Advertisement

मार्कस काउटो: वो शख्स जिसकी वजह से दुनिया ने सचिन-कांबली के वर्ल्ड रिकॉर्ड को जाना

सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने हैरिस शील्ड मुकाबले में नाबाद 664 रन की चमत्कारिक साझेदारी की थी. उस भागीदारी के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रन पर नाबाद रहे थे. सचिन और विनोद कांबली की इस ऐतिहासिक साझेदारी से दुनिया परिचित नहीं हो पाती यदि अंपायर मार्कस काउटो ना होते.

मार्कस काउटो (FILE Photo) मार्कस काउटो (FILE Photo)
अनुराग कुमार झा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST

मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर सोमवार (24 अप्रैल) को 50 साल के हो गए. सचिन ने महज 16 साल 205 दिन की नन्ही सी उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था. इसके बाद सचिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 24 साल तक अपने खेल से फैन्स का भरपूर मनोरंजन किया. इस अद्भुत सफर के दौरान सचिन ने इतने कीर्तिमान बना डाले कि उन्हें 'क्रिकेट के भगवान' का दर्जा दे दिया गया.

Advertisement

सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट जगत में पहचान विनोद कांबली के साथ मिलकर की गई यादगार पार्टनरशिप ने दिलाई थी. साल 1988 में 23-25 फरवरी के दौरान मुंबई के आजाद मैदान पर हैरिस शील्ड का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था. उस मुकाबले में सचिन और विनोद कांबली ने शारदाश्रम विद्यामंदिर टीम की ओर से सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ नाबाद 664 रन की चमत्कारिक साझेदारी की थी.

सचिन-कांबली: (File Photo)

उस भागीदारी के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रन पर नाबाद रहे थे. उस समय क्रिकेट के किसी भी आयु वर्ग में किसी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी. सचिन और कांबली ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों टी. पल्टन और एन. रिपन के बनाए गए 641 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था. हालांकि, 19 साल बाद हैदराबाद में मनोज कुमार और मो. शैबाज ने 721 रन की साझेदारी कर सचिन-कांबली का रिकॉर्ड तोड़ दिया.

Advertisement

मार्कस काउटो की मेहनत रंग लाई

सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की इस ऐतिहासिक साझेदारी से दुनिया परिचित नहीं हो पाती यदि अंपायर मार्कस काउटो ना होते. दरअसल क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली विजडन पत्रिका ने सचिन और कांबली के इस रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया था. लेकिन मार्कस काउटो की कड़ी मेहनत के चलते ही दुनिया को एक महीने बाद इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप के बारे में पता चल पाया.

सचिन के बगल में खड़े मार्कस काउटो, फोटो क्रेडिट: ( (Ricky Couto)

मार्कस काउटो के मुताबिक उस मैच के लिए 10 स्कोरर थे और स्कोरकार्ड में भी गड़बड़ी आ गई थी. ऐसे में स्कोर का मिलान करने के लिए माकर्स काउटो ने सचिन तेंदुलकर के 326 रनों के स्कोर में से तीन रन हटा दिए. सचिन अब भी मार्कस काउटो को वह बात याद दिलाना नहीं भूलते. सचिन का मानना है कि तीन रन अतिरिक्त (extras) में से कम करने चाहिए थे.

सचिन के क्लासमेट थे मार्कस के भाई

मार्कस काउटो और उनके छोटे भाई रिकी काउटो के साथ सचिन तेंदुलकर की खूब बनती थी. रिकी काउटो तेंदुलकर और विनोद कांबली के सहपाठी थे, वहीं मार्कस ने सचिन तेंदुलकर के स्कूल के कई मैचों में अंपायरिंग की. मार्कस काउटो बाद में एक जान-माने अंपयार बन गए और उन्हें एक वूमेन्स ओडीआई में अंपायरिंग करने का मौका मिला. इसके साथ ही मार्कस काउटो ने 17 लिस्ट-ए, 5 टी20 और एक प्रथम श्रेणी मुकाबलों में अंपायरिंग की.

