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83: जश्न मनाने के लिए टीम इंडिया के पास नहीं थी शैम्पेन, वेस्टइंडीज़ से लेनी पड़ी थी उधार

क्लाइव लॉयड ने एक अच्छे नेता की तरह कपिल को आश्वस्त किया कि वो कुछ देर में उनकी टीम से मिलने आयेंगे. और इसी वक़्त कपिल की नज़र वहां रखी शैम्पेन की बोतलों पर पड़ी. भारतीय ड्रेसिंग रूम फ़िलहाल सूखा था. कपिल को श्रीकांत, संधू, किरमानी और संदीप पाटिल की पसंद के बारे में ख़ूब मालूम था.

Kapil Dev (1983, Getty) Kapil Dev (1983, Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

साल 1983 में जून के महीने में वो हुआ था जिसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था. बीते दोनों विश्व कप जीत चुकी वेस्ट इंडीज़ टीम को हराकर लॉर्ड्स की बालकनी में भारतीय कप्तान कपिल देव ट्रॉफ़ी उठाये नज़र आये. ये एक ऐसी घटना थी जिसने सिर्फ़ भारतीय क्रिकेट को ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट को एक नयी दिशा दी और इस खेल कि तस्वीर बदलना शुरू हुई. 

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लगभग 4 दशक के बाद इस ऐतिहासिक जीत की पूरी कहानी बड़ी स्क्रीन पर लेकर आये हैं हैं कबीर खान. फ़िल्म का नाम है 83. कप्तान कपिल देव का किरदार निभाया है रणवीर सिंह ने. और इस फ़िल्म के चलते एक बार फिर उस जीत की कहानियों के बारे में लोगों के बीच बात हो रही थी. इसी क्रम में कहानी जानिये उस शैम्पेन की जो मंगवायी तो किसी और ने थी, लेकिन वो भारतीय ड्रेसिंग रूम में खोली गयी और नये-नवेले विश्व विजेताओं ने जश्न मनाया. 

भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 183 रन बनाये थे. असल में ये 'मात्र' 183 रन थे. ये क्रिकेट के उस संस्करण का दौर था जब वन-डे मैचों में 60 ओवरों का खेल होता था और एक ओवर में कुल 8 गेंदें होती थीं. यानी, वेस्ट इंडीज़ के सामने 480 गेंदों में मात्र 184 रन बनाने का लक्ष्य था. वो वेस्ट इंडीज़ टीम जिसके पहले 4 बल्लेबाज़ों का नाम था - गॉर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, विव रिचर्ड्स और क्लाइव लॉयड. 1983 छोड़िये, आज भी ये चारों किसी भी बॉलिंग अटैक के लिये बुरा सपना साबित हो सकते हैं. 25 जून 1983 को तो उनके सामने वो टीम थी जिसके बारे में टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ये कहा जा रहा था कि उन्हें खेलने को जगह दिए जाने से उस टूर्नामेंट का अपमान हो रहा था.

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भारतीय पारी ख़तम हुई तो दोनों ही टीमों के ड्रेसिंग रूम बेहद रिलैक्स्ड मूड में थे. भारतीय खेमे को मालूम था कि रिज़ल्ट उनके पक्ष में नहीं जाने वाला था. वेस्ट इंडीज़ को मालूम था कि वो लगातार तीसरी बार विश्व विजेता बनने वाले थे. भारतीय ड्रेसिंग रूम में कपिल देव अपनी टीम को ये यकीन दिलाने में लगे हुए थे कि अगर भारतीय टीम 183 पर आउट हो सकती है तो वो सभी मिलकर वेस्ट इंडीज़ को उससे कम रनों पर आउट कर सकते थे. वो बार-बार कह रहे थे कि उनके पास खोने को कुछ नहीं है और सभी को एक आख़िरी बार जान लगाकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा. वहीं वेस्ट इंडियन मैनेजमेंट ने जश्न की तैयारियां शुरू कर दी थीं. उन्होंने खाने-पीने की चीज़ों का ऑर्डर दे दिया था और ढेर सारी शैम्पेन की बोतलें भी मंगवा रखी थीं. 

Photo: Getty

कुछ तीन-साढ़े तीन घंटे बाद, लंडन का आकाश ढोल के शोर से गूंज रहा था. वो हो चुका था जिसके बारे में ख़ुद उन्होंने नहीं सोचा था जो एक पूरे देश के हीरो बन चुके थे. कपिल देव की टीम ने वेस्ट इंडीज़ को 43 रनों से हरा दिया था. ये अंतर इतना बड़ा था कि उस मैच में कोई भी भारतीय बल्लेबाज़ अकेले इतने रन नहीं बना पाया था. लॉर्ड्स के मैदान में भारतीय प्रशंसकों की भीड़ थी. भारतीय झंडे लहराए जा रहे थे. लॉर्ड्स की भारतीय खेमे की बालकनी के नीचे हुजूम इकठ्ठा था और वो भारतीय खिलाड़ियों का नाम चीख रहे थे.

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कुछ वक़्त बीता और कपिल देव, उस मैच के हीरो मोहिंदर अमरनाथ के साथ वेस्ट इंडीज़ टीम के ड्रेसिंग रूम में गए. वहां उन्होंने क्लाइव लॉयड और उनकी टीम से बातचीत की. उन्होंने पूरी टीम को भारतीय ड्रेसिंग रूम में आने का न्योता भी दिया. वेस्ट इंडीज़ के खिलाड़ी सन्नाटे में थे. कोई भी बहुत ज़्यादा बात नहीं कर रहा था. क्लाइव लॉयड ने एक अच्छे नेता की तरह कपिल को आश्वस्त किया कि वो कुछ देर में उनकी टीम से मिलने आयेंगे. और इसी वक़्त कपिल की नज़र वहां रखी शैम्पेन की बोतलों पर पड़ी. भारतीय ड्रेसिंग रूम फ़िलहाल सूखा था. कपिल को श्रीकांत, संधू, किरमानी और संदीप पाटिल की पसंद के बारे में ख़ूब मालूम था. उन्होंने भी एक अच्छे दोस्त और कप्तान का रोल बखूबी निभाया और क्लाइव लॉयड से पूछा कि क्या वो शैम्पेन की बोतलें ले जा सकते हैं, क्यूंकि उनके ड्रेसिंग रूम में 'कुछ भी नहीं' था. लॉयड ने बगैर एक भी शब्द कहे, गर्दन हिलायी और मोहिंदर अमरनाथ ने लपक कर बोतलें उठा लीं.

इसके बाद उन बोतलों ने समां बांध दिया. कई खिलाड़ियों ने भारतीय बालकनी के नीचे खड़ी भीड़ को भी शैम्पेन चखाई. वो ऊपर से शैम्पेन गिरा रहे थे और नीचे भीड़ अपना मुंह खोले खड़ी थी. जब शैम्पेन ख़त्म हो गयी तो संधू गए और कमरे में चाय के लिये रखा दूध उठा लाये और वो उड़ेलने लगे. उस दिन जनता ने सब कुछ स्वीकार किया. शैम्पेन भी और दूध भी. 

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कुछ वक़्त बाद क्लाइव लॉयड और विव रिचर्ड्स भारतीय टीम के कमरे में आये और भारतीय खिलाड़ियों से बातें कीं. 

 

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