
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मंगलवार (12 अप्रैल) भारतीय क्रिकेट की दो महान हस्तियों का मुकाबला है. एक तरफ महेंद्र सिंह धोनी हैं और दूसरी ओर विराट कोहली. दोनों ही अब पूर्व कप्तान हो गए हैं और आईपीएल में अपनी टीम को जिताने की कोशिश में हैं. धोनी-कोहली ने लंबे वक्त तक भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाली है, ऐसे में उनकी कही हर बात पर लोगों की नज़र रहती है.
पूर्व CAG विनोद राय द्वारा हाल ही में लिखी गई किताब में भी Not just a Night Watchman: My innings in the BCCI में भी महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली का जिक्र किया गया है. ये तब होता है जब विनोद राय बीसीसीआई के COA की जिम्मेदारी संभालते हैं और विराट कोहली-एमएस धोनी को खिलाड़ियों की समस्याएं जानने के लिए बुलाते हैं.
किताब में विनोद राय ने लिखा है, '31 अक्टूबर, 2017 को मैंने महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली से नई दिल्ली के आईटीसी मौर्य होटल में मुलाकात की. मेरा मकसद क्रिकेटर्स के सामने आने वाली चुनौतियों को जानने की थी. धोनी-कोहली ने खुलकर इसपर बात की और अपनी ओर से हर इनपुट दिया.'
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एमएस धोनी और विराट कोहली ने सबसे पहले वर्कलोड मैनेजमेंट का मुद्दा उठाया, जो तब से ही चला आ रहा है. 2016 में खिलाड़ियों ने करीब 232 दिन गेम में बिताए, जो काफी ज्यादा था. इसके अलावा आईपीएल भी हो रहा था, जहां कुछ दिनों के भीतर ही खिलाड़ियों को 14 मैच खेलने होते हैं.
इस मीटिंग में इसके अलावा खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट, मुआवजे को लेकर बात की गई थी. विनोद राय ने किताब में बताया है कि यूं तो भारतीय क्रिकेटर्स की फीस विश्व में सबसे बेहतर है, लेकिन कुछ मामलों में अभी भी कमी थी. तीसरा अहम मसला विदेशी दौरों के दौरान खिलाड़ियों के रहने और उनके परिवार के रुकने की व्यवस्था को लेकर था.
धोनी-कोहली के सुझावों पर हुआ था एक्शन
महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली के साथ हुई इस मीटिंग के बाद ही विनोद राय और उनकी टीम ने कुछ अहम बदलाव किए थे. जिसमें खिलाड़ियों के सालाना कॉन्ट्रैक्ट को चार भागों में बांट दिया गया था. इसमें A+, A, B, C ग्रुप शामिल थे. इसमें क्रमश: 8, 7, 5 और 3 करोड़ रुपये फीस करने का प्रस्ताव दिया गया था.
इन सभी प्रस्तावों को बीसीसीआई की वित्तीय कमेटी के पास भेजा गया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया इस कमेटी की कमान संभाले हुए थे, जिन्होंने प्रस्तावों पर बेहतर रिस्पॉन्स किया. लेकिन उसके बाद भी प्रक्रियाओं में चीज़ें अटकी रहीं. जिसके बाद विनोद राय एंड टीम ने जल्दबाजी ना करते हुए वित्तीय कमेटी को इन प्रस्तावों पर काम करने के लिए कुछ वक्त दिया.
इनका असर सिर्फ पुरुष क्रिकेट ही नहीं बल्कि महिला क्रिकेट पर भी देखने को मिला. पूर्व महिला क्रिकेटरों को बोर्ड की ओर से मिलने वाली राशि को बढ़ाया गया, जिसे 15 हजार रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर साढ़े 22 हजार रुपये प्रति महीना तक किया गया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी एक साल (2017-18) तक एक्टिव रही, जिस दौरान इन सुझावों को दिया गया.
इस पूरे किस्से का ज़िक्र विनोद राय ने अपनी किताब 'नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन: माय इनिंग्स इन द बीसीसीआई' में किया है. इस किताब को रूपा पब्लिकेशन्स ने छापा है. किताब की कीमत 595 रुपये है, इस लिंक पर क्लिक कर किताब खरीद सकते हैं.
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