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आखिरकार टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा जीत के साथ खत्म हुआ. दौरे की शुरुआत जिस निराशा के साथ हुई थी, उसकी समाप्ति धूम-धड़ाके के साथ हुई. निराशा इसलिए कि भारतीय टीम ने पिछले दौरे का बचा हुआ आखिरी टेस्ट मैच इस दौरे में पूरा किया, जिसमें उसे हार मिली और वह 5 मैचों की टेस्ट सीरीज 2-2 से बराबरी पर छूटी. लेकिन इसके बाद भारतीय टीम ने वनडे और टी20 सीरीज में ऐसा पलटवार किया कि अंग्रेज चारो खाने चित नजर आए, टीम इंडिया ने एक के बाद एक दोनों सीरीज पर 2-1 से कब्जा किया.
दौरे की दो बड़ी चीजें- प्रयोग और बदलाव
इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप को देखते हुए टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ 3 मैचों की 20 सीरीज में कुल 19 खिलाड़ियों को आजमाया. इस दौरान कप्तान रोहित शर्मा, सूर्यकुमार यादव, दिनेश कार्तिक और हर्षल पटेल ही ऐसे खिलाड़ियों में शामिल रहे, जो सीरीज के तीनों मैचों में उतरे. यानी रोहित ब्रिगेड ने अधिक से अधिक खिलाड़ियों को मैदान पर उतारा और उनके प्रदर्शन को परखने की कोशिश की.
टी20 सीरीज के दौरान सूर्यकुमार यादव शतकीय प्रहार (117 रन) करने में कामयाब रहे. जबकि गेंदबाजी में भुवनेश्वर कुमार ने अपनी स्विंग से इंग्लिश बैटिंग क्रम को झकझोरा. उन्हें 2 मैचों में कुल 4 सफलताएं मिलीं, और वह 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' रहे. दूसरी तरफ भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी बात रही कि हार्दिक पंडया अब लगातार गेंदबाजी कर रहे हैं. उन्होंने 2 मैचों में 5 विकेट चटकाकर टीम इंडिया के लिए अपने ऑलराउंडर वाली छवि को फिर से उभारा.
T20 वर्ल्ड कप से पहले खूब जोर आजमाइश
यानी टी20 रिकॉर्ड की बात करें तो भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ लगातार चौथी सरीज जीतने की उपलब्धि हासिल की. सबसे बढ़कर टी20 वर्ल्ड कप से पहले राहुल द्रविड़ के निर्देशन में टीम तैयार करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. दरअसल, इस सीरीज ने ऑस्ट्रेलिया में इस साल होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय स्क्वॉड की रूपरेखा लगभग तय कर दी है. अब भारत के वेस्टइंडीज दौरे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ( ICC) के भविष्य दौरा कार्यक्रम (FTP) का हिस्सा मात्र माना जा सकता है, क्योंकि टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया के संभावितों की तस्वीर इंग्लैंड में ही खिंच चुकी है.
भारत के इंग्लैंड दौरे का समापन वनडे सीरीज से हुआ. 3 मैचों की सीरीज में भारत ने पहला मुकाबला 10 विकेट से जीता, जबकि तीसरे मैच में 5 विकेट से जीत हासिल हुई. भारत की ये दो जीत क्रमशः तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (7.2-3-19-6) और विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत (नाबाद 125 रन, 113 गेंदें, 16 चौके, 4 गेंदें) के नाम रही. बुमराह और पंत के खेल ने जता दिया कि आने वाले आईसीसी टूर्नामेंट्स में ये दोनों तुरुप के इक्के बनकर छाने के लिए तैयार हैं.
रेड या व्हाइट बॉल, ऋषभ पंत 'लाजवाब'
सबसे बढ़कर ऋषभ पंत ने यह दिखा दिया कि क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेंट (रेड या व्हाइट बॉल) हो, वह अपनी आक्रामकता और सूझ-बूझ से भारतीय स्क्वॉड में इक्कीस ठहरते हैं. एजबेस्टन टेस्ट में भारत ने आगे रहते हुए आखिरी दिन मैच जरूर गंवा दिया हो, लेकिन पंत ने अपने बल्ले (146+57 रन) से हैरतअंगेज प्रदर्शन कर दिखाया. अब इंतजार है पंत की उस निरंतरता की, जिसकी बदौलत वह विरोधी खेमे के लिए सरदर्द साबित होंगे.
दौरे के आखिरी वनडे में पंत की हार्दिक पंड्या के साथ 133 रनों की भागीदीरी ने आने वाले दिनों के लिए एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया कि शीर्ष क्रम चरमरा भी जाए तो चिंता की बात नहीं. मध्य क्रम में पंत और वाली साझेदारी हो तो विराधी गेंदबाजों को पुरजोर निशाना बनाकर मैच जीता जा सकता है. हार्दिक पंड्या ने आईपीएल-2022 में अपने ऑलराउंड प्रदर्शन कर अपनी श्रेष्ठता साबित की थी. इंग्लैंड दौरे की वनडे सीरीज में वह 3 मैचों में 100 रन बनाए और 6 विकेट लेकर उन दिनों की यादें ताजा कर दीं, जब कहा जाता था कि पंड्या आने वाले दिनों के बेहतरीन ऑलराउंडर हैं.
विराट के खिलाफ काफी हो हल्ला, पर ---
अब बात विराट कोहली पर आकर टिकती है. कोहली के फॉर्म को लेकर लगातार चर्चा होती रही. उनके प्रशंसक उनके बल्ले से रन बरसने की आस लगाए बैठे रहे, लेकिन हमेशा इसके विपरीत ही होता रहा. दौरे में वह सारे मैचों को जोड़कर भी 100 रन (1-टेस्ट 11+20 रन, 2 टी20- 12 रन, 2 वनडे- 33 रन तक नहीं बना पाए. इतने बड़े बल्लेबाज से इस तरह का प्रदर्शन चौंकाता जरूर है, लेकिन उनके अनुभव और करियर रिकॉर्ड उनके आलोचको को आईना दिखाता रहा. मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा ने भी विराट का लगातार समर्थन किया. खैर, जो भी हो.. ये माना जा सकता है कि विराट के पास भारतीय क्रिकेट को देने के लिए अभी बहुत कुछ बचा है.
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इंग्लैंड दौरे ने सीमित ओवर के प्रारूप में भारतीय क्रिकेट के उस पक्ष को उभारा है, जिसके नायक वैसे खिलाड़ी हैं, जो भविष्य में टीम इंडिया को बहुत आगे ले जाएंगे. अब यह नहीं कहा जा सकता कि किसे मौका मिला, किसे नहीं. आजमाने की भरपूर कोशिश की गई. खिलाड़ी बेंच पर बैठा नहीं रहा और न ही सैलानी बनकर दौरे की समाप्ति की.