
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के दूसरे और अंतिम दिन स्पोर्ट्स सेशन 'द गेम चेंजर फॉर्म एंड फॉर्मेट' का आयोजन हुआ. इस सत्र के दौरान भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली, मौजूदा टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे, भारत को चौथा अंडर-19 वर्ल्ड कप दिलाने वाले चैंपियन कप्तान पृथ्वी शॉ और बीसीसीआई के सीईओ राहुल जोहरी मौजूद रहे.
इस सेशन का संचालन इंडिया टुडे के स्पोर्ट्स एडिटर बोरिया मजूमदार ने किया. बोरिया मजूमदार ने पृथ्वी शॉ से पूछा कि जब आप 14 साल के थे, तब इतनी जल्दी आपने सौरव गांगुली और अजिंक्य रहाणे जैसे दिग्गजों के साथ इंडिया टुडे का मंच साझा करने के बारे में सोचा था. कैसा लग रहा है आपको.'
पृथ्वी शॉ ने कहा, सचमुच कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के कॉन्क्लेव का हिस्सा बनूंगा. मुझ पर दबाव नहीं. इसके बाद बोरिया ने पृथ्वी शॉ से पूछा कि आपके साथ अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान किसी भी तरह की स्लेजिंग हुई थी. इस पर उन्होंने कहा- अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान मेरे साथ कोई स्लेजिंग नहीं हुई थी.
बोरिया ने पृथ्वी शॉ से पूछा कि आपको किस कप्तान का स्टाइल पसंद है विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे या सौरव गांगुली का. इस पर पृथ्वी ने बड़ी चतुराई से जवाब दिया कि हर किसी का अपना अलग स्टाइल होता है.
पृथ्वी शॉ ने कहा कि अंडर 19 वर्ल्ड कप के साथ सीनियर वर्ल्ड कप जीतने का भी उनका सपना है.
सचिन से की जाती है पृथ्वी की तुलना
भारतीय अंडर 19 टीम के कप्तान पृथ्वी शॉ की कप्तानी में इस साल टीम इंडिया ने अंडर-19 वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया था.
टीम इंडिया के कप्तान पृथ्वी शॉ ने इस पूरे टूर्नामेंट में शानदार कप्तानी के साथ बल्ले से भी अपना लोहा मनवाया. दिग्गजों ने भी उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली से की है. शॉ ने टूर्नामेंट में कुल 261 रन बनाए हैं.
इन कारणों से चर्चा में आए थे पृथ्वी
पृथ्वी नवंबर 2013 में सुर्खियों में तब आए थे, जब उन्होंने 16 साल की उम्र में हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में सेंट फ्रांसिस टीम के खिलाफ रिजवी स्प्रिंगफील्ड की ओर से खेलते हुए 330 गेंदों में 546 रन बना डाले थे. उन्होंने इस पारी में 85 चौके तथा पांच छक्के लगाए थे.
पृथ्वी शॉ जब 4 साल के थे तब ही उनकी मां का निधन हो गया था. वे 3 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहे हैं.
कोच राहुल द्रविड़ से अच्छी रही केमिस्ट्री
कोच राहुल द्रविड़ के निर्देशन में भारतीय टीम पूरे टूर्नामेंट में अविजित रही. पृथ्वी शॉ की कप्तानी में जूनियर टीम इंडिया ने बिना कोई मैच गंवाए फाइनल तक का सफर तय किया और खिताबी मुकाबले में कंगारुओं को चारों खाने चित कर दिया.
सबसे ज्यादा अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने की बात करें, तो उसने चार बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम कर ऑस्ट्रेलिया को पछाड़ा. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले तक भारत-ऑस्ट्रेलिया 3-3 बार चैंपियन बनने का रिकॉर्ड रखते थे.