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क्रिकेट

वाराणसी की गलियों से टीम इंडिया तक का सफर, आचरेकर भी हो गए थे सूर्यकुमार यादव के फैन

रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 21 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST
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सूर्यकुमार यादव को इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है. टीम में चुने जाने के बाद उनके घर में जश्न का माहौल है. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले सूर्यकुमार यादव के चाचा विनोद यादव के वाराणसी स्थित घर पर बधाइयों का तांता लग गया है. 

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गाजीपुर और वाराणसी से क्रिकेट का ककहरा सिखने वाले सूर्यकुमार यादव की प्रतिभा को बचपन में ही उनके चाचा और पहले गुरु विनोद यादव ने पहचाना था. वाराणसी की गलियों से मैदान तक का सफर उनके चाचा विनोद यादव ने ही पूरा कराया. क्रिकेट का बल्ला थामने से लेकर खेल की पहली शिक्षा विनोद यादव के ही घर की गलियों से हुई. 

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गाजीपुर के हथौड़ा गांव के रहने वाले सूर्यकुमार यादव के बचपन का काफी वक्त अपने चाचा के घर सिगरा स्थित नानक नगर कॉलोनी के मकान और वहां की गलियों में बीता है. विनोद यादव स्थानीय और कॉलेज स्तर के क्रिकेट प्लेयर भी रह चुके हैं. उन्होंने ही सूर्यकुमार यादव की बल्लेबाजी की प्रतिभा को पहचाना. सूर्यकुमार अपने चाचा को अपना सबसे पहला गुरु मानते हैं. 
 

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विनोद यादव बताते हैं कि वो सूर्यकुमार को बचपन में स्टेडियम लेकर जाया करते थे. सूर्यकुमार को क्रिकेट के प्रति हमेशा प्रेरित किया जाता रहा. सूर्यकुमार यादव की सफलता में सबसे ज्यादा उनके माता-पिता का योगदान है. 
 

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सूर्यकुमार के चाचा और पहले गुरु विनोद बताते हैं कि वो बचपन से ही क्रिकेट के प्रति रुझान रखता था. उसने अपना आदर्श हमेशा से सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को माना है. वो बताते हैं कि बचपन में सूर्य के प्रतिभा को उन्होंने तब जाना जब बॉल से चोट लगने के बावजूद वह और भी तेज बॉल की मांग करता था, जबकि उनके पिताजी डरते थे कि कहीं बच्चे को चोट ना लग जाए. 
 

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विनोद यादव ने बताया कि सूर्य ने कई ऐसे कीर्तिमान हासिल किए हैं जो अभी तक किसी क्रिकेट खिलाड़ी को नहीं मिला है. विनोद बताते हैं कि बचपन में मुंबई में एक अच्छे परफॉर्मेंस को देखते हुए सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर ने सूर्य को उनके पिताजी से मांगा था, लेकिन उनके पिताजी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि मेरा एक ही बेटा है. हालांकि, वो 10 वर्षों तक सूर्यकुमार को रमाकांत आचरेकर के अकेडमी क्रिकेट सीखाने के लिए खुद ड्राइवर बनकर गाड़ी चलाते हुए ले जाया करते थे.

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वहीं विनोद के बेटे और सूर्य के चचेरे छोटे भाई अश्विनी बताते हैं कि सूर्यकुमार की मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह इंडियन क्रिकेट टीम के सदस्य बन गए हैं. उम्मीद करते हैं कि वह ऐसे ही अपनी प्रतिभा दिखाते रहें, अच्छा खेलें और मैच जीता कर मैन ऑफ द मैच भी बने. अश्विनी आगे कहते हैं कि सूर्यकुमार युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा हैं. 

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