
1983 विश्व कप की जीत ने भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य बदल दिया था. पूरे टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने उम्मीदों के विपरीत प्रदर्शन कर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड तथा वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमों को धूल चटाते हुए विश्व चैम्पियन बनी थी. क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में मिली उस यादगार जीत को 38 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर आजतक ने उस वर्ल्ड कप जीत के सभी नायकों को एक मंच पर इकट्ठा किया. आइए जानते हैं विश्व विजेता सितारों के उस टूर्नामेंट से जुड़े यादगार अनुभवों के बारे में.
श्रीकांत का हनीमून रहा अधूरा
1983 विश्व कप में भारतीय टीम के खिताब जीतने की उम्मीद शायद ही किसी को रही होगी. ओपनर कृष्णमाचारी श्रीकांत भी लीग मैचों के बाद अमेरिका जाने की प्लानिंग कर चुके थे. श्रीकांत ने कहा, 'मुझे उम्मीद नहीं थी कि भारत वर्ल्ड कप जीतेगा. पहले लॉर्ड्स में सेमीफाइनल देखने का प्लान था. उसके बाद हनीमून के लिए अमेरिका जाने का इरादा था. क्योंकि मेरी नई-नई शादी हुई थी, इसलिए बीवी खुश हो जाती. बाद में वर्ल्ड कप जीतना किसी हनीमून से कम नहीं रहा.
वेंगसरकर को था इस बात का पछतावा
दिलीप वेंगसरकर को फाइनल मुकाबले में नहीं खेलने का पछतावा था. उन्होंने कहा, 'जरूर वह इवेंट ही ऐसा था. मैं फाइनल नहीं खेल सका, इसका मुझे दुख था. टीम अच्छा कर रही थी और हम विनिंग कॉम्बिनेशन को बदलना नहीं चाहते थे. आप कह सकते हैं कि यह अच्छा फैसला था. पूरे टूर्नामेंट में हमारी टीम ने बेहतरीन क्रिकेट खेला.
वो पारी देख मदन लाल रह गए थे हैरान
कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ टनब्रिज वेल्स में नाबाद 175 रनों की पारी खेली थी. मैच में एक समय भारत के 17 रनों पर पांच विकेट गिर चुके थे, लेकिन इस पारी ने मैच का पासा पलट दिया था. मदन लाल ने उस पारी को याद करते हुए कहा, 'मैं नॉन-स्ट्राइकर एंड से उनकी पारी का लुत्फ उठा रहा था. मैं, किरमानी और रोजर (बिन्नी) थोड़ी बहुत बैटिंग जानते थे. हम तीनों का काम था, विकेट पर खड़े रहकर उनका साथ देना. मैंने इतनी बढ़िया पारी कभी देखी नहीं. कपिल देव की यह पारी ओल्ड ट्रैफर्ड में विव रिचर्ड्स की पारी से भी बेहतर थी.