
सहस्त्रबुद्धे ने साल के पहले दिन लड़कों के झुंड से एक सवाल पूछा था - चांद पर कदम रखने वाले दूसरे इंसान का क्या नाम था? फिर खुद ही अगले पल कह दिया था कि 'छोड़ो, वो ग़ैर ज़रूरी है. पहले इंसान का नाम ही इम्पोर्टेन्ट होता है.'
यही सवाल बहुत साल पहले एक सस्ती जीके की किताब में भी पढ़ा था. साथ में जवाब भी था. याद नहीं हुआ. सहस्त्रबुद्धे की बात दिल में घर कर गयी थी. वो मेरे और सहस्त्रबुद्धे के बीच की असहमतियों की शुरुआत थी. घर जाते ही इस सवाल का जवाब ढूंढा. नाम मिला बज़ एल्ड्रिन. मुझे यकीन है कि मिशन कमांडर नील आर्मस्ट्रॉन्ग बिना एल्ड्रिन की मदद और उनके साथ के, चांद पर कदम नहीं रख पाते. और इसीलिए जितना ज़रूरी नील का नाम है, उतना ही ज़रूरी एल्ड्रिन का नाम भी है. एल्ड्रिन याद रहने चाहिए.
कहानी एक और एल्ड्रिन की जिसने इतिहास के सबसे पहले पन्ने को लिखा जाते हुए देखा. जब एक 14 साल का नील आर्मस्ट्रॉन्ग वानखेडे में बल्ला लेकर उतरा था तो ये एल्ड्रिन दूसरे छोर पर खड़ा था.
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साल 1988. 14 साल का सचिन तेंदुलकर बैटिंग करने के लिए आ रहा था. लालचंद राजपूत 99 पर रन आउट हुए थे. सभी स्टैंड्स खाली थे. लेकिन फिर भी हवा में कुछ भुनभुनाहट सी थी. प्रेस बॉक्स के ठीक बगल में वीआईपी बैठते हैं. वहां उस वक़्त कई पूर्व मुंबई और इंडियन क्रिकेटर्स बैठे थे. सुनील गावस्कर स्टैंड्स में बैठे हुए थे. वो पिछले दो दशकों से मुंबई क्रिकेट के मसीहा बने हुए थे लेकिन अब वो भारतीय क्रिकेट के नए भगवान का जन्म होता देखने वाले थे. शारदाश्रम विद्यामंदिर से तेंदुलकर के दोस्त आये हुए थे जिन्हें उस दिन स्कूल ने छुट्टी दी हुई थी जिससे वो अपने दोस्त की हौसलाफज़ाई कर सकें. हर कोई यही कह रहा था, "सचिन नक्की शंभर करणार."
गुजरात की बॉलिंग कोई बहुत ख़ास नहीं थी. शुरुआती बल्लेबाज़ों ने ठीक-ठाक रन बोर्ड्स पर लगा दिए थे. नारायन तम्हाने, रमाकांत देसाई, सुधीर नायक और मिलिंग रेगे ने 14 साल के बच्चे को टीम में रखने का फ़ैसला लिया था. लंच के दौरान टीम मैनेजर ने बताया कि चूंकि बैटिंग ठीक चल रही है इसलिए सचिन को एक पायदान ऊपर भेजा जाएगा. 4 नंबर पर. पिच पर जो भी बल्लेबाज़ होगा, वो 'सचिन का ख़याल' रखेगा. लालचंद राजपूत 99 पर रन आउट हो गए. सचिन पैड्स पहन कर मैदान में कदम रख रहा था.
दूसरे छोर पर खड़े बैट्समैन ने सचिन के पिच पर आते ही कहा, "आराम से." सचिन ने 'हां' में सर हिला दिया. सचिन ने अपनी तीसरी गेंद पर ही कड़ाके का स्ट्रोक मारा. गेंद कब बाउंड्री पर पहुंची, मालूम नहीं पड़ा. दूसरे छोर पड़ खड़े बैट्समैन ने एक बार फिर कहा, "सचिन, आराम से." सचिन ने उसकी ओर एक हल्की मुस्कान के साथ देखा और आंख मारी. इसके बाद अगले दस मिनट में सचिन ने दो बाउंड्री और मारीं. उतनी ही शानदार. रनिंग एंड पर खड़े बैट्समैन ने, जिसे सचिन का ख़याल रखना था, ड्रेसिंग रूम की ओर देखा और पूछा - किसको किसका ख़याल रखना है इधर?
एलेन सिप्पी. सचिन के पहले फ़र्स्ट-क्लास मैच के दौरान दूसरे छोर पर खड़ा खिलाड़ी. दोनों ने साथ मिलकर 155 रन बनाए. सचिन ने मैच में 100 नॉट-आउट मारे. एलेन सिप्पी - मुंबई का अच्छा बैट्समैन जो कि आगे चलकर बड़े प्रॉपर्टी डीलिंग के बिज़नेस में घुस गया.
सिप्पी बताते हैं कि मैच से पहले उन्होंने जब सचिन को कुछ दिन देखा तो अपने पापा से कहा कि सचिन बहुत ही साधारण सा लड़का है, उसे हर जगह बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है और वो ज़्यादा दिन क्रिकेट की दुनिया में टिक नहीं पायेगा. मैच के बाद जब सिप्पी घर पहुंचे तो पापा से कहा कि सचिन क्रिकेट खेलने के लिए दूसरे प्लैनेट से धरती पर आया है.
एलेन सिप्पी का 7 फ़रवरी को जन्मदिन होता है.