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T20 World Cup 2022: 'बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे..', टीम इंडिया के नाम एक फैन का खुला खत

टीम इंडिया का टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में सफर खत्म हुआ और एक बार फिर वर्ल्ड कप जीतने का सपना सिर्फ सपना ही रह गया. 2007 में जब पहला टी-20 वर्ल्ड कप हुआ था, तब भारत की जीत हुई थी. उसके बाद से भारतीय क्रिकेट फैन्स के हिस्से में बस इंतज़ार आया है. इस बार भी जब हार मिली तब एक क्रिकेट फैन का क्या हाल है, जानिए...

टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा (Photo: Getty Images) टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा (Photo: Getty Images)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे 
सिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे
रक़्स है रंग पर रंग हम-रक़्स हैं 
सब बिछड़ जाएँगे सब बिखर जाएँगे

टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में मिली हार का गम है, गम नहीं गुस्सा भी है. गम को बयां करने का कुछ रास्ता नहीं मिला तो पाकिस्तान के मशहूर शायर जौन एलिया फिर से याद आए. गम की शायरी करने वाले जौन एलिया का ये शेर (जो ऊपर लिखा है) इस मौके पर सटीक बैठता है. 23 जून, 2013 के बाद दिन ऐसे ही तो बीत रहे हैं, इंतज़ार में. एक आईसीसी ट्रॉफी का इंतज़ार. तब भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती थी, उसके बाद भारत कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाया.

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मेरे जैसे लाखों, करोड़ों फैन्स हर बार दिल तुड़वाते हैं और फिर कुछ दिनों में सब भूल जाते हैं. अभी भी यही होगा, इंग्लैंड से सेमीफाइनल में मिली हार के बाद कुछ खिलाड़ी अपने घर आ रहे हैं और कुछ न्यूजीलैंड जा रहे हैं. वहां पर सीरीज़ खेली जाएगी और हम सब जो अभी इतने गम, गुस्से और सदमे में हैं, क्रिकेटर्स को कोस रहे हैं. फिर से उस दिन भारत-न्यूजीलैंड का मैच देखेंगे, फिर तालियां पीटेंगे और जीत पर जश्न मनाएंगे. 

पिछले टी-20 वर्ल्ड कप में बुरा हाल हुआ तो विराट कोहली की कप्तानी चली गई, रवि शास्त्री भी चले गए. हमें लगा कि चलो, कुछ झटका लगा है. रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ आए, बहुत हल्ला मचा. भाई, जो कप्तान पांच-पांच आईपीएल ट्रॉफी जीत चुका है, लगा कि अब तो कमाल हो जाएगा. अब तो ट्रॉफी ही ट्रॉफी होंगी, जीत ही जीत होंगी. जीत तो मिली, लेकिन द्विपक्षीय सीरीज़ में और वो भी अधिकतर तो घर पर ही मिली. 

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एशिया कप में पिट गए, तब लगा चलो रोहित शर्मा कि अगुवाई में पहला मल्टीनेशनल टूर्नामेंट था. आगे ठीक हो जाएगा, अब वर्ल्ड कप में भी पिट गए. यानी एक साल में कुछ नहीं बदला, बदली तो सिर्फ जगह, कप्तान और बाकी सो है, वो तो है ही. पहले यूएई में हारे थे, अब ऑस्ट्रेलिया में हार गए. पिछले एक साल में जिस तरह की चीज़ें इंडियन टीम में देखने को मिली, तब लगा कि बहुत ज्यादा ही प्रयोग हो रहे हैं. 

अजीब लगता था लेकिन राहुल द्रविड़ को लेकर मन में ऐसी छवि बन बैठी है, तब लगा कि यार, ये बंदा कुछ गलत तो नहीं कर रहा होगा. लेकिन गलत हुआ और ब्लंडर हुआ. मैं और आप जैसे ना जाने कितने ही क्रिकेट फैन इस बार तो मानकर चल रहे थे कि भैया, कमाल होगा. कप्तान रोहित शर्मा हैं, विराट कोहली फॉर्म में आ गए हैं. फिनिशर दिनेश कार्तिक भी हैं, मज़ा ही आ जाएगा. 

