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...तो खोज लाए एक तगड़ा ऑलराउंडर? ऑस्ट्रेलिया के हाथों गंवा आए ट्रॉफी, लेकिन टीम इंडिया को मिल गया भविष्य का सितारा

ऐसे वक्त में जब भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर फेल साबित हुआ, मिडिल ऑर्डर में नीतीश रेड्डी की ये पारी यादगार रहेगी. उनके शतक की बदौलत भारत मेलबर्न में फॉलोऑन बचाने में सफल रहा, हालांकि टीम को इस मैच में हार का सामना करना पड़ा था.

नीतीश रेड्डी ने किया कमाल नीतीश रेड्डी ने किया कमाल
अनुग्रह मिश्र
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  • 06 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-3 से हार का सामना करना पड़ा. सीरीज का आखिरी मैच सिडनी में खेला गया और इस मैच को 6 विकेट से जीतकर कंगारू टीम ने परचम लहरा दिया. 10 साल बाद टीम इंडिया को इस सीरीज में हार का सामना करना पड़ा. इस पूरी सीरीज में भारतीय बल्लेबाजी ने निराश किया और टॉप ऑर्डर रन बनाने में विफल रहा. हालांकि भारतीय टीम को नीतीश रेड्डी के तौर पर एक उभरता सितारा जरूर मिला, जिसने मेलबर्न में शतक जड़कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.

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नीतीश रेड्डी आए, बल्लेबाजी से छाए

ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी का इस सीरीज में टेस्ट डेब्यू हुआ और वह पांचों मैच में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा रहे. उन्होंने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही भारतीय टीम को एक नई उम्मीद दी है. सबसे खास मेलबर्न के चौथे टेस्ट में खेली गई 114 रनों की शानदार पारी रही, जिसने उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहचान दिलाई है. अगर उनके टेस्ट करियर की बात करें तो 5 मैचों की 9 पारियों में रेड्डी ने 298 रन बनाए हैं, साथ ही 5 विकेट भी अपने नाम किए.

21 साल के रेड्डी के इस प्रदर्शन ने भारत के लिए एक बेहतरीन ऑलराउंडर की तलाश को शायद पूरा कर दिया है. कभी इस लंबे फॉर्मेट में हार्दिक पांड्या को इस भूमिका में परफेक्ट माना गया था, लेकिन उनकी फिटनेस और तीनों फॉर्मेट के दबाव की वजह से वह टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हैं. ऐसे में नीतीश रेड्डी मध्य क्रम में भारत के पास एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आए हैं जो टेस्ट में न सिर्फ पिच पर जमने की ताकत रखते हैं, बल्कि गेंदबाजी में भी टीम के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

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ऑस्ट्रेलिया को भी मिले दो नए खिलाड़ी

ऐसे वक्त में जब भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर फेल साबित हुआ है, मिडिल ऑर्डर में नीतीश रेड्डी की ये पारी यादगार रहेगी. उनके शतक की बदौलत भारत मेलबर्न में फॉलोऑन बचाने में सफल रहा, हालांकि टीम को इस मैच में हार का सामना करना पड़ा था. 21 साल के रेड्डी तीसरे सबसे युवा भारतीय हैं जिसने ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर शतक जड़ा. इसके अलावा पेस बॉलर हर्षित राणा ने भी इस सीरीज के साथ भारतीय टीम में डेब्यू किया लेकिन उन्हें दो मैच खेलने का मौका मिला. उन्होंने एडिलेड और पर्थ में मिलाकर 4 विकेट झटके.

भारतीय टीम के अलावा विनिंग साइड ऑस्टेलिया की टीम में इस सीरीज के दौरान दो खिलाड़ियों का डेब्यू हुआ. कंगारू बल्लेबाज ब्यू वेबस्टर ने सिडनी के आखिरी टेस्ट में अपनी छाप छोड़ी और 96 रन बनाए. पहली पारी के 57 रन के बाद वेबस्टर ने दूसरी पारी में 39 रनों की नाबाद पारी खेली, जिसने ऑस्ट्रेलिया की जीत में अहम भूमिका निभाई. वेबस्टर ने सिडनी में 31 साल की उम्र में अपना पहला टेस्ट खेला और वह भारत के खिलाफ डेब्यू करने वाले 5वें सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बन गए हैं.

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इसी तरह 19 साल के सैम कोंस्टास को ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मेलबर्न में डेब्यू करने का मौका मिला. उन्होंने डेब्यू मैचे खेलते ही 13 साल बाद इतिहास रच दिया और कप्तान पैट कमिंस के बाद वह सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले खिलाड़ी बने. कमिंस ने 18 की उम्र में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. कोंस्टास को भारतीय टीम के खिलाफ सिडनी और मेलबर्न टेस्ट खेलने का मौका मिला जिसमें उन्होंने कुल 113 रन बनाए.

कोंस्टास-कोहली विवाद की चर्चा

इस सीरीज में कोंस्टास ने बल्लेबाजी से कम, बल्कि विवाद से ज्यादा सुर्खियां बंटोरीं. पहले मेलबर्न टेस्ट में कोहली के साथ हुई उनकी नोकझोंक चर्चा में रही, तो वहीं दूसरी बार सिडनी टेस्ट में जसप्रीत बुमराह के साथ वह बीच मैदान पर बहस करते नजर आए. हालांकि कोहली पर कोंस्टास से भिड़ने के लिए मैच फीस का 20% जुर्माना लगाया गया और एक डिमेरिट अंक भी दिया गया. इस मामले पर कोहली को दिग्गजों की आलोचना का शिकार भी होना पड़ा था.

युवा बल्लेबाज नाथन मैकस्वीनी ने सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया की तरफ से अपना टेस्ट डेब्यू किया लेकिन वह 3 टेस्ट की 6 पारियों में 72 रन ही बना सके और 4 बार बुमराह की कहर बरपाती गेंदबाजी का शिकार हुए. इसके बाद आखिरी के दो टेस्ट मैंचों में उन्हें बाहर बैठना पड़ा. टीम से बार होने के बाद मैकस्वीनी ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह जिस प्लान के साथ उतरे थे, उसे कारगर नहीं कर पाए और आगे उन्हें मौके की तलाश है.

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