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Mohammad Kaif: 'वहीं गलियां, वहीं लोग...' पुराने दिनों को याद करके भावुक हुआ ये क्रिकेटर

 टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का शुमार अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ फील्डर्स में किया जाता है. कैफ ने युवराज सिंह के साथ मिलकर भारतीय टीम के फील्डिंग स्टैंडर्ड को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था.

Mohammad Kaif (twitter) Mohammad Kaif (twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST
  • कैफ ने कीडगंज मोहल्ले में सीखा था क्रिकेट का ककहरा 
  • दुनिया के बेस्ट फील्डरों में गिने जाते थे मोहम्मद कैफ

Mohammad Kaif: टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का शुमार अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ फील्डर्स में किया जाता है. कैफ ने युवराज सिंह के साथ मिलकर भारतीय टीम के फील्डिंग स्टैंडर्ड को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था. कैफ ने इंटरनेशनल मैचों में शानदार फील्डिंग की बदौलत भारत के लिए ढेरों रन बनाए और कई शानदार कैच भी लपके.

मोहम्मद कैफ के लिए टीम इंडिया तक का सफर आसान नहीं रहा था. कैफ उत्तरप्रदेश के उन चंद क्रिकेटरों में से एक हैं, जिन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. प्रयागराज (इलाहाबाद) के कीडगंज मोहल्ले से लेकर भारतीय टीम तक की उनकी यात्रा काफी दिलचस्प रही. वैसे, कैफ के पिता भी रणजी ट्रॉफी में रेलवे एवं उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके थे.

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अब कैफ ने उसी कीडगंज मोहल्ले का दौरा किया, जहां वह अपने पुराने घर को भी देखने पहुंचे. कैफ ने दो तस्वीरें शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'वही गलियां, वही लोग, वही प्यार. इलाहाबाद के कीडगंज में मेरे पुराने घर की यात्रा की. इस मोहल्ला ने मुझे क्रिकेट, जिंदगी और रिश्तों के बारे में समझदार बना दिया.

मोहम्मद कैफ ने युवराज सिंह की तरह ही अंडर-19 क्रिकेट के जरिए पहली बार सुर्खियां बटोरी थीं. कैफ ने 13 टेस्ट में 32.84 की औसत से 624 रन बनाए. वहीं 125 वनडे इंटरनेशनल में उनके नाम पर 32.01 की औसत से 2753 रन दर्ज हैं. वह विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे थे. उत्तर प्रदेश को अपनी कप्तानी में पहली बार रणजी ट्रॉफी जिताने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ़ के लिए खेला था.

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मोहम्मद कैफ को ज्यादातर लोग इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल मुकाबले में खेली गई पारी के लिए याद रखते है. उस फाइनल मुकाबले में मोहम्मद कैफ (87) और युवराज सिंह के बीच छठे विकेट के लिए हुई 121 रनों की साझेदारी ने मैच में भारत की वापसी कराई थी. नतीजतन भारत ने तीन गेंद शेष रहते आठ विकेट खोकर 326 रनों का लक्ष्य हासिल कर लिया था.

 
 

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