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Sarthak Ranjan-Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव की तरह पप्पू यादव के बेटे सार्थक रंजन ने भी क्रिकेट में चलाया बल्ला, पर रहे फ्लॉप, IPL से क्या है कनेक्शन?

बुधवार को पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया है. इसी के साथ उनके बेटे सार्थक रंजन ने भी पिता के साथ कांग्रेस की सदस्यता ले ली है. 27 साल के सार्थक ने भी अपने करियर की शुरुआत क्रिकेट से ही की थी. मगर लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी की तरह क्रिकेट के मैदान पर उनका हाथ भी तंग नजर आया.

तेजस्वी यादव और सार्थक रंजन. तेजस्वी यादव और सार्थक रंजन.
aajtak.in
  • पटना,
  • 21 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:11 AM IST

Tejashwi Yadav Sarthak Ranjan Cricket Career: भारतीय राजनीति के दो धुरंधर, जिनका बिहार में अपना अलग ही सिक्का चलता है. इनमें से एक तो बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. मगर इन दोनों धुरंधरों के बेटों ने अपने करियर की शुरुआत राजनीति नहीं, बल्कि क्रिकेट के मैदान से की. मगर यहां उनका सिक्का नहीं चला, तो दोनों बच्चे अपने पिता की राह पर ही चल पड़े.

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हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की. लालू के बेटे तेजस्वी यादव के बारे में हर कोई जानता है. जिन्होंने क्रिकेट में करियर शुरू किया था, लेकिन वो फर्स्ट क्लास में भी अपनी छाप नहीं छोड़ सके और राजनीति की राह पर चल पड़े.

सार्थक ने भी पिता की तरह कांग्रेस जॉइन की

34 साल के तेजस्वी बिहार के उपमुख्यमंत्री भी बने. मगर अभी वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. दूसरी ओर पप्पू यादव के बेटे सार्थक रंजन की बात करेंगे. 27 साल के सार्थक ने भी अपने करियर की शुरुआत क्रिकेट से ही की थी. मगर तेजस्वी की तरह क्रिकेट के मैदान पर उनका हाथ भी तंग नजर आया.

सार्थक ने 2018 में आखिरी बार कोई घरेलू मैच खेला था. इसके बाद वो पिता के साथ राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नजर आए. बुधवार को पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया है. इसी के साथ सार्थक ने भी पिता के पीछे-पीछे कांग्रेस की सदस्यता ले ली है.

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क्रिकेट के मैदान में तेजस्वी और सार्थक दोनों फेल

तेजस्वी और सार्थक दोनों ही बल्ले से फुस्स नजर आए. मगर इन दोनों के बीच कई समानताएं भी रही हैं. आज हम खास तौर पर इन सबको लेकर ही बात करेंगे. इन दोनों में एक अलग बात ये है कि तेजस्वी ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में दस्तक दी थी, जबकि सार्थक लीग में चेहरा भी नहीं दिखा सके.

तेजस्वी IPL में 4 सीजन (2008-12) तक दिल्ली डेयरडेविल्स (अभी दिल्ली कैपिटल्स) के स्क्वॉड में रहे थे, लेकिन उन्हें कभी भी प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला. तेजस्वी मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने के अलावा स्विंग गेंदबाजी कराने में भी सक्षम थे. दूसरी ओर सार्थक IPL में आए भी नहीं.

तेजस्वी-सार्थक के बीच 1-2 और 19-20 का आंकड़ा

क्रिकेट के मैदान पर तेजस्वी और सार्थक के बीच 1-2 और 19-20 का अजब आंकड़ा दिखता है. दरअसल, यह संयोग दोनों के फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संबंधित है. दरअसल, तेजस्वी ने अपने करियर में 1 फर्स्ट क्लास मैच खेला, जबकि सार्थक ने 2 मैच खेले हैं. तेजस्वी ने झारखंड और सार्थक ने दिल्ली के लिए घरेलू क्रिकेट खेला है.

इसके अलावा दूसरा संयोग बल्लेबाजी में बन रहा है. बता दें कि तेजस्वी ने अपने करियर में 1 फर्स्ट क्लास मैच खेला, जिसमें उनका बेस्ट स्कोर 19 रन रहा है. दूसरी ओर ओपनर सार्थक ने 2 मैच खेले औ उनका बेस्ट स्कोर 20 रन रहा है. इस तरह दोनों के बीच 19-20 का आंकड़ा नजर आता है. मगर राजनीति की पिच पर तेजस्वी 20 नजर आते हैं. 

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इसका उदाहरण अब तक का उनका राजनीतिक करियर रहा है. उन्होंने 34 की उम्र तक उपमुख्यमंत्री तक का सफर तय कर लिया है. वो अब मुख्यमंत्री बनने की रेस में हैं. दूसरी ओर सार्थक उनसे उनसे उम्र में 7 साल छोटे हैं और राजनीति में चलना सीख रहे हैं. हो सकता है कि अगले कुछ समय में वो केंद्र या राज्य में किसी बड़े पद पर नजर आ सकते हैं.

तेजस्वी यादव का क्रिकेट करियर

फर्स्ट क्लास मैच: 1  - 20 रन
लिस्ट-ए मैच:  2  - 14 रन
टी20 मैच:  4  - 3 रन

सार्थक रंजन का क्रिकेट करियर

फर्स्ट क्लास मैच: 2  - 28 रन
लिस्ट-ए मैच:  1  - 37 रन
टी20 मैच:  5  - 66 रन

2010 में ही तेजस्वी ने साफ कर दिए थे अपने तेवर

आईपीएल में तत्कालीन दिल्ली डेयरडेविल्स टीम की तरफ से न खेल पाने के सवाल पर पिता लालू प्रसाद ने एक बार कहा था कि कम से कम उनके बेटे को खिलाड़ियों को पानी पिलाने का मौका तो मिला. मगर पप्पू यादव को यह बात कहने का भी मौका नहीं मिला है. तेजस्वी ने 2010 में ही पिता के लिए प्रचार करना शुरू कर दिया था.

तब IPL खिलाड़ी के तौर पर अनुबंधित होने के बावजूद तेजस्वी ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने पिता लालू प्रसाद यादव के लिए चुनाव प्रचार किया था. तभी यह स्पष्ट हो गया था कि लालू अपने बेटे को राजनीति में लाना चाह रहे थे.

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