
ICC Test Ranking: एक अच्छे क्रिकेट सीज़न में एक हल्का ठहराव आया है. ऐशेज़ सीरीज़ ख़त्म हुई और उधर दक्षिण अफ़्रीका में भारतीय टीम से चल रही टेस्ट सीरीज़ का भी अंत हुआ. दोनों ही केस में घरेलू टीमों ने सीरीज़ जीती. हालांकि दक्षिण अफ़्रीका को भारत से कड़ी टक्कर मिली लेकिन इंग्लैण्ड अपने सबसे पुराने प्रतिद्वंदी के सामने पूरी तरह से नतमस्तक दिखी.
इस ठहराव के दौरान ही आईसीसी ने नयी रैंकिंग जारी कर दीं. मालूम पड़ा कि ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप विजेता न्यूज़ीलैंड से भी आगे निकलकर पहले स्थान पर पहुंच गयी. न्यूज़ीलैंड दूसरे नंबर पर थी और अब भी है. सीरीज़ का दूसरा और तीसरा मैच हारने के बाद भारत तीसरे नंबर पर आ गया है. वहीं टेस्ट बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी, दोनों की रैंकिंग में ऑस्ट्रेलिया का ही खिलाड़ी है. बल्लेबाज़ी में मार्नस लबुशेन और गेंदबाज़ी में ऑस्ट्रेलिया के नये कप्तान और तेज़ गेंदबाज़ पैट कमिंस हैं. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिये बीता कुछ समय काफ़ी अच्छा निकला है. इसी टीम ने अक्टूबर में हुआ टी-20 विश्व कप भी जीता था.
लेकिन ये रैंकिंग और इसमें दिख रहे आंकड़े असल तस्वीर के साथ न्याय करते हुए नहीं दिखते हैं. 2021 के पहले ही पखवाड़े में भारत के हाथों मिली अप्रत्याशित हार के बाद ऑस्ट्रेलिया ने सीधे दिसंबर महीने में इंग्लैण्ड के साथ सीरीज़ खेली. और अगर हम टाइम पीरियड को एक साल और पीछे ले जाएं तो मालूम पड़ता है कि जनवरी 2020 से लेकर 2021-2022 की ऐशेज़ ख़तम होने तक ऑस्ट्रेलिया ने बांग्लादेश के साथ 2 टेस्ट की सीरीज़ और भारत-इंग्लैण्ड के साथ 1-1 सीरीज़ खेली है. सबसे बड़ी बात - ये सभी मैच इनकी अपनी ज़मीन पर हुए हैं. यानी बीते दो सालों में सफ़ेद किट के साथ ऑस्ट्रेलिया की टीम नहीं उतरी ही नहीं है. ऑस्ट्रेलिया ने आख़िरी बार सितम्बर 2019 में विदेशी पिच पर मैच खेला था.
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हम यहां मुख्य तौर पर बीते सालों का रिकॉर्ड देख रहे हैं. इसमें 2019 के बाद 2020 और 2021 का खेल कोरोना वायरस की चपेट में रहा और कई विदेशी दौरे रद्द हुए. इन तीन सालों में भारत ने विदेशी पिचों पर 17 मैच खेले जिसमें 7 जीते. इनमें ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ की जीत और इंग्लैण्ड में 4 मैचों में 2-1 की बढ़त भी शामिल है. पांचवां मैच कोविड के चलते खेला नहीं जा सका था. घरेलू पिचों पर भारत ने 11 मैच खेले जिसमें मात्र 1 में हार मिली और 1 ड्रॉ रहा. जबकि ऑस्ट्रेलिया ने अपने घर में खेले 17 मैचों में 2 मैच गंवाए और 3 ड्रॉ हुए.
बीते 3 साल में, टॉप 4 टीमों में भारत ने विदेशी ज़मीन पर सबसे ज़्यादा 7 मैच जीते हैं, न्यूज़ीलैंड ने 3, ऑस्ट्रेलिया ने 2 (दोनों 2019 में) और साउथ अफ़्रीका ने 2. लेकिन भारत के पॉइंट कटते हैं क्यूंकि उसने विदेशी ज़मीन पर ज़्यादा मैच खेले हैं. इस वजह से उसे ज़्यादा हार का सामना करना पड़ा है.
टीमों द्वारा खेले गए सभी मैचों पर नज़र डालें तो एक बार फिर भारत सबसे आगे दिखता है लेकिन विदेश में मिली 7 हारों की वजह से उसके पॉइंट कटते हैं और विन-लॉस रेशियो में गिरावट आती है. जबकि घर में खेले गए मैचों में भारत ने मात्र 1 ही मैच गंवाया है. ऑस्ट्रेलिया को इसी जगह भारत के ऊपर कूदकर निकल जाने का मौका मिलता है.
बल्लेबाज़ी में मार्नस लबुशेन सबसे ऊपर हैं. लेकिन चूंकि वो ऑस्ट्रेलिया के लिये खेलते हैं और उनका करियर 2018 में शुरू हुआ, इसलिये उन्होंने भी अपने कुल 23 में मात्र 6 मैच ऑस्ट्रेलिया से बाहर खेले हैं. बीते 2 साल में उनके सारे मैच घर पर रहे हैं. यही हाल पैट कमिंस का भी है.
लेकिन जब टी-20 की बात आती है तो मालूम पड़ता है कि कोरोना के चलते खेल का सबसे छोटा फॉर्मेट सबसे काम का रहा है. हर टीम ने ख़ासी संख्या में मैच खेले हैं. लेकिन इसमें भी टॉप टीमों में वेस्ट-इंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया वो 2 ऐसी टीमें हैं जिन्होंने जितने मैच जीते हैं, उससे कहीं ज़्यादा हारे हैं. लेकिन इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन कर वर्ल्ड-कप जीता. वही साल भर के प्रदर्शन में वो टीम सबसे आगे है जो टी-20 विश्व कप के सेमी-फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार गयी थी. पाकिस्तान ने महज़ 6 मैच गंवाए हैं जबकि 20 मैच जीते हैं.
ये सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिये कि एक टीम अगर लगभग ढाई साल से अपने घर से निकली ही नहीं है तो उसका और उसके खिलाड़ियों का राजा बनना कहां तक तर्कसंगत है? खेल के नियम सभी को बराबरी पर लाते हैं. लेकिन रैंकिंग में घर की पिच का खेल होता भी दिख रहा है. क्या रैंकिंग सिस्टम में इस फ़ैक्टर को संज्ञान में लेने का समय आ गया है? शायद, हां.