लेकिन एक-एक करके हर किसी ने दिल तोड़ा है. केएल राहुल से आईपीएल में ऑरेन्ज कैप की रेस के अलावा रन नहीं बन रहे, कप्तान रोहित शर्मा को मानना ही होगा कि बल्लेबाजी में इस वक्त उनका बहुत बुरा दौर चल रहा है. पिछले 3 साल से सिर्फ विराट कोहली की फॉर्म की बात हो रही थी, लेकिन रोहित शर्मा ने भी बहुत तीर नहीं मारे हैं. ऋषभ पंत जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अकेले दम पर मैच जिताए, उन्हें प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिल पाई. जब मिली तो काफी देर हो चुकी थी, रविचंद्रन अश्विन को खिलाया गया और वो भी तब जब हर टीम अपने साथ लेग स्पिनर लेकर चल रही थी और बार-बार सफलताएं भी मिल रही थी. तो टीम मैनेजमेंट कैसे नहीं समझ पाया कि हमें भी युजवेंद्र चहल को खिलाना चाहिए.

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तमाम सवाल होने के बाद भी मेरे या आपके जैसा क्रिकेट फैन, हर मैच से पहले जोश के साथ टीम से जुड़ा. लेकिन शायद उम्मीद नहीं लगानी चाहिए थी, यहां पर गलती हो गई. क्योंकि इस टीम का कोई इंटेशन लग ही नहीं रहा था कि ये जीतना चाहते हैं, या जीत पाएंगे. पिछले एक साल में जो देखने को मिला है, उससे तो यही लगता है कि हमें कोई शिकायत करनी ही नहीं चाहिए. कभी किसी को आराम दे दिया, कभी किसी को कप्तान बना दिया. एक प्लेयर एक सीरीज में खेल रहा है, वो दोबारा कब खेलेगा पता नहीं, एक साथ दो-दो टीम खेल रही हैं पता नहीं लग रहा कि टीम इंडिया कौन-सी है. इसलिए शिकायत तो करनी ही गलत होगी. यहां एक और शेर याद आता है...

ये ग़म क्या दिल की आदत है? नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो

बताइए एक क्रिकेट फैन क्या करे, 2015 का वनडे वर्ल्ड कप, 2016 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2017 की चैम्पियंस ट्रॉफी, 2019 का वनडे वर्ल्ड कप, 2021 की वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप, 2021 का टी-20 वर्ल्ड कप और अब फिर 2022 का टी-20 वर्ल्ड कप. हर बार उम्मीद की, भरोसा किया, जश्न मनाया और हर बार आखिर में दिल टूटा. 

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यहां महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और अब रोहित शर्मा की कप्तानी में यह सब हुआ. ऐसे में किसी एक को दोष नहीं दे सकते हैं. हर किसी ने गलतियां की हैं, हर कोई हमारे लिए लीजेंड है. हमने लगातार इन्हें सपोर्ट किया, आगे भी करेंगे. लेकिन अंत में आईसीसी ट्रॉफी तो चाहिए ना, या सिर्फ टीमों को घर में बुलाकर सीरीज खेलेंगे और जीत कर, रन बनाकर, रिकॉर्ड बनाकर खुश होते रहेंगे. बीसीसीआई सबसे अमीर बोर्ड है, लेकिन टीम को ठीक नहीं कर पा रहा है. अभी तक टीम इंडिया का टेम्पेल्ट ही ठीक नहीं हो रहा है. सबसे बुरा तो यह है कि जिस देश ने दुनिया को इंडियन प्रीमियर लीग दी और बताया कि कैसे टी-20 का टूर्नामेंट किया जाता है. अब उसी देश की टीम टी-20 फॉर्मेट को खेल नहीं पा रही है. ये तो मज़ाक ही है, आपके और मेरे जैसे क्रिकेट फैन के लिए. यानी अब तो कुछ करना ही होगा. 

अपनी टीम से सिर्फ यही उम्मीद है, टूटे दिल के साथ और आंखों में आंसू लिए, हम फिर अगले मैच, अगले टूर्नामेंट में आपके लिए खड़े होंगे. आपके एक शॉट, एक कमाल, एक गुगली पर तालियां पीटेंगे और सीटी भी बजाएंगे. लेकिन आप भी हमारे लिए, इस टीम के लिए कुछ कीजिए. दिल जीता है, अब आईसीसी की ट्रॉफी भी जीत लीजिए.

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सादर, 
एक क्रिकेट फैन.   

 

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