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वर्ल्ड कप 1996: जब श्रीलंका ने सभी को चौंकाया, पहली बार जीता खिताब

1996 का विश्व कप दूसरी बार भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित किया गया, जिसका आयोजन भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से किया.

1996 (SRI LANKA) 1996 (SRI LANKA)
तरुण वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2019,
  • अपडेटेड 3:50 PM IST

1996 का विश्व कप दूसरी बार भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित किया गया, जिसका आयोजन भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से किया. इस विश्व कप में 12 देशों ने हिस्सा लिया. संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड्स और केन्‍या ने पहली बार विश्व कप में भाग लिया. नीदरलैंड्स ने अपने पांचों मैच गंवाए और संयुक्त अरब अमीरात ने एक मैच में जीत हासिल की लेकिन केन्‍या ने वेस्टइंडीज को हराकर सबको चौंकाया.

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सभी 12 टीमों को छह-छह के दो ग्रुपों में बांटा गया. दोनों ग्रुपों की शीर्ष चार टीमों को क्वार्टर फाइनल में जगह मिली. वैसे तो 15 ओवर तक दो फील्डरों के ही 30 गज के दायरे से बाहर रहने का नियम तो 1992 के विश्व कप से ही आया था लेकिन बल्लेबाजों ने इसका असली फायदा वर्ष 1996 के विश्व कप से उठाना शुरू किया. इसका सबसे ज्‍यादा लाभ उठाया श्रीलंका, भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों ने. इसी विश्व कप से तीसरे अंपायर की भी भूमिका शुरू हुई.

इस विश्व कप में श्रीलंका में होने वाले मैचों को लेकर विवाद भी हुआ. विश्व कप के कुछ दिन पहले संदिग्ध तमिल विद्रोहियों के हमले में 90 लोग मारे गए थे. ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने श्रीलंका में जाकर मैच खेलने से इनकार कर दिया. लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने ये दोनों मैच का विजेता श्रीलंका को घोषित कर दिया. श्रीलंका को इसका लाभ मिला और ग्रुप में उसकी टीम शीर्ष स्थान पर रही. ग्रुप बी में दक्षिण अफ्रीका ने अपने सभी मैच जीते और उसे तगड़ा दावेदार भी माना जा रहा था.

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ग्रुप ए से ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज की टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंची थीं. ऑस्ट्रेलिया ने भी पांच में से तीन मैच जीते और भारत ने भी तीन. ग्रुप बी से दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई. क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड का मुकाबला श्रीलंका से हुआ, तो भारत का मुकाबला अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से. दक्षिण अफ्रीका की टीम भिड़ी वेस्टइंडीज से तो ऑस्ट्रेलिया के सामने थी न्‍यूजीलैंड की टीम.

कोलकाता के ईडन गार्डन में भारत और श्रीलंका के बीच हुआ सेमीफाइनल मैच काफी नाटकीय रहा. एक लाख 10 हजार से ज्‍यादा संख्या में मौजूद दर्शक भारत की तय मानी जा रही हार पचा नहीं पाए और हुडदंग पर उतर आए. श्रीलंका के 252 रनों के जवाब में भारत ने 120 रन पर अपने आठ विकेट गंवा दिए थे. पिच तो ऐसी हो गई कि गेंद कब कहां घूम रही थी, बल्लेबाजों के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा था. हुड़दंग के कारण आईसीसी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया. हालांकि उनकी जीत तो तय ही थी.

दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज का मैच भी क्रिकेट में उतार-चढ़ावा की एक रोमांचक दास्तां बना. पहले खेलते हुए एक समय ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ 15 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे. लेकिन स्टुअर्ट लॉ और माइकल बेवन ने पारी संभाली और ऑस्ट्रेलिया 207 रन बनाने में कामयाब रहा. एक समय वेस्टइंडीज की जीत पक्की लग रही थी और 42वें ओवर में उसका स्कोर था दो विकेट पर 165 रन.

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लेकिन शेन वॉर्न ने चार विकेट लिए, कप्तान मार्क टेलर ने अच्छी रणनीति अपनाई और वेस्टइंडीज ने 37 रन पर अपने आठ विकेट गंवा दिए. कप्तान रिची रिचर्ड्सन 49 रन पर नाबाद रहे और खड़े देखते रहे. ऑस्ट्रेलिया की टीम पांच रन से जीत गई. फाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला श्रीलंका से हुआ. लेकिन इतने एकतरफा फाइनल की किसी ने कल्पना नहीं की थी. ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए मार्क टेलर के 74 रनों की मदद से 241 रन बनाए लेकिन श्रीलंका ने तीन विकेट के नुकसान पर ही लक्ष्य हासिल कर लिया.

किसी भी विश्व कप फाइनल में एक खिलाड़ी ने इतना दमखम नहीं दिखाया था, जैसा कि इस फाइनल में अरविंद डी सिल्वा ने दिखाया. उन्होंने दो कैच पकड़े, तीन विकेट लिए और नाबाद 107 रनों की पारी खेली. श्रीलंका ने लाहौर के मैदान पर जीत हासिल की और पहली बार विश्व कप का खिताब हासिल किया. भारत और पाकिस्तान के बाद श्रीलंका ख़िताब जीतने वाला तीसरा एशियाई देश बना.

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