
भारतीय क्रिकेट टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट में 6 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. इस हार के चलते भारतीय टीम ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) भी गंवा दी. भारतीय टीम ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल में पहुंचने का मौका भी गंवा दिया. अब WTC फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका की भिड़ंत होगी.
हैट्रिक लगाने का टूटा सपना...
भारतीय टीम ने जैसी शुरुआत की थी और पर्थ टेस्ट में रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की, उससे लगा कि ऑस्ट्रेलियाई धरती पर भारतीय टीम सीरीज जीत की हैट्रिक लगाएगी. लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उम्मीदें दम तोड़ती गईं. सीरीज जीत तो दूर... भारतीय टीम सीरीज ड्रॉ भी नहीं करा सकी, ताकि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा कायम रहे. भारतीय टीम की शर्मनाक प्रदर्शन के पीछे कई वजहें रहीं. आइए जानते हैं इस बारे में...
पिंक बॉल टेस्ट के लिए प्रैक्टिस का अभाव: भारतीय टीम ने शानदार शुरुआत करते हुए पर्थ टेस्ट को जीतकर सीरीज में 1-0 की बढ़ा ली थी. फिर भारत को एडिलेड में पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट खेलना था. इस डे-नाइट टेस्ट के मद्देनजर भारतीय टीम ने प्रधानमंत्री एकदाश के खिलाफ अभ्यास मैच खेला, जो बारिश के चलते 46-46 ओवरों का ही हो पाया था. ऐसे में गुलाबी गेंद से भारतीय खिलाड़ियों को उतना अभ्यास का मौका नहीं मिल सका. जब भारतीय टीम एडिलेड टेस्ट में खेलने उतरी तो उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. यहीं से भारतीय टीम का मोमेंटम बिगड़ गया. भारतीय टीम के लिए ये बेहतर नहीं होता कि वो न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में एक मैच गुलाबी गेंद से ही खेल लेती?
हिटमैन की बैटिंग पोजीशन: भारतीय कप्तान रोहित शर्मा पारिवारिक कारणों से पर्थ टेस्ट में नहीं खेले थे, ऐसे में जसप्रीत बुमराह ने उस मुकाबले में कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली. जबकि रोहित की अनुपस्थिति में यशस्वी जायसवाल के साथ केएल राहुल ने ओपनिंग की. फिर हिटमैन ने एडिलेड टेस्ट के जरिए वापसी की, जहां वो छठे नंबर पर बैटिंग करने उतरे क्योंकि राहुल ने बतौर ओपनर शुरुआती टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया था. रोहित ने एडिलेड के बाद गाबा टेस्ट में भी छठे नंबर पर बैटिंग की.
हालांकि, छठे नंबर पर रोहित शर्मा के बल्ले से रन नहीं निकले. ऐसे में मेलबर्न टेस्ट में रोहित ओपनिंग के लिए उतरे, जबकि केएल राहुल वन डाउन आए. यानी पूरा बैटिंग ऑर्डर ही रोहित की वजह से चरमरा गया. रोहित जब मेलबर्न टेस्ट में भी फेल हुए, तो उन्होंने आखिरी टेस्ट से खुद को बाहर रखा. रोहित के बाहर रहने के बाद सिडनी टेस्ट में यशस्वी के साथ केएल राहुल ने ओपनिंग की.
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज का ना होना: ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए भारतीय टीम में एक भी लेफ्ट-आर्म पेस बॉलर मौजूद नहीं था. बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों खलील अहमद और यश दयाल को तो ट्रैवलिंग रिजर्व के तौर पर ऑस्ट्रेलिया जाने का मौका मिला था, लेकिन उनकी मुख्य टीम में जगह नहीं बनी. खलील तो काफी पहले ही ऑस्ट्रेलिया से स्वदेश लौट आए थे, बाद में भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने यश दयाल को भी वापस बुला लिया. यदि भारतीय टीम में लेफ्ट आर्म पेस बॉलर होता, तो बॉलिंग अटैक में विविधता आती.
खिलाड़ियों का शॉट सेलेक्शन: इस सीरीज में सीनियर खिलाड़ियों रोहित शर्मा और विराट कोहली ने बल्ले से निराश किया. रोहित ने कुल 5 पारियां खेलकर 6.20 की बेहद खराब औसत से 31 रन बनाए. कोहली की बात करें, तो उन्होंने पर्थ टेस्ट में शतक जड़कर फॉर्म में लौटने के संकेत दिए थे, लेकिन उस शतकीय पारी के बाद पूर्व भारतीय कप्तान के बल्ले में जंग लग गई. कोहली ने इस सीरीज में 10 पारियों खेलकर 23.75 के एवरेज से 190 रन स्कोर किए. कोहली-रोहित का शॉट सेलेक्शन भी सही नहीं रहा. कोहली तो लगातार एक ही पैटर्न पर आउट होते रहे. वहीं रोहित का भी फुट मूवमेंट काफी स्लो रहा. ऋषभ पंत, शुभमन गिल जैसे युवा खिलाड़ी भी जिस तरीके से आउट हुए, वो भी टीम इंडिया के लिए चिंतानजक बात रही.
औसत दर्जे की फील्डिंग: भरतीय टीम की इस सीरीज में फील्डिंग भी औसत दर्जे की रही. भारतीय खिलाड़ियों ने कई सारे कैच छोड़े और काफी मिसफील्ड्स भी देखने को मिले. उदाहरण के लिए मेलबर्न टेस्ट में यशस्वी जायसवाल ने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में तीन कैच टपकाए. जबकि मोहम्मद सिराज ने भी नाथन लायन को जीवनदान दिया. लायन ने उस जीवनदान काफायदा उठाकर स्कॉट बोलैंड के साथ 10वें विकेट के लिए अर्धशतकीय पार्टनरशिप की थी, जिसने गेम का रुख बदल दिया. यदि आप कैच नहीं पकड़ेंगे तो मैच कहां से जीतेंगे.
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के नतीजे ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि बीसीसीआई को अब भारतीय टीम की 'सर्जरी' करने की जरूरत है. खासकर टेस्ट क्रिकेट में नए सिरे से टीम को तैयार करना होगा. रोहित शर्मा और विराट कोहली के विकल्प अभी से तलाशने होंगे, ताकि उनके रिटायरमेंट लेने पर टीम में खालीपन ना आए. वैसे हर टीम में ट्रांजिशन का फेज आता है, जिसके लिए खास तैयारी करनी होती है. भारतीय टीम अब जून-जुलाई के महीने में इंग्लैंड के खिलाफ उसकी जमीन पर पांच टेस्ट मैच खेलेगी. अभी से ही उस सीरीज के लिए भारतीय सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट को रणनीति बनानी होगी.
टीम इंडिया का ऑस्ट्रेलिया दौरा
22-25 नवंबर: पहला टेस्ट, पर्थ (भारत 295 रनों से जीता)
6-8 दिसंबर: दूसरा टेस्ट, एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया की 10 विकेट से जीत)
14-18 दिसंबर: तीसरा टेस्ट, ब्रिस्बेन (ड्रॉ)
26-30 दिसंबर: चौथा टेस्ट, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया की 184 रनों से जीत)
03-05 जनवरी: पांचवां टेस्ट, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया 6 विकेट से जीता)