
क्रिकेट इतिहास में अबतक सिर्फ दो ऐसे हिंदू क्रिकेटर हुए, जिन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया. इनमें पहला नाम अनिल दलपत सोनवारिया का है. आज (20 सितंबर) अनिल दलपत अपना 60वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पैदा हुए अनिल दलपत के पूर्वत दशकों पहले सूरत से आकर कराची में बस गए थे.
इस ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर से है खास कनेक्शन
अनिल दलपत के पिता का नाम दलपत सोनवारिया था, जिन्हें क्रिकेट के खेल में काफी रुचि थी. दलपत सोनवारिया खुद क्लब लेवल के क्रिकेटर थे और वह क्रिकेट को बारीकी से फॉलो करते थे. जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर नॉर्म ओ नील (Norman O'Neill) ने नवंबर 1959 में लाहौर टेस्ट में 134 रनों की पारी खेली थी, तो दलपत सोनवारिया उनसे काफी प्रभावित हुए. अपने बेटे का नाम अनिल उन्होंने 'ओ नील' के नाम पर ही रखा था.
अनिल दलपत ने 1976-77 के सीजन में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था. हालांकि करियर के शुरुआती दिनों में अनिल उतने कामयाब नहीं हो पाए. 1983-84 का घरेलू सीजन अनिल के लिए यादगार रहा. बतौर विकेटकीपर उस सीजन उन्होंने विकेट के पीछे कुल 67 शिकार किए, जो उस समय पाकिस्तानी घरेलू क्रिकेट में एक रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन था. उस यादगार सीजन ने अनिल दलपत के करियर को नई उड़ान दी.
साल 1984 में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे की समाप्ति के बाद वसीम बारी इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर हुए, तो पाकिस्तान टीम को एक विकेटकीपर की तलाश थी. ऐसे में अनिल से अच्छा विकल्प कौन हो सकता था. 2 मार्च 1984 को कराची के नेशनल स्टेडियम में अनिल ने जहीर अब्बास की कप्तानी में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया.
डेब्यू मैच में कादिर की गेंदों पर की शानदार कीपिंग
तब पाकिस्तान की टीम में अब्दुल कादिर जैसे महान लेग-स्पिनर हुआ करते थे. कादिर की टर्न और बाउंस लेती गेंदों पर विकेटकीपिंग करना किसी भी कीपर के लिए आसान काम नहीं रहता था, वो भी ऐसा खिलाड़ी जो पहला मैच खेल रहा हो. लेकिन दलपत ने गजब का धैर्य दिखाया और अब्दुल कादिर की कहर बरपाती गेंदों पर शानदार विकेटकीपिंग की. अनिल दलपत की विकेटकीपिंग देख क्रिकेट फैन्स तब चकित थे.
अनिल दलपत ने उस डेब्यू टेस्ट मैच में बल्ले से भी अहम योगदान दिया था. मुकाबले में 66 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए पाकिस्तान के 40 रन पर छह विकेट गिर गए थे. ऐसे में अनिल ने नाबाद 16 रन बनाकर टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचाया था. पाकिस्तान टीम उस मैच को तीन विकेट से जीतने में सफल रही थी. अब्दुल कादिर ने कराची के उस टर्निंग ट्रैक पर कुल आठ विकेट लेकर प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड जीता था.
क्या इमरान खान ने बर्बाद किया करियर?
इसके बाद अनिल उसी महीने इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले से अपना वनडे इंटरनेशनल डेब्यू करने में भी सफल रहे. फैन्स को उम्मीद थी कि यहां से अनिल कई कीर्तिमान रचेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से उनका इंटरनेशनल करियर लगभग ढाई साल का ही रहा. अनिल दलपत ने इसके लिए पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया था. दलपत ने साल 2002 में एक बयान में कहा था, 'इमरान खान के कारण मैं उतना नहीं खेल पाया, जितना का हकदार था. इमरान और मोहम्मद भाइयों के बीच झगड़े के कारण मुझे बलि का बकरा बनाया गया. अगर मुझे सही से मौका दिया जाता तो मैं और खेलता.'
