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सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं को लागू करने पर अड़ियल रुख अपनाए हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को बाहर का रास्ता दिखा दिया. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनके खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उन पर झूठी गवाही देने और अदालत की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए?
'मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी'
अदालत ने यह भी कहा कि माफी न मांगने पर अनुराग को जेल भी जाना पड़ सकता है. अदालत का फैसला आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अनुराग ने कहा, 'भारत में पूरी दुनिया की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावशाली खिलाड़ी हैं. मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी. यह लड़ाई खेल संगठन को स्वायत्तता दिलाने की है. मैं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं.' लेकिन, उन्होंने देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों पर निशाना साधा. ट्विटर पर पोस्ट किए अपने वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में बीसीसीआई बेहतर काम कर सकता है. मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि उनके मार्गदर्शन में भारतीय क्रिकेट का भला होगा.'
'बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ'
अनुराग ने कहा, 'बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ है. भारत के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अवसंरचना है और बीसीसीआई की मदद से राज्य क्रिकेट संघ इनकी बहुत अच्छी तरह देखरेख कर रहे हैं.' अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से बीसीसीआई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की नियुक्ति को बोर्ड के कामकाज में सरकारी हस्ताक्षेप के तौर पर पेश करने वाली सिफारिशी चिट्ठी मांगने को लेकर 'झूठी गवाही' देने के बाद से ही अदालत अनुराग और शिर्के से नाराज थी. पीठ ने अंतरिम व्यवस्था के तहत बीसीसीआई के वरिष्ठतम उपाध्यक्ष को बोर्ड का अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है.
19 जनवरी को होगी अंतरिम बोर्ड की घोषणा
सर्वोच्च न्यायालय ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और जाने-माने वकील फली नरीमन को उन लोगों के नाम सुझाने के लिए कहा है, जो एक प्रशासक के नेतृत्व में काम करने वाली समिति में शामिल हों. यह समिति बीसीसीआई के संचालन का कामकाज देखेगी. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तिथि निर्धारित की है. इसी दिन बीसीसीआई अंतरिम बोर्ड की घोषणा होगी. न्यायालय ने कहा कि वह उसी दिन प्रशासक की नियुक्ति का आदेश भी जारी करेगा.
बीसीसीआई का अड़ियल रुख
अदालत ने यह भी कहा कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अड़ियल रुख रखने वाले बीसीसीआई के अधिकारियों और बोर्ड से संबद्ध राज्य क्रिकेट संघों के अधिकारियों को अपना पद छोड़ना होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई और इससे संबद्ध राज्य संघों के अधिकारियों को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मानने के संबंध में प्रतिबद्धता देने को भी कहा. अनुराग के साथ सचिव पद से हटाए गए शिर्के ने कहा, 'मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. बीसीसीआई में मेरा काम खत्म हो गया है. अगर सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे हटने के लिए कहा है, तो ठीक है. आशा है कि नया प्रबंधन बोर्ड का संचालन सही तरीके से करेगा. बोर्ड की स्थिति पर अब और अधिक आंच नहीं आएगी.'
न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कोर्ट के फैसला का स्वागत किया
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, 'इन सिफारिशों को लागू करने का फैसला 18 जुलाई को सुनाया गया था. बीसीसीआई इस फैसले को लागू करने के लिए बाध्य थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. इसलिए, ऐसे परिणामों का सामना करना पड़ रहा है.' उन्होंने कहा, 'सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए था, लेकिन अब यह हो गया. समिति ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तीन रिपोर्ट पेश की. इसके बावजूद सिफारिशों को लागू नहीं किया गया.'
बिशन सिंह बेदी और मुकुल मुद्गल ने फैसले का स्वागत किया
बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष किशोर रूंगटा ने कहा, 'यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों को नहीं मानने का नतीजा है.' बीसीसीआई के कामकाज की लगातार आलोचना करते रहने वाले भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट सही रास्ते पर लौट आएगा. मैं इस फैसले से संतुष्ट हूं.' डीडीसीए मामले की जांच करने वाले न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल ने भी इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, 'ठाकुर और शिर्के को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को नहीं मानने का परिणाम भुगतना पड़ा है.'