Advertisement

62 साल के मार्कस ने एक इंटरव्यू में सचिन को लेकर कहा, 'सचिन में कोई बदलाव नहीं आया और वह बर्फ की तरह हैं, हमेशा कूल रहते हैं. सचिन इतने शर्मीले थे कि जब उन्हें शारदाश्रम विद्यामंदिर की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में मंच पर बोलने के लिए बुलाया गया तो उन्होंने सिर्फ 'थैंक्यू' कहा, जबकि कांबली पांच मिनट से अधिक समय तक बोले.'

रिकी काउटो के साथ सचिन और कांबली, फोटो: (Ricky Couto)

साईराज बहुतुले की जमकर हुई थी धुनाई

विनोद कांबली उस पार्टनरशिप को लेकर कहते हैं, 'वह साझेदारी हमारे करियर के लिए एक टर्निंग प्वाइंट रही. इसने हमारी जीवन को बदल दिया. इस पार्टनरशिप ने मुंबई और भारतीय टीम में हमारे चयन का रास्ता बनाया था.' उस सेमीफाइनल मुकाबले में सचिन-कांबली ने मिलकर सेंट जेवियर टीम के गेंदबाज साईराज बहुतुले के गेंदों की जमकर धुनाई की थी. साईराज बहुतुले भी भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने में सफल रहे थे.

कांबली ने आगे कहा, 'एक बार सेट होने के बाद तेंदल्या (सचिन) और मैंने गेंदबाजों के साथ जमकर खिलवाड़ किया. सचिन एक घुटने पर बैठ गया और बहुतुले को मिडविकेट पर छक्का मार दिया. मैं भी कहां पीछा रहने वाला था और थोड़ी देर बाद मैने भी ऐसा ही शॉट लगाया.' उस मुकाबले में शारदाश्रम विद्यामंदिर की टीम ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी थी. पहले दिन समाप्ति पर सचिन और कांबली क्रमश: 192 और 182 रन बनाकर नाबाद रहे थे.

Advertisement
रमाकांत आचरेकर के साथ सचिन-कांबली, फोटो क्रेडिट: (Getty Images)

...जिद पर अड़े रहे थे सचिन-कांबली

दूसरे दिन सचिन-कांबली को बार-बार निर्देश दिया गया कि वे पारी घोषित कर दें, लेकिन दोनों इसकी अनदेखी करते रहे. हर बार 12वां खिलाड़ी यह संदेश लेकर आता कि सर (रमाकांत आचरेकर) ने इनिंग्स घोषित करने के लिए कहा था, लेकिन सचिन उसे भगा देते. उस मैच में रमाकांत आचरेकर मैदान पर नहीं थे, इसलिए सहायक कोच लक्ष्मण चौहान ने बाउंड्री लाइन से दोनों को मनाने की काफी कोशिश की.

आखिरकार लक्ष्मण चौहान थक-हारकर अपने ऑफिस पहुंचे और उन्होंने आचरेकर को फोन करके कहा कि सचिन-कांबली ने तिहरा शतक पार कर लिया है, लेकिन दोनों खेलने पर अड़े हुए हैं. बाद में लंच ब्रेक के दौरान सचिन और कांबली ने आजाद मैदान के सामने वाली गली खाऊ गली के एक पीसीओ से आचरेकर को फोन किया.

रमाकांत की फटकार के बाद माने सचिन-कांबली

रमांकत आचरेकर ने फोन पर सचिन से कहा कि पारी घोषित करो, लेकिन सचिन ने विनोद कांबली को तुरंत फोन थमा दिया. कांबली ने आचरेकर से कहा कि उन्हें 350 का आंकड़ा छूने के लिए सिर्फ एक रन चाहिए. लेकिन आचरेकर ने चिल्लाते हुए कहा कि इनिंग्स डिक्लेयर करो. अंत में उन्हें पारी की घोषणा करनी पड़ी और कांबली 349 रनों पर नाबाद लौटे. विनोद कांबली ने बाद में गेंद से कमाल दिखाते हुए 37 रन देकर छह विकेट चटकाए और टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement