
बीसीसीआई लोकपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) डी के जैन ने सौरव गांगुली के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में पूर्व कप्तान और तीनों शिकायतकर्ताओं से लिखित दलील देने के लिए कहा है.
बंगाल के तीन क्रिकेट प्रशंसकों भास्वती शांतुआ, अभिजीत मुखर्जी और रंजीत सील ने आरोप लगाया था कि गांगुली की बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) और आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार की भूमिका सीधे तौर पर हितों का टकराव का मामला है.
लोकपाल ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट बिश्वनाथ चटर्जी और शिकायतकर्ता रंजीत सील के अलावा गांगुली की दलीलें भी सुनी.
न्यायमूर्ति जैन ने बैठक के बाद कहा, ‘मैंने दोनों पक्षों और बीसीसीआई की दलीलों को सुना और जल्द ही अपना आदेश पारित करूंगा. हालांकि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के हिसाब से सुनवाई समाप्त हो गई है, दोनों पक्ष अब अंतिम फैसला सुनाये जाने से पहले लिखित दलील दे सकते हैं.’ गांगुली ने बैठक परिसर से निकलने के बाद कहा कि बैठक अच्छी रही.
खुद को बैटिंग के लिए नीचे भेजे जाने पर नाखुश थे रसेल, हार के बाद निकाली भड़ास
इससे पहले अपनी भूमिका पर गांगुली ने कहा था कि ‘मैं ऐसे किसी पद पर नहीं हूं. मैं न तो बीसीसीआई की शीर्ष परिषद में हूं और न ही बीसीसीआई द्वारा उसके संविधान के तहत गठित किसी क्रिकेट समिति का सदस्य हूं.’
उन्होंने कहा,‘मैं किसी समिति का सदस्य होने के नाते या आईपीएल के संबंध में बीसीसीआई द्वारा गठित किसी संगठनात्मक इकाई का सदस्य होने के नाते आईपीएल प्रशासन, प्रबंधन या उसके संचालन से नहीं जुड़ा हूं.’
उन्होंने कहा,‘पहले मैं बीसीसीआई तकनीकी समिति, आईपीएल तकनीकी समिति और आईपीएल संचालन परिषद का हिस्सा था. मैंने सभी से इस्तीफा दे दिया है.’