
महिला विश्व कप मुकाबले में भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के सामने एक बार फिर बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले महीने खेली गई 5 मुकाबलों की वनडे सीरीज में भी भारतीय टीम को 4-1 से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. पिछले एक महीने में न्यूजीलैंड के खिलाफ 7 मुकाबलों में भारतीय टीम को 6 बार हार का सामना करना पड़ा है. लगातार भारतीय टीम बड़ी टीमों के खिलाफ संघर्ष करती हुई दिखती है.
न्यूजीलैंड के खिलाफ फ्लॉप रही बल्लेबाजी
वनडे सीरीज के आखिरी मुकाबले में और पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप के पहले मुकाबले में जीत मिलने के बाद भारतीय टीम से उम्मीद थी कि वह न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहतर खेल दिखाकर जीत हासिल करेगी. इस मुकाबले में भी भारतीय टीम की बल्लेबाजी पूरी तरह से फ्लॉप रही. भारतीय टीम 262 रनों का पीछा करते हुए 198 रनों पर सिमट गई. बड़ी टीमों के खिलाफ मौजूदा वक्त में भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह से फ्लॉप नजर आ रही है.
ऑलराउंडर हरमनप्रीत कौर ने हैमिल्टन में कीवी टीम के खिलाफ 63 गेंदों में 71 रनों की पारी खेली. हरमनप्रीत के अलावा दूसरा सबसे बड़ा स्कोर मिताली राज (31) के नाम रहा. भारतीय टीम इस मुकाबले में ओपनिंग में बदलाव के साथ उतरी थी. भारतीय टीम ने इस मुकाबले में स्मृति मंधाना और यास्तिका भाटिया की ओपनिंग जोड़ी के साथ मैदान पर कदम रखा था, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ हाफ सेंचुरी स्कोर करने वाली स्मृति मंधाना महज 6 रन बनाकर पवेलियन वापस लौट गईं.
बड़ी टीमों के खिलाफ टीम इंडिया का खराब रिकॉर्ड
भारतीय बल्लेबाजी में निरंतरता की कमी उनकी हार का एक सबसे बड़ा कारण है. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड सरीखी मजबूत टीमों के सामने भारतीय टीम का ओवरऑल रिकॉर्ड भी चिंता का विषय है. टीम इंडिया ने वनडे क्रिकेट में इंग्लैंड के खिलाफ 72 मुकाबलों में 31 जीते और 39 हारे, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 49 मुकाबलों में केवल 10 में जीत दर्ज की और 39 में हार का सामना किया. न्यूजीलैंड के खिलाफ 54 मुकाबलों में 20 में जीत और 33 में हार का सामना करना पड़ा है.
बड़े घरेलू टूर्नामेंट और लीग की सख्त जरूरत
महिला टीम को मजबूत करने के लिए इस वक्त एक बड़ी लीग के माध्यम से युवा खिलाड़ियों को अनुभवी खिलाड़ियों के साथ तैयार करने करने का है. इंडियन प्रीमियर लीग ने भारत के युवा खिलाड़ियों को बड़े खिलाड़ियों के सामने बेहतर आत्मविश्वास और स्किल के साथ उतरने का मौका दिया है. विदेशी खिलाड़ियों के साथ युवा खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलने से टीम इंडिया बड़े मौकों के लिए एक बेहतर तैयारी के साथ अपनी उम्मीदवारी सामने रख सकती है.
2017 के विश्व कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के बाद टीम इंडिया नाजुक मौकों पर फाइनल में इंग्लैंड के पिछड़ गई थी. वहीं, 2020 में खेले गए टी-20 विश्व कप में भी फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के सामने दबाव में दिखी थी, जिसका खामियाजा उसे हार के साथ भुगतना पड़ा था.