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दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने शुक्रवार को अपने क्रिकेट करियर से संन्यास का ऐलान कर दिया है. जालंधर की गलियों से निकले हरभजन सिंह ने अपने 25 साल के सफर के लिए कई लोगों का शुक्रिया अदा किया. हरभजन सिंह ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू मात्र 18 साल की उम्र में 1998 में किया था. हरभजन ने इसके बाद सौरव गांगुली की कप्तानी में लंबा समय बिताया. हरभजन ने सौरव गांगुली को उनका करियर बेहतर बनाने और उन पर भरोसा करने के लिए शुक्रिया अदा किया है.
टर्बनेटर के नाम से मशहूर हरभजन सिंह ने PTI से बात करते हुए कहा कि सौरव गांगुली ने उनके करियर को हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा , 'जब सौरव गांगुली कप्तान बने थे तब मैं कुछ नहीं था और जब धोनी कप्तान बने थे तब मैंने अपना नाम बना लिया था. सौरव गांगुली जानते थे कि मेरे अंदर स्किल्स हैं पर उन्हें यह नहीं पता था कि मैं अच्छा प्रदर्शन कर पाउंगा या नहीं.'
हरभजन ने कहा कि आपको अपने करियर में हमेशा एक ऐसे इंसान की जरूरत होती है जो आपको गाइड कर सके और मेरे लिए सौरव गांगुली वही शख्स हैं. हरभजन ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज वो जो कुछ भी हैं उसका काफी क्रेडिट सौरव गांगुली को बतौर कप्तान जाता है.'
वहीं हरभजन ने धोनी की कप्तानी में खेले गए मुकाबलों को भी याद करते हुए कहा कि उन्होंने सौरव गांगुली की विरासत को बखूबी आगे बढ़ाया और उन्होंने धोनी के साथ कई मुकाबले लड़कर जीते जिन्हें वो हमेशा याद रखेंगे.
ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के अंडर में 118 इंटरनेशनल मुकाबले खेले और 273 विकेट अपने नाम किए. 2001 में खली गई ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज हमेशा हरभजन के लिए खास रहेगी. भज्जी ने इस सीरीज के 3 मैचों में 32 विकेट झटके थे जो अभी तक रिकॉर्ड है. इस सीरीज में टीम इंडिया की कमान सौरव गांगुली के हाथो में थी.
साल 2000 से लेकर 2008 तक हरभजन सिंह ने लेग स्पिनर अनिल कुंबले के साथ मिलकर भारतीय स्पिन गेंदबाजी का मोर्चा संभाला. दोनों ने मिलकर भारतीय टीम को कई ऐतिहासिक मुकाबले जिताए हैं.