
'स्वैग' एक ऐसा शब्द है जो आज कल के युवाओं की आम बोलचाल का हिस्सा है. लेकिन अपने खेल और पर्सनालिटी से इस शब्द को क्रिकेट से जोड़ने का श्रेय संदीप पाटिल को जाता है. 18 अगस्त 1956 को बैडमिंटन प्लेइंग कपल के यहां जन्म लेने वाले संदीप मधुसूदन पाटिल का खेल और उनका एटीट्यूड आज भी सबको अपना मुरीद बनाता है. भले ही संदीप पाटिल का क्रिकेट करियर काफी छोटा और काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा हो, लेकिन उन्होंने अपने खेल से प्रशंसकों की तादाद बढ़ाई.
25 जनवरी है संदीप पाटिल के लिए खास
ठीक 31 साल पहले 25 जनवरी अपना सिर्फ चौथा टेस्ट मैच खेल रहे संदीप पाटिल ने अपनी प्रतिभा की बानगी सबके सामने रखी थी. 1981 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड टेस्ट में बाउंसर से चोटिल होने के बाद और अस्पताल में वक्त बिताने के बाद संदीप पाटिल ने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया को अपने अलग अंदाज में जवाब दिया था. उस वक्त क्रिकेट में आक्रामक बल्लेबाजी के लिए कुछ चुनिंदा नाम ही थे जिसमें विवियन रिचर्ड्स को लोग प्रमुखता से पहचानते हैं. विव के अलावा भारतीय टीम ने भी अपने एक ऐसे ही सितारे की बानगी देखी.
मुंबई में जन्मे संदीप पाटिल के माता-पिता भी स्पोर्ट्स फील्ड से थे. दोनों बैडमिंटन के खिलाड़ी थे. संदीप पाटिल ने क्रिकेट तो मुंबई में ही सीखा था, लेकिन उनका बल्लेबाजी का अंदाज मुंबई स्टाइल से बिल्कुल हटकर था. संदीप अपने करियर की शुरुआत से ही अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे. संदीप पाटिल ने भारतीय टीम के लिए अपना इंटरनेशनल डेब्यू जनवरी 1980 में पाकिस्तान के खिलाफ चेन्नई में किया था.
यादगार रहा ऑस्ट्रेलिया दौरा
इसी साल के अंत में मेलबर्न में संदीप पाटिल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला वनडे खेला. संदीप पाटिल ने अपने 6 साल के करियर में 29 टेस्ट और 45 वनडे मुकाबले खेले. संदीप पाटिल ने टेस्ट क्रिकेट में 29 मुकाबलों की 47 पारियों में 36.93 की औसत से 1588 रन बनाए हैं, जिसमें 4 सेंचुरी और 7 हाफ सेंचुरी शामिल हैं.
1981 ऑस्ट्रेलिया दौरा संदीप पाटिल के लिए काफी खास माना जाता है. हालांकि इस दौरे पर संदीप को तगड़ी चोट भी लगी थी, लेकिन उस चोट के बावजूद उन्होंने अपने कैरेक्टर से और खेल से सभी का दिल जीत लिया था. ऑस्ट्रेलिया के पास 80 के दशक में जोशीले तेज गेंदबाज होते थे. डेनिस लिली, रोडनी हॉग, लेन पॉस्को किसी भी टीम को अंदर तक हिलाने के लिए काफी थे. सिडनी टेस्ट में संदीप पाटिल अपने टेस्ट करियर का महज चौथा मुकाबला खेल रहे थे.
चोट के बाद की बेहतरीन वापसी
इस मुकाबले में संदीप को 2 बाउंसर लगी. रोडनी हॉग की पहली बाउंसर के बाद तो संदीप ने खुद को संभाल लिया था, लेकिन लेन पॉस्को की दूसरी बाउंसर सीधा सर पर आकर लगी. जिससे वह पूरी तरह हिल गए और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया और उन्हें ICU में रखना पड़ा. संदीप उस वक्त तक हेलमेट की उपयोग नहीं करते थे. जब संदीप मैदान से बाहर गए तब तक वो इन्हीं खतरनाक गेंदबाजों के सामने 78 गेंद में 9 चौके जड़कर 65 रन बना लिए थे. चोट के बाद संदीप दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आए लेकिन सिर्फ 4 रन बनाकर आउट हो गए थे. संदीप के खेल और उनके कैरेक्टर की हर तरफ तारीफ होने लगी थी.
एडिलेड में खेली 174 रनों की यादगार पारी
सिडनी के बाद भारतीय टीम एडिलेड पहुंची. इस मुकाबले में संदीप ने अपने क्रिकेट करियर की सबसे बेहतरीन पारी खेली. एडिलेड में उन्होंने लिली, हॉग और ब्रूस यार्डले और लेन पॉस्को को जमकर धोया और सिडनी में लगी चोट की कसर पूरी कर दी. संदीप पाटिल ने एडिलेड में 240 गेंदों में 174 रनों की दमदार पारी खेली. पाटिल ने इस पारी में 22 चौके जड़े और 1 छक्का भी लगाया. संदीप पाटिल की इस पारी की बदौलत भारत इस टेस्ट मैच को ड्रॉ कराने में कामयाब रहा था.
उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया की ओर से किम ह्यूज (213) ने दोहरा शतक और ओपनर ग्रीम वूड (125) की पारियों की बदौलत पहली पारी में 528 रन बनाए, जिसके जवाब में भारतीय टीम संदीप पाटिल की आक्रामक पारी और चेतन चौहान के 97 रनों की बदौलत 400 का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही. एक टेस्ट पहले संदीप पाटिल की घातक चोट के बाद ऐसी पारी खेलना उनके बेहतरीन टैलेंट की ही निशानी थी. भारतीय टीम 1981 में खली गई टेस्ट सीरीज के आखिरी मुकाबले में जीत दर्ज कर सीरीज 1-1 से बराबर करने में कामयाब रही थी.