
टीम इंडिया ने चैम्पियंस ट्रॉफी-2025 में कमाल कर दिखाया. रोहित ब्रिगेड ने अजेय रहकर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया. टीम में शामिल सभी खिलाड़ी भारत के इस अभियान को जीत के साथ आगे बढ़ाते गए. दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाले विकेटकीपर-बल्लेबाज केएल राहुल का चैम्पियंस ट्रॉफी जिताने में अहम रोल रहा.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में विजयी छक्का जड़ने वाले केएल राहुल ही थे और न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में संकटमोचक की भूमिका निभाकर भारत को चैम्पियंस ट्रॉफी जिताने में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता.
जब KL ने सबसे ज्यादा लानत मलामत झेली थी...
यह वही केएल राहुल हैं, जिन्होंने 19 नवंबर 2023 को ऑस्ट्रेलिया के हाथों वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार के बाद सबसे ज्यादा लानत मलामत झेली थी. जब लगातार 10 जीत के साथ फाइनल में पहुंची भारतीय टीम अहमदाबाद में आखिरी मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 240 रनों पर आउट हो गई और 107 गेंद में 66 रन बनाने पर राहुल आलोचकों का कोपभाजन बने. टी20 विश्व कप के लिए भारत की टीम में भी उन्हें जगह नहीं मिली.
मोटेरा के उस फाइनल के 17 महीने बाद (476 दिनों) जब दुबई में चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल में न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हराकर भारत ने तीसरी बार खिताब जीता तो अंत तक डटे रहे राहुल को जिस तरह कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और हार्दिक पंड्या ने गले से लगाया, उसने साबित कर दिया कि इस जीत में उनकी क्या अहमियत है.
कभी पारी का आगाज करने वाले राहुल टीम की जरूरत के मुताबिक बल्लेबाजी क्रम में छठे नंबर पर उतरे और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 34 गेंदों में नाबाद 42 रन बनाकर टीम को जीत तक पहुंचाया. ग्लेन मैक्सवेल को जड़ा उनका विजयी छक्का क्रिकेटप्रेमियों के जेहन में उसी तरह चस्पा रहेगा, जैसे वानखेड़े स्टेडियम पर विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी का छक्का.
भले ही विराट कोहली की तरह वह शतक नहीं जड़ पाए या रोहित शर्मा की तरह बड़ी पारी नहीं खेली, लेकिन उनके 30-40 रन ऐसे मुकाम से टीम को जीत तक ले गए जहां से नतीजा कुछ भी हो सकता था.
न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में श्रेयस अय्यर के आउट होने के बाद 39वें ओवर में जब वह क्रीज पर आए तब टीम को जीत के लिए 69 रनों की जरूरत थी.उन्होंने मिचेल सेंटनेर को छक्का लगाकर रन और गेंद का अंतर कम किया.दूसरे छोर से अक्षर पटेल और हार्दिक पंड्या के विकेट गिरने के बावजूद वह एक छोर संभालकर डटे रहे और जीत तक पहुंचाकर ही दम लिया.
कप्तान रोहित ने तो उनके योगदान की सराहना करते हुए यह भी कहा ,‘राहुल का दिमाग काफी मजबूत र वह दबाव को खुद पर हावी नहीं होने देता.वह खुद तो शांत रहता ही है, साथ ही ड्रेसिंग रूम में भी वह शांति लाता है.हमें मध्यक्रम में उसकी जरूरत थी,ताकि दूसरे खिलाड़ी खुलकर खेल सकें.'
विराट-रोहित-जडेजा के बीच जगह बनाना आसान नहीं था
विराट-रोहित-जडेजा जैसे बड़े सितारों के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था, लेकिन राहुल ने अपने प्रदर्शन से उन जख्मों पर मरहम लगा दिया होगा जो नासूर बनकर पिछले डेढ़ साल से उन्हें चुभ रहे थे. उन्होंने बदली हुई भूमिका में खुद को ढाला और ओपनर से फिनिशर तक का सफर सुगमता से तय किया. इस टूर्नामेंट में तो वह विकेटकीपर फिनिशर रहे , महेंद्र सिंह धोनी की तरह.
9 साल पहले जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे क्रिकेट में पदार्पण करने के साथ शतक जड़ने वाले राहुल ने अपने करियर में कई उतार-चढ़व देखे और एक समय एक टीवी शो पर विवादित टिप्पणी के कारण निलंबन भी झेला, लेकिन वर्ल्ड कप 2023 में खिताब के करीब पहुंचकर चूकने से बड़ा जख्म शायद ही कोई रहा हो.
यही वजह है कि उस फाइनल के काफी बाद आर. अश्विन से यूट्यूब चैनल पर बातचीत में राहुल ने कहा था ,‘मैं अगर आखिर तक टिक जाता और 30-40 रन और बना लेता तो हम विश्व कप जीत सकते थे. मुझे इसका खेद रहेगा.’
अहमदाबाद में उस रात स्टेडियम में मौजूद एक लाख से ज्यादा दर्शकों को उस हार ने भले ही खामोश कर दिया था, लेकिन रविवार को न्यूजीलैंड पर मिली जीत ने दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को नीले सागर में बदलने वाले हजारों क्रिकेटप्रेमियों के साथ 1-4 अरब भारतीयों को जश्न में सराबोर कर दिया.