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क्रिकेट

Bharat Arun: निचले क्रम का बल्लेबाज, जिसके कोच बनते ही भारतीय बॉलिंग का डंका बजने लगा

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST
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भारत के क्रिकेट इतिहास को अगर खंगालेंगे तो पाएंगे कि अपने देश से हमेशा शानदार बल्लेबाज ही निकले हैं. सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे पुराने बड़े नाम हो या फिर सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे मौजूदा नाम है, हर पीढ़ी में दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में भारत के खिलाड़ियों का नाम शामिल रहा. लेकिन एक कमी रही वो थी तेज गेंदबाजों की, कपिल देव जैसे अपवाद को छोड़ दें तो बहुत कम ही ऐसे नाम हैं जिन्होंने फास्ट बॉलिंग की दुनिया में तहलका मचाया हो.  

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लेकिन अगर इतिहास के पीछे ना जाकर वर्तमान में झाकेंगे तो पिछले चार-पांच साल में ये सबकुछ पूरी तरह से बदल गया है. टेस्ट क्रिकेट में पिछले पांच साल में भारतीय टीम की बॉलिंग ने दुनियाभर में तहलका मचाया है. जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, ईशांत शर्मा, उमेश यादव समेत कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने भारतीय टेस्ट टीम की बॉलिंग की पूरी तरह से बदल दिया है. लेकिन इन खिलाड़ियों की मेहनत के पीछे एक शख्स का हाथ है, जिसका नाम है भरत अरुण. भरत अरुण का 14 दिसंबर को जन्मदिन होता है. 

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विजयवाड़ा में पैदा हुए भरत अरुण भी भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं. तब के आंध्र प्रदेश में पैदा हुए भरत अरुण ने अपना शुरुआती क्रिकेट तमिलनाडु के लिए खेला. मीडियम पेस बॉलिंग करने वाला एक बॉलर जो निचले क्रम में धुआंधार बल्लेबाजी भी कर लेता था, 20 साल की उम्र में तमिलनाडु के लिए फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेलने लगा. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भरत अरुण का रिकॉर्ड बेहतरीन रहा, साल 1986-87 के सीजन में वह रणजी ट्रॉफी जीतने वाली टीम का हिस्सा भी थे.

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डोमेस्टिक क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने की वजह से सेलेक्टर्स काफी खुश हुए और साल 1986 में श्रीलंका के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज के लिए भरत अरुण को बुला लिया गया. खैर, भरत अरुण का टेस्ट करियर सिर्फ दो मैच का ही है, जिसमें उन्होंने चार विकेट लिए हैं. वनडे और टेस्ट को मिला लें तो भरत अरुण ने भारत के लिए सिर्फ 6 ही मैच खेले हैं. लेकिन उनकी उड़ान कुछ और ही थी. 

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बतौर खिलाड़ी करियर के ढलान पर जाने के बाद भरत अरुण ने कोचिंग में हाथ आजमाया. वह तमिलनाडु रणजी टीम के कोच 2002 में बने और फिर 2006 तक उनके साथ ही रहे. भरत अरुण के कार्यकाल में दो बार तमिलनाडु की टीम फाइनल में पहुंची थी. तमिलनाडु की टीम के बाद भरत अरुण ने सीधे नेशनल क्रिकेट अकादमी में एंट्री मारी, जहां से सबकुछ बदल गया. 

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ये वो वक्त था जब टीम इंडिया की एक नई पेस बैटरी तैयार हो रही थी. जहीर खान, आशीष नेहरा, आरपी सिंह, इरफान पठान, एस. श्रीसंत जैसे फास्ट बॉलर उस वक्त टीम इंडिया के स्क्वॉड में शामिल थे. लेकिन भरत अरुण ने एनसीए के साथ मिलकर फास्ट बॉलिंग को ही तवज्जो देने का फैसला किया. खुद भरत अरुण फास्ट बॉलिंग के उस एरा से आते हैं, जब कपिल देव अपनी धमाकेदार बॉलिंग से दुनिया पर कहर बरपा रहे थे.

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NCA में रहते हुए भरत अरुण ने भारतीय बॉलिंग को निखारने का जिम्मा संभाला और रिसर्च शुरू कर दी. लेकिन बुरी बात ये रही कि भरत अरुण के उस प्लान को बीसीसीआई तब लागू नहीं कर सकी. लेकिन भरत अरुण ने सही वक्त का इंतजार किया. एनसीए के बाद वह आईपीएल में भी पंजाब किंग्स के साथ जुड़े. 

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भरत अरुण का असली वक्त तब आया, जब वह इंडिया-ए के साथ काम कर रहे थे. उसी वक्त रवि शास्त्री बतौर डायरेक्टर सीनियर टीम इंडिया के साथ जुड़े थे. भरत अरुण और रवि शास्त्री में पुरानी दोस्ती थी, जो काम आई. भरत अरुण के लिए रवि शास्त्री ने बीसीसीआई से बात की, काफी दिक्कतें आईं लेकिन रवि शास्त्री नहीं माने. आखिरकार भरत अरुण को टीम इंडिया का बॉलिंग कोच बनाया गया. 

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