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Kapil Dev, Sunil Gavaskar: जब गावस्कर से 'टेंशन' के दिनों में कपिल देव अपने बयान से पलट गए थे

मशहूर पत्रकार प्रदीप मैगजीन कि किताब 'Not Just Cricket' में उन्होंने कपिल देव और सुनील गावस्कर के रिश्तों के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कुछ किस्सों के साथ दोनों खिलाड़ियों के बीच की टेंशन को सबके सामने रखा है.

Kapil Dev with Sunil Gavaskar (Getty) Kapil Dev with Sunil Gavaskar (Getty)
केतन मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST
  • कपिल देव और सुनील गावस्कर के रिश्तों को बताती एक किताब
  • मशहूर पत्रकार प्रदीप मैगजीन कि किताब में कपिल और गावस्कर के रिश्तों का जिक्र

सर्दी की आख़िरी ठिठुरन देने वाली बारिश के बीतने के बाद खिली धूप में बैठकर एक किताब पढ़नी शुरू की. कुछ गर्माहट सूरज की थी और कुछ किताब की. पहले 20-25 मिनट में ही एक बात तो समझ में आ गयी कि फ़ील्ड में रहकर, जूते घिसकर, लोगों से मिलकर सालों-साल काम करने वालों के पास जो अनुभव होता है उसका कोई तोड़ नहीं है. उन अनुभवों में जो कहानियां होती हैं, उनसे उपजे जो विश्लेषण होते हैं, उनका कोई जवाब नहीं होता. ये सब कुछ मिलता है सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप मैगज़ीन की नई किताब 'नॉट जस्ट क्रिकेट' में. इसे छापा है हार्पर कॉलिंस ने. फ़िलहाल ये किताब अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध है.

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प्रदीप मैगज़ीन ने इस किताब में बताया है कि कैसे उनके जीवन में क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई और फिर होते-करते वो जर्नलिज़्म में आ गए. लेकिन क्रिकेट खेलने के दौरान उनका पाला कई ऐसी लोगों से ज़रूर पड़ा जो आगे चलकर क्रिकेट खेलने की दुनिया में बड़ा नाम बने. इन नामों में एक था- कपिल देव. 1983 विश्व कप विजेता कपिल देव और सुनील गावस्कर, भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े नाम हैं और हमें जितनी भी कहानियां सुनने को मिली हैं, वो यही बताती हैं कि इनके बीच सब कुछ एकदम ठीक तो नहीं था. लेकिन प्रदीप मैगज़ीन की कपिल देव से 'दोस्ती' की ही वजह से हमें कपिल देव और सुनील गावस्कर के बीच के रिश्तों को लेकर एक सुघड़ तस्वीर देखने को मिलती है.

कैसे थे कपिल देव और सुनील गावस्कर के बीच रिश्ते

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प्रदीप मैगज़ीन लिखते हैं कि कपिल देव का दिमाग़ बहुत तेज़ चलता था. कपिल एक बार कहते हुए पाये गए थे, 'बिना बल्लेबाज़ का चेहरा देखे, मैं उनके बैटिंग स्टांस, क्रीज़ पर खड़े होने के तरीक़े और उनके बल्ला पकड़ने का तरीक़ा देखकर ही बता सकता हूं कि वो कौन है.' कपिल को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आते ही जब गावस्कर की जगह कप्तान बनाया गया तो उन्हें लगा कि उनके टैलेंट और खेल की जानकारी की वजह से कप्तानी उनका हक़ था. लेकिन कमान हाथ में आते ही उन्हें सीनियरों का सामना करना पड़ा. मैगज़ीन लिखते हैं कि कपिल को शायद ऐसा लगता था कि गावस्कर ओपनिंग करने से मना करते हुए उनकी कप्तानी को उचित सम्मान नहीं दे रहे थे. और शायद इसीलिए 1983 विश्व कप के दौरान दोनों के बीच चीज़ें ख़राब हुईं, गावस्कर को दो मैचों के लिये बिठा भी दिया गया. 

