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ICC Champions Trophy 2025: फंस गया पाकिस्तान! चैम्पियंस ट्रॉफी से हटने पर होगा 'टोटल बायकॉट', भुगतने पड़ेंगे ये परिणाम

Champions Trophy 2025 News: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अगर चैम्पियंस ट्रॉफी के आयोजन को लेकर चल रहे गतिरोध के कारण प्रतियोगिता से हटने का फैसला करता है तो उसको राजस्व के भारी नुकसान के अलावा मुकदमों का भी सामना कर पड़ सकता है और वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलग-थलग भी पड़ सकता है.

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aajtak.in
  • कराची,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

Champions Trophy 2025: चैम्पियंस ट्रॉफी के आयोजन को लेकर चल रहे गतिरोध के कारण पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) अगर टूर्नामेंट से हटने का फैसला करता है तो उसे भारी नुकसान होगा. अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाली इस 50 ओवरों के टूर्नामेंट से हटने पर पीसीबी को न सिर्फ राजस्व का भारी नुकसान होगा, बल्कि उसे मुकदमों का भी सामना कर पड़ सकता है और वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलग-थलग भी पड़ सकता है. 

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की प्रतियोगिताओं के आयोजन से जुड़े एक वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक ने बुधवार को पीटीआई को बताया कि अगर आईसीसी और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) हाइब्रिड मॉडल को पूरी तरह से स्वीकार करने से इनकार करते हैं तो पीसीबी के लिए टूर्नामेंट से हटने का फैसला करना आसान नहीं होगा.

इस अधिकारी ने कहा, ‘पाकिस्तान ने न केवल आईसीसी के साथ मेजबानी से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, बल्कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य सभी देशों की तरह उसने आईसीसी के साथ सदस्यों की अनिवार्य भागीदारी से संबंधित समझौते (MPA) पर भी हस्ताक्षर किए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आईसीसी की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए एमपीए पर हस्ताक्षर करने के बाद ही कोई सदस्य देश आईसीसी प्रतियोगिताओं से होने वाली कमाई का हिस्सा पाने का हकदार होता है.’

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PCB चीफ मोहस‍िन नकवी (बाएं) एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान (Photo: PCB/ File)

अधिकारी में कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण बात किया है कि आईसीसी ने अपनी सभी प्रतियोगिताओं के लिए प्रसारक से समझौता किया है, जिसमें उसने गारंटी दी है कि चैम्पियंस ट्रॉफी सहित आईसीसी की प्रतियोगिताओं में उसके सभी सदस्य देश भाग लेंगे.’

आईसीसी पिछले हफ्ते चैम्पियंस  ट्रॉफी का आयोजन हाइब्रिड मॉडल से करवाने पर सहमति हासिल करने में सफल रहा था. इसके अनुसार भारत अपने मैच दुबई में खेलेगा. इसके अलावा आईसीसी की 2027 तक होने वाली प्रतियोगिताओं में यह व्यवस्था बरकरार रहेगी. इसकी हालांकि अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं की गई है.

अगर यह समझौता हो जाता है तो इसका मतलब होगा कि पाकिस्तान 2027 तक होने वाली आईसीसी प्रतियोगिताओं के लिए भारत का दौरा करने के लिए बाध्य नहीं होगा.

प्रशासक ने कहा कि अगर पाकिस्तान चैम्पियंस ट्रॉफी से हटता है तो आईसीसी और यहां तक कि आईसीसी कार्यकारी बोर्ड में शामिल अन्य 16 सदस्य देश भी उसके खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं. प्रसारक भी यह रास्ता अपना सकता है क्योंकि पाकिस्तान के बाहर हो जाने से सभी हितधारकों को नुकसान होगा. उन्होंने इसके साथ यह भी खुलासा किया कि पीसीबी को कार्यकारी बोर्ड के अन्य सदस्यों से ठोस समर्थन नहीं मिला है.

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1996 के बाद पाकिस्तान का यह पहला ICC इवेंट 
1996 के वर्ल्ड कप आयोजन के बाद यह पाकिस्तान का पहला आईसीसी इवेंट है, तब भारत और पाकिस्तान भी इस आयोजन का को-होस्ट था. लेकिन फ‍िलहाल पाक‍िस्तान में इस टूर्नामेंट की संभावना बेहद कम है. 

2012 में दोनों देशों के बीच हुई थी द्व‍िपक्षीय सीरीज 
भारत और पाकिस्तान ने 2012 के बाद से कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है, लेकिन पिछले साल भारत में हुए वनडे वर्ल्ड कप सहित आईसीसी टूर्नामेंटों में वे एक-दूसरे का सामना करते रहे हैं. पिछले साल पाकिस्तान द्वारा आयोजित एशिया कप को भी हाइब्रिड मॉडल में बदल दिया गया था, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया था. भारत ने तब अपने सभी मैच श्रीलंका में खेले थे. 

2017 के बाद पहली बार हो रहा है चैम्प‍ियंस ट्रॉफी का आयोजन 
चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 के बाद ICC कैलेंडर में वापसी कर रही है. इसको  'हाइब्रिड' मॉडल में बदला जा सकता है, जिसमें भारत अपने सभी मैच किसी दूसरे स्थान पर खेल सकता है, संभवतः UAE में... जबकि टूर्नामेंट का बाकी हिस्सा पाकिस्तान द्वारा आयोजित किया जाएगा. पाकिस्तान ने 2017 में इंग्लैंड में आयोजित चैम्पियंस ट्रॉफी के पिछले संस्करण को जीता था. वह इस बार 19 फरवरी से 9 मार्च तक होने वाले टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा. 

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भारत ने साल 2008 से पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है. भारतीय टीम आखिरी बार 2008 में एशिया कप के लिए पाकिस्तान गई थी. भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सीरीज आखिरी बार 2012-13 में हुई थी. इसके बाद दोनों टीमों के बीच सिर्फ एशिया कप और आईसीसी टूर्नमेंट में ही मुलाकात हुई है.

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