव्या को क्वार्टर फाइनल में मिली थी हार

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है. शुक्रवार को भारतीय पहलवानों ने देश को छह मेडल दिलाए जिसमें तीन गोल्ड, एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल था. बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया और साक्षी मलिक ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया. वहीं अंशु मलिक सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहीं. जबकि दिव्या काकरान और मोहित ग्रेवाल ने कांस्य पदक जीता.

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दिव्या काकरान का मेडल जीतना काफी खास था क्योंकि वह 68 किग्रा फ्रीस्टाइल के क्वार्टरफाइनल में ही नाइजीरिया की ब्लेसिंग ओबोरूडुडू से तकनीकी श्रेष्ठता (0-11) के आधार पर हार गई थीं. बाद में ब्लेसिंग ओबोरूडुडू ने फाइनल में जगह बना लिया जिसके चलते दिव्या को रेपचेज खेलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने लगातार दो मैच जीतकर ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया. ऐसे में आपके मन में जरूर सवाल उठता होगा कि ये रेपचेज है क्या?

कुश्ती में रेपेचेज प्रणाली क्या है?

रेपेचेज शब्द फ्रांसीसी शब्द रेपेचर से लिया गया है, जिसका अर्थ है बचाव करना. कुश्ती इवेंट्स में रेपचेज ऐसी प्रणाली है, जो शुरुआती दौर में हारने वाले पहलवानों को वापसी का मौका देता है. कुश्ती में एक प्रतिभागी जो प्री-क्वार्टर फाइनल या बाद के राउंड में हार गया हो, उसे आगे प्रतिस्पर्धा करने और कांस्य पदक के लिए मुकाबला करने का एक और मौका मिलता है.

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हालांकि, इसकी अनुमति केवल तभी दी जाती है जब वे जिस पहलवान से हारे हैं, उसने फाइनल में जगह बनाई हो. इसे सरल शब्दों में कहें तो फाइनल में पहुंचने वाले दो पहलवानों ने जिन खिलाड़ियों को नॉकआउट दौर में हराया है, उन खिलाड़यों को रेपचेज राउंड के जरिए कांस्य पदक जीतने का मौका मिलता है.

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कुश्ती में अन्य खेलों की तरह पहलवानों के बीच मुकाबले का ड्रॉ उनकी रैंकिंग के मुताबिक नहीं होता है. टेनिस जैसे खेल में कभी दो टॉप रैंकिंग प्लेयर शुरुआती राउंड में आपस में नहीं भिड़ते. लेकिन कुश्ती में बहुत मौकों पर दो टॉप रैंक प्लेयर का शुरूआती रांउड में मुकाबला हो जाता है. इसीलिए कुश्ती मे रेपचेज नियम को लागू किया जाता है, ताकि खिलाड़ियों के साथ अन्याय न हो. ओलंपिक के कुश्ती इवेंट्स में पहली बार इसका बीजिंग ओलंपिक (2008) में किया गया था. 

रेपचेज ने दिलाए तीन ओलंपिक मेडल

रेपचेज नियम के तहत ओलंपिक में भारत को तीन मेडल हासिल हुए हैं. 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में सुशील कुमार को पहले ही राउंड में एंड्री स्टाडनिक ने हरा दिया था. स्टाडनिक के फाइनल में पहुंचने के चलते सुशील को रेपचेज रांउड खेलने का मौका मिला. ऐसे में उन्होंने पहले डग स्वाब और फिर दूसरे राउंड में अल्बर्ट बाटीरोव को मात दी. इसके बाद सुशील ने कांस्य पदक के मुकाबले में लियोनिड स्पिरिडोनोव को 3-1 से हराकर इतिहास रच दिया था.

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फिर लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त को प्री-क्वार्टर फाइनल में चार बार के विश्व चैंपियन पहलवान बेसिक कुदुकोव से हार झेलनी पड़ी. लेकिन योगेश्वर दत्त को हराने वाले रूसी पहलवान कुदुकोव फाइनल में पहुंच गए. इसके बाद रेपचेज राउंड में योगेश्वर दत्त को ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए लगातार तीन मैच जीतने थे.

रेपचेज के पहले राउंड में योगेश्वर ने प्यूर्तो रिको के पहलवान मातोज फ्रैंकलिन को आसानी से 3-0 से मात दी. फिर अगले राउंड में योगेश्वर ने ईरानी पहलवान मसूद इस्माइलपूरजोबरी को 3-1 से हरा फाइनल में जगह बनाई. इसके बाद योगेश्वर ने उत्तर कोरिया के जांग म्यांग री को मात देकर कांस्य पदक जीत लिया.

इसके बाद रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक को क्वार्टर फाइनल में रूस की वेलेरिया कोबलोवा ने हरा दिया था. बाद में कोबलोवा के फाइनल मुकाबले में पहुंचने के चलते साक्षी को रेपचेज खेलने का मौका मिला. साक्षी ने रेपचेज के पहले राउंड में मंगोलिया की ओरखोन पुरेवदोर्ज और दूसरे मुकाबले में किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा को मात देकर कांस्य पदक हासिल किया था. इस तरह साक्षी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं.


 

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