अनिल दलपत ने पाकिस्तान के लिए कुल मिलाकर 9 टेस्ट और 15 वनडे मुकाबले खेले. अनिल ने टेस्ट क्रिकेट में 15.18 की औसत से 167 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक शामिल रहा. वहीं वनडे इंटरनेशनल में वह सिर्फ 87 रन बना सके. टेस्ट मैचों में दलपत ने विकेट के पीछे 25 शिकार (22 कैच+3 स्टम्पिंग) किए.जबकि वनडे इंटरनेशनल में उनके नाम पर 15 शिकार (13 कैच+ 2स्टम्पिंग) दर्ज हैं.
दानिश कनेरिया के चचरे भाई हैं अनिल
अनिल दलपत ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मुकाबला 17 अक्टूबर 1986 को पेशावर में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था. अनिल ने 137 फर्स्ट क्लास मैचों में 2556 रन बनाए, जिसमें 9 अर्धशतक शामिल रहे. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अनिल ने विकेट के पीछे 430 शिकार किए. क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद अनिल कनाडा चले गए जहां उन्होंने कोचिंग देना शुरू किया. बाद में उन्होंने वहां पर अपना बिजनेस भी शुरू किया.
अनिल दलपत के अलावा सिर्फ 6 ऐसे गैर-मुस्लिम क्रिकेटर हुए जिन्होंने पाकिस्तान के लिए इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व किया. इनमें दानिश कनेरिया का भी नाम शामिल है, जो रिश्ते में अनिल दलपत के चचेरे भाई लगते हैं. अनिल के अन्य दो चचेरे भाई भरत कुमार और महेंद्र कुमार भी पाकिस्तान में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल चुके हैं.
इन गैर-मुस्लिम क्रिकेटर्स ने भी पाकिस्तान के लिए खेला क्रिकेट
1. वालिस मैथियास: मैथियास ऐसे पहले गैर-मुस्लिम क्रिकेटर थे, जिन्होंने पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया. मैथियास ने 21 टेस्ट खेलकर 783 रन बनाए. बल्ले से तो मैथियास कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन फील्डिंग में उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन करते हुए 22 कैच लपके.
2. डंकन अल्बर्ट शार्प: एंग्लो-इंडियन डंकन शार्प ने पाकिस्तान के लिए तीन टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 22.33 की औसत से 134 रन बनाए. हालांकि डंकन का फर्स्ट क्लास थोड़ा बढ़िया रहा. डंकन ने 37 प्रथम श्रेणी मैचों में 27.33 की औसत से 1531 रन बनाए, जिसमें दो शतक शामिल रहे.
3. एंटाओ डिसूजा: गोवा में पैदा हुए डिसूजा ने पाकिस्तान के लिए छह टेस्ट मैचों में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने 38 की औसत से 76 रन बनाए और 17 विकेट भी हासिल किए. खास बात यह रही कि डिसूजा का बल्लेबाजी औसत उनके उच्चतम स्कोर (नाबाद 23 रन) से ज्यादा था.
4. सोहेल फजल: ईसाई धर्म को मानने वाले इस क्रिकेटर ने पाकिस्तान टीम के लिए दो वनडे मुकाबले खेले, जिसमें उनके नाम पर कुल 56 रन दर्ज हैं. फजल ने दूसरा एवं आखिरी वनडे मुकाबला भारत के खिलाफ शारजाह में खेला था. उस मैच में उन्होंन तीन गगनचुंबी सिक्स लगाकर पाकिस्तान को बड़ा स्कोर खड़ा करने में मदद की थी.
5. यूसुफ योहाना (अब मोहम्मद यूसुफ): पाकिस्तान क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक कहे जाने वाले मोहम्मद यूसुफ पहले यूसुफ योहाना के नाम से जाने जाते थे. यूसुफ ने 90 टेस्ट मैचों में 7530 और 288 वनडे इंटरनेशनल में 9720 रन बनाए. यूसुफ के बल्ले से इंटरनेशनल क्रिकेट में 39 शतक और 97 अर्धशतक निकले. साल 2005 में उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था.
6. दानिश कनेरिया: दानिश कनेरिया टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पाकिस्तानी स्पिनर हैं. इस लेग-स्पिनर ने पाकिस्तान के लिए कुल 61 टेस्ट मैचों में 261 विकेट लिए. कनेरिया ने 8 एकदिवसीय मैचों में भी पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उनके नाम पर 15 विकेट दर्ज हैं. दानिश पाकिस्तान के लिए खेलने वाले दूसरे एवं आखिरी हिंदू क्रिकेटर हैं.