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BCCI कैसे कराएगा 2,000 मैच, पूर्वोत्तर में संसाधन तक नहीं

पूर्वोत्तर के राज्य अपनी सुविधाओं के पुनर्गठन और सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं.

साजो सामान और उपकरणों को लेकर समस्या हो सकती है साजो सामान और उपकरणों को लेकर समस्या हो सकती है
विश्व मोहन मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के शामिल होने के कारण बीसीसीआई को आगामी सत्र में 2,017 घरेलू मैचों का कार्यक्रम रखने को बाध्य होना पड़ा, जिसके बाद माना जा रहा है कि साजो सामान और उपकरणों को लेकर समस्या हो सकती है.

इससे सीनियर पुरुष और महिला से लेकर अंडर-16 स्तर (लड़के और लड़कियों) के मैचों की संख्या में इजाफा हुआ है. घरेलू कैलेंडर की शुरुआत 13 से 20 अगस्त तक महिला चैलेंजर ट्रॉफी के साथ होगी. पुरुष कैलेंडर की शरुआत 17 अगस्त से 8 सितंबर तक चलने वाली दिलीप ट्रॉफी (गुलाबी गेंद से दिन- रात्रि टूर्नामेंट) के साथ होगी.

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इसके बाद विजय हजारे (राष्ट्रीय एकदिवसीय टूर्नामेंट) टूर्नामेंट का आयोजन 19 सितंबर से 20 अक्टूबर तक होगा और इस दौरान 160 मैच खेले जाएंगे. रणजी ट्रॉफी एक नवंबर से छह फरवरी तक खेली जाएगी और इस टूर्नामेंट के दौरान भी 160 मैच खेले जाएंगे.

घरेलू सीजन में BCCI करेगा 2,000 मैचों का आयोजन, रणजी ट्रॉफी 1 नवंबर से

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए राष्ट्रीय टी-20 चैंपियनशिप में 140 मैच खेले जाएंगे. पुरुष अंडर-23 वर्ग में दो प्रारूप में 302 मैच (प्रत्येक प्रारूप में 151) खेले जाएंगे, जबकि अंडर-19 लड़कों के वर्ग में दो प्रारूप में 286 मैच (प्रत्येक प्रारूप में 143) होंगे.

सीनियर महिला सत्र में 295 मैच, जबकि अंडर-23 वर्ग में 292 मैच होंगे. बीसीसीआई में कई अधिकारी चाहते थे कि पूर्वोत्तर के राज्यों को मजबूत जूनियर कार्यक्रम के जरिये शामिल किया जाए, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों के रणजी ट्रॉफी में शामिल करने को लेकर लोढ़ा सुधारों ने सभी को परेशानी में डाल दिया है.

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बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘यह साजो सामान और उपकरणों को लेकर बुरे सपने की तरह होगा. अंपायर और मैच रेफरी जैसे मैच अधिकारियों से हमें अतिरिक्त काम कराना होगा, जिन्होंने प्रत्येक दौर के बाद उबरने का समय नहीं मिलेगा. उन्हें लगातार यात्रा करनी होगी.’

फिलहाल बीसीसीआई के पास इस व्यस्त कार्यक्रम की जरूरत के अनुसार पर्याप्त संख्या में मैच अधिकारी (अंपायर, मैच रेफरी , स्कोरर) नहीं हैं. इसके अलावा एक अन्य बड़ा मुद्दा पूर्वोत्तर के क्रिकेट मैदान हैं.

पूर्वोत्तर राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ,‘शिलांग में मेघालय के मैदान और दिमापुर (नगालैंड) में एक प्रथम श्रेणी स्तर के मैदान को छोड़ दिया जाए तो अन्य राज्य अपनी सुविधाओं के पुनर्गठन और सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. साथ ही हमें मौसम और रोशनी को भी ध्यान में रखना होगा.’

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