
1974 में भारत का इंग्लैंड दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था. अजीत वाडेकर की अगुवाई में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, भगवत चंद्रशेखर, एस. वेंकटराघवन जैसे स्थापित खिलाड़ियों के रहते भारतीय टीम का ऐसा हश्र हुआ, जिसे सिर्फ और सिर्फ 'शर्मनाक' कहा जाएगा.
इसी दौरे में मजेदार, लेकिन एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण वाकया सामने आया, जिसे कोई भी भारतीय याद नहीं करना चाहेगा. इस दौरे में मदन लाल, बृजेश पटेल के साथ टेस्ट पदार्पण करने वाले मुंबई के बल्लेबाज सुधीर नाईक से जुड़ा मामला सुर्खियों में रहा. सुधीर नाईक आज (21 फरवरी) 77 साल के हो गए.
दुकान से दो जोड़े मोजे उठाने का आरोप
दरअसल, इसे दौरे के लिए तत्कालीन बंबई के सलामी बल्लेबाज सुधीर नाईक को भारतीय दल में शामिल किया गया था. 1974 (अप्रैल से जुलाई) के इस इंग्लैंड टूर के दौरान सुधीर नाईक पर लंदन के ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट की दुकान से दो जोड़े मोजे उठाने का आरोप लगा. वह हालांकि इससे लगातार इनकार करते रहे.
तब टीम मैनेजर हेमू अधिकारी नहीं चाहते थे कि ज्यादा 'जगहंसाई' हो. उन्होंने नाईक को गलती मान लेने की सलाह दी. लेकिन अंग्रेजी मीडिया में तब तक यह वाकया वायरल हो चुका था. उन्हें अदालत में पेश होना पड़ा और जुराबें चुराने के लिए उन पर जुर्माना लगाया गया. सलामी बल्लेबाज सुधीर नाईक ने उस इंग्लैंड दौरे के आखिरी टेस्ट में पदार्पण कर दूसरी पारी में 77 रन बनाए थे, जो भारतीयों में सर्वाधिक था. पहली पारी में वह 4 रन ही बना पाए थे.
इंग्लैंड की धरती पर तीन टेस्ट मैच की सीरीज में भारत का 0-3 से सफाया हो गया था. इतना ही नहीं, उसी इंग्लैंड दौरे में भारतीय टीम महज 42 रनों पर आउट हो गई थी.
1974 के इंग्लैंड दौर के मैचों का हाल -
- दौरे का पहला टेस्ट ओल्ड ट्रेफर्ड, मैनचेस्टर में खेला गया. भारतीय टीम यह मैच 113 रनों से हार गई.
- लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी (फॉलो ऑन करते हुए) में भारतीय टीम 42 रनों पर सिमट गई और इस मैच में इंग्लैंड ने पारी और 285 रनों से बाजी मारी.
-भारतीय टीम (165 और 216 रन) एक बार फिर इंग्लैंड की चुनौती झेल नहीं पाई और बर्मिंघम टेस्ट पारी और 78 रनों से गंवाई. मजे की बात है कि मेजबान इंग्लैंड के इस टेस्ट में सिर्फ दो विकेट (459/2d) गिरे.
इंग्लैंड दौरे के बाद दो ही टेस्ट खेल पाए सुधीर
इस दौरे के बाद सुधीर नाईक वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में दो और टेस्ट खेले. उनके बल्ले से (48, 6, 0, 6) से ज्यादा कुछ नहीं कर पाए. जिसके बाद भारत के लिए वह फिर कभी नहीं खेल सके. हालांकि उन्होंने रणजी ट्रॉफी खेलना जारी रखा. नाईक ने 1974 में ही बड़ौदा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले में 200 रनों की नाबाद पारी खेली.
सुघीर नाईक ने अपने छोटे से करियर के 3 टेस्ट मैचों में एक अर्धशतक के साथ 23.50 की औसत से 141 रन बनाए, जबकि 2 वनडे में उन्होंने 38 रन बनाए. नाईक ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 85 मुकाबले खेले और 35.29 की औसत से 4376 रन बनाए. उन्होंने 7 शतक जमाए. इसके अलावा 27 अर्धशतक उनके नाम रहे.