ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में खेले गए चौथे टेस्ट के आखिरी दिन ऐतिहासिक पारी खेल कर भारत को मैच और टेस्ट सीरीज में 2-1 से विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उनकी विकेटकीपिंग को लेकर अब भी सवाल उठ रहे हैं. टीम इंडिया के अनुभवी विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा ने शुक्रवार को कहा कि यह युवा खिलाड़ी धीरे-धीरे इसमें वैसे ही सुधार करेगा जैसे कोई बीजगणित (Algebra) सीखता है.
नेशनल टीम के टॉप विकेटकीपर माने जाने वाले ऋद्धिमान साहा ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पंत की साहसिक पारी के बाद उनके लिए टीम के दरवाजे बंद हो जाएंगे. वह अपना सर्वश्रेष्ठ करना जारी रखेंगे और चयन की माथापच्ची टीम प्रबंधन पर छोड़ देना चाहते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक सीरीज जीतने के बाद भारत लौटे साहा ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘आप पंत से पूछ सकते हैं, हमारा रिश्ता दोस्ताना है और हम दोनों प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने वालों की मदद करते हैं. व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है.’ पंत और अपने बीच की टक्कर को लेकर साहा ने कहा, ‘मैं इसे नंबर एक और दो के तौर पर नहीं देखता. जो अच्छा करेगा टीम में उसे मौका मिलेगा. मैं अपना काम करता रहूंगा. चयन मेरे हाथ में नहीं है, यह टीम मैनेजमेंट पर निर्भर करता है.’
साहा ने गाबा में मैच के पांचवें दिन नाबाद 89 रनों की पारी खेलने वाले पंत की तारीफ करते हुए कहा, ‘कोई भी पहली कक्षा में बीजगणित (Algebra) नहीं सीखता. आप हमेशा एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं. पंत अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है और निश्चित रूप से विकेटकीपिंग में सुधार करेगा. उसने हमेशा खुद को साबित किया है. लंबे समय के लिए यह भारतीय टीम के लिए अच्छा है.’
साहा ने कहा, ‘वनडे और टी-20 फॉर्मेट से बाहर होने के बाद पंत ने जो जज्बा दिखाया वह वास्तव में असाधारण है.’ ब्रिसबेन टेस्ट के बाद पंत की तुलना दिग्गज महेन्द्र सिंह धोनी से की जाने लगी है, लेकिन साहा ने कहा, ‘धोनी, धोनी ही रहेंगे और हर किसी की अपनी पहचान होती है.’
साहा एडिलेड में खेले गए डे नाइट टेस्ट की दोनों पारियों में महज 9 और 4 ही बना सके थे. इस दौरान भारतीय टीम दूसरी पारी में महज 36 रनों पर ऑलआउट हो गई थी और इसके बाद साहा को बाकी के तीन मैचों में मौका नहीं मिला.
इस 36 साल के विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, ‘कोई भी बुरे दौर से गुजर सकता है. एक पेशेवर खिलाड़ी हमेशा अच्छे और खराब प्रदर्शन को स्वीकार करता है, चाहे वह फॉर्म के साथ हो या फिर आलोचना के साथ.’
साहा ने कहा, ‘मैं रन बनाने में असफल रहा, इसीलिए पंत को मौका मिला. यह काफी सरल है. मैंने हमेशा अपनी स्किल में सुधार करने पर ध्यान दिया है और अपने करियर के बारे में कभी नहीं सोचा. जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब से मेरी सोच ऐसी है.’ साहा ने कहा कि एडिलेड में 36 रनों पर ऑलआउट होने और कई खिलाड़ियों के अनुभवहीन होने के बाद यह सीरीज जीतना ‘वर्ल्ड कप जीतने से कम नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं खेल नहीं रहा था (तीन मैचों में), फिर भी मैं हर पल का लुत्फ उठा रहा था.’
साहा ने कहा, ‘हमें 11 खिलाड़ियों को चुनने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में यह शानदार उपलब्धि है. जाहिर है यह हमारी सबसे बड़ी सीरीज जीत है. विराट कोहली की गैरमौजूदगी में टीम की कमान संभालने वाले अजिंक्य रहाणे के बारे में साहा ने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों में भी शांत रहने से उन्हें सफलता मिली.
साहा ने कहा, ‘वह शांति से अपना काम करते थे. विराट की तरह वह भी खिलाड़ियों पर भरोसा करते हैं. विराट के उलट वह ज्यादा जोश नहीं दिखाते. रहाणे को खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई करना आता है. यही उनकी सफलता का राज है.’