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Sonali Chandok: पंजाब से मुंबई और फिर कनाडा, 46 की उम्र में इस महिला क्रिकेटर ने कर दिया कमाल

यह महिला क्रिकेटर सोनाली चंदोक हैं. उनकी कनाडा से डेब्यू करने की यात्रा भी काफी अलग और प्रभावित करने वाली है. उन्होंने सबसे पहले पंजाब के लिए क्रिकेट खेली थी. फिर मुंबई के लिए क्रिकेट खेली. अब कनाडा के लिए डेब्यू किया है...

Sonali Chandok (Twitter) Sonali Chandok (Twitter)
aajtak.in
  • ओटावा,
  • 08 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST
  • सोनाली ने 10 साल की उम्र में क्रिकेट शुरू किया
  • करीब 16 साल भारत में नेशनल क्रिकेट खेला
  • 2016 में कनाडा शिफ्ट हुई थीं सोनाली

क्रिकेट में माना जाता है कि 40 साल की उम्र तक आते-आते खिलाड़ी रिटायर हो जाता है. ज्यादा से ज्यादा 42 या 45 साल तक क्रिकेट खेल सकता है. ऐसा ही देखा भी गया है, लेकिन एक भारतीय महिला क्रिकेटर ने कुछ अलग ही कर दिखाया है. उन्होंने 46 साल की उम्र में कनाडा के लिए डेब्यू किया और साबित कर दिया है कि उम्र महज एक नंबर होती है.

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यह महिला क्रिकेटर सोनाली चंदोक हैं. उनकी कनाडा से डेब्यू करने की यात्रा भी काफी अलग और प्रभावित करने वाली है. उन्होंने सबसे पहले पंजाब के लिए क्रिकेट खेली थी. फिर मुंबई के लिए क्रिकेट खेली. अब कनाडा के लिए डेब्यू किया है.

पंजाब और मुंबई के लिए क्रिकेट खेली

ऑलराउंडर सोनाली ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने 10 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था. इसके बाद उन्होंने पंजाब टीम और नॉर्थ जोन के लिए भी क्रिकेट खेली. 1995 में उन्होंने वेस्टर्न रेलवे में जॉब की. इसी दौरान उन्हें पंजाब से मुंबई आना पड़ा. यहां से सोनाली ने 2004 तक मुंबई और वेस्टर्न जोन के लिए क्रिकेट खेली.

उनका आखिरी मैच बोर्ड प्रेसिडेंट की तरफ से न्यूजीलैंड के खिलाफ था. उन्होंने करीब 16 साल नेशनल क्रिकेट खेली. शादी के बाद भी सोनाली ने क्रिकेट नहीं छोड़ी और मुंबई में ही कोचिंग देना भी शुरू कर दी. वे अब भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की लेवल-2 सर्टिफाइड कोच हैं. 

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2016 में कनाडा शिफ्ट हुई थीं

2016 में सोनाली कनाडा शिफ्ट हो गई थीं. यहां जाकर उन्होंने क्रिकेट कोचिंग की जॉब तलाशना शुरू किया. फिर उन्होंने वेस्ट वेनकवर क्लब में बतौर वॉलेंटियर कोच का पद मिला. इसी के साथ डिविजन लेवल पर BCMCL (ब्रिटिश कोलंबिया मैनलैंड क्रिकेट लीग) में क्रिकेट खेलना शुरू किया. टीम की कप्तानी भी की. एक साल बाद ही उन्हें डिवीजन लेवल पर बेस्ट बॉलर का अवॉर्ड भी मिला. 

इसके बाद सोनाली ने ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की महिला टीम की कप्तानी भी की. यहीं से मेरे क्रिकेट को ऊंचाइयां मिलीं. मुझे ब्रिटिश कोलंबिया के रशपाल बाजवा और अमजद बाजवा ने यह डेब्यू का मौका दिया. मैं इसके लिए उनकी शुक्रगुजार हूं.

 

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