
भारत का साल 1983 में क्रिकेट वर्ल्डकप जीतना एक ऐसी घटना थी, जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. लेकिन वो हो गया, इस सबके बीच कुछ ऐसा भी हुआ था जिसपर एक अलग किताब लिखी जा सकती है. हैरानगी की बात ये वो बात रिकॉर्ड नहीं हो सकी, ये थी तब के कप्तान कपिल देव की जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की पारी. जिसे वनडे इतिहास की सबसे बेहतरीन पारी बताया जाता है, लेकिन अब उसे देखा नहीं जा सकता.
भारत और जिम्बाब्वे दोनों ही उस वक्त की कमजोर टीमें थीं, ऐसे में इन टीमों के फैंस के अलावा किसी और की इस मैच में दिलचस्पी काफी कम थी. लेकिन मैच शुरू हुआ, मैदान पूरा लबालब था. टीम इंडिया ने इस मुकाबले में टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फैसला लिया. कपिल देव का ये फैसला बिल्कुल गलत साबित हुआ.
सुनील गावस्कर और के. श्रीकांत दोनों ही बिना रन बनाए आउट हो गए. मोहिंदर अमरनाथ आए, वो भी पांच रन बनाकर चलते बने. संदीप पाटिल भी 1 रन ही बना पाए. मैदान में बैठे हर व्यक्ति के लिए ये हैरानगी वाला वक्त था, ऐसा किसी ने सोचा ना था और लगने लगा था कि कहीं जिम्बाब्वे इस मैच को ना जीत पाए.
जब 9 रन पर 4 विकेट गिरे, तब कपिल देव मैदान में आए. कप्तान के सामने एक महाचुनौती थी, लेकिन चुनौती और भी बढ़ी होने वाली थी. क्योंकि 17 रन के स्कोर पर टीम इंडिया का पांचवां विकेट भी गिर गया. टीम इंडिया के टॉप पांच बल्लेबाज आउट हो गए थे, कपिल देव और रोजर बिन्नी क्रीज़ पर थे.
लेकिन असली खेल अब शुरू हुआ. दोनों के बीच साझेदारी होनी शुरू हुई, टीम इंडिया का स्कोर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा. कुछ देर बाद रोजर बिन्नी आउट हो गए, रवि शास्त्री आए और आते ही चलते भी बने. ऐसे में कपिल देव के साथ सिर्फ मदनलाल थे. कपिल देव और मदनलाल के बीच साझेदारी हुई, टीम इंडिया का स्कोर किसी तरह 140 पहुंच गया था.
मदनलाल भी आउट हुए तो सैयद किरमानी बैटिंग करने आए, तब टीम इंडिया के पास कोई चारा नहीं बचा था. क्योंकि आठ विकेट गिर चुके थे, ओवर भी धीरे-धीरे खत्म हो रहे थे, ऐसे में सैयद किरमानी ने कपिल देव को कहा कि अब तुम अपना नैचुरेल गेम ही खेलो. लेकिन कपिल देव पूरे 60 ओवर खेलना चाहते थे.
हालांकि, जो हुआ उसमें दोनों ही बातें मिक्स हो गई. इसके कपिल देव ने आक्रामक बैटिंग शुरू कर दी, देसी भाषा में बोलें तो जिम्बाब्वे के बॉलर्स की तुड़ाई शुरू कर दी. कपिल देव ने उस पारी में कुल 138 बॉल खेलीं और 175 रन बनाए. कपिल देव ने अपनी पारी में 16 चौके मारे और 6 छक्के भी मारे.
कपिल देव के चमत्कार के दम पर टीम इंडिया का स्कोर 266 पहुंच गया, एक वक्त पर हाथ से निकलते हुए दिख रहे इस मैच को कपिल देव के चमत्कार ने पलट दिया. भारत ने इस मुकाबले में जिम्बाब्वे को 31 रन से मात दी. कपिल देव की उस पारी को भारत के दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने गेम बदलने वाली पारी बताई, गेम सिर्फ वो मैच नहीं बल्कि क्रिकेट खेलने के तरीके वाले गेम को ही बदलने का दावा किया.
हालांकि, कपिल देव की इस पारी को कोई रिकॉर्ड नहीं कर पाया था. क्योंकि तब ब्रिटेन में बीबीसी की हड़ताल चल रही थी. एक थ्योरी ये भी है कि बीबीसी ने इस मैच को रिकॉर्ड करने का कोई प्लान ही नहीं बनाया था क्योंकि भारत और जिम्बाब्वे दोनों ही बहुत पिछड़े दर्जे वाली टीमें थीं. ऐसे में उनका मैच रिकॉर्ड करने का कोई फायदा नहीं था. और कपिल देव का इतना बड़ा धमाका कोई देख/सुन ही नहीं पाया.