लेकिन फिर वेस्ट इंडीज़ की टीम इंडिया में थी और कोलकाता में खेले गए पांचवें मैच में भारत एक पारी और 46 रनों से हारा. इस मैच के कुछ ही दिन बाद प्रदीप मैगज़ीन कपिल देव से चंडीगढ़ में मिले. इस दौरान मैगज़ीन ने उनसे कुछ सवाल पूछे जिनके जवाब के दौरान कपिल ने कुछ 'बड़ी' बातें कह दीं. उन्होंने कहा कि 'कुछ खिलाड़ी खेलने से ज़्यादा पैसों में ध्यान लगाते हैं.' 

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कपिल की उस बात ने खड़ा किया था टीम इंडिया में बवाल

ये इंटरव्यू अगले दिन इंडियन एक्स्प्रेस में छपा और उसके एक दिन बाद प्रदीप मैगज़ीन फिर कपिल देव से मिले. कपिल को तब तक समझ में आ चुका था कि उन्होंने जो कहा था, उसका बहुत बड़ा इम्पैक्ट पड़ने वाला था. असल में उन्होंने पूरा इंटरव्यू पढ़ा भी नहीं था लेकिन उन्हें बहुत सारे फ़ोन कॉल आ चुके थे. कपिल देव ने प्रदीप मैगज़ीन से कहा कि उन्हें पैसों के बारे में इतना डायरेक्ट होकर नहीं लिखना चाहिये था. प्रदीप मैगज़ीन ने बताया कि अख़बार में वही लिखा जो उन्होंने कहा था. उन्होंने कपिल को ये भी बताया कि जब कपिल पैसों वाली बात कह रहे थे, उन्होंने कपिल को समझाने की कोशिश भी की थी कि वो कितनी बड़ी बात कह रहे थे. इसके बाद कपिल ने अपने ठेठ अंदाज़ में कहा कि जो होगा, देखा जायेगा.

लेकिन कुछ दिनों बात प्रदीप मैगज़ीन को मालूम पड़ा कि कपिल देव ने कह दिया था कि चंडीगढ़ में उनके नाम पर जो बातें छापी गयी थीं, वो उन्होंने कही ही नहीं थी. यहां प्रदीप मैगज़ीन की विश्वसनीयता और पत्रकारिता पर सवाल खड़े हो रहे थे.

इसके बाद की बातें सुनील गावस्कर की क़िताब 'रन्स ऐंड रुइंस' में मिल जाती हैं. गावस्कर ने बताया कि कैसे मुंबई के खिलाड़ियों में थोड़ा सा गुस्सा था और गावस्कर इसके बारे में एनकेपी साल्वे, जो उन दिनों क्रिकेट बोर्ड के प्रेसिडेंट थे, से बात करने के लिये दिल्ली पहुंचे. साल्वे ने अपने घर पर लंच रखा और गावस्कर और कपिल देव, दोनों को बुलाया. खाने के बाद बातचीत शुरू हुई और कपिल देव ने फिर से यही दोहराया कि उन्होंने पैसों वाली बात कही ही नहीं थी. इसके बाद साल्वे ने कपिल देव के लिये एक स्टेटमेंट बनाया जो कपिल को प्रेस के सामने कहना था. इसके बाद मद्रास टेस्ट के बारे में कुछ बातें हुई और मामला खत्म हो गया.

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अपनी किताब में गावस्कर एक और बात बताते हैं. असल में, मुंबई वापस आने के बाद उन्हें लग रहा था कि कपिल की सफ़ाई से वो बहुत ख़ुश नहीं थे. गावस्कर ने मन बना लिया था कि वो मद्रास वाला अगला मैच नहीं खेलेंगे. अपने पिता और अपनी पत्नी से उन्होंने ये बात साझा भी की, जिन्होंने गावस्कर का साथ दिया. लेकिन फिर दाढ़ी बनाते-बनाते गावस्कर को ख़याल आया कि अगर वो नहीं खेले तो ये माना जायेगा कि वो पीछे हट गए थे. इसलिये वो अपने चेहरे पर झाग लिये ही बाहर आये और ऐलान किया कि वो मद्रास मैच खेलेंगे. 

गावस्कर ने इस मैच में डबल सेंचुरी मारी. ये उनका 30वां शतक था जहां उन्होंने डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड की बराबरी की थी. लेकिन भारत ये सीरीज़ 3-0 से हारा. इसके बाद कपिल को कप्तानी से हटाया गया और इंग्लैण्ड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में गावस्कर को कप्तान बना दिया गया.

कपिल और संदीप को मिली हवाई शॉट खेलने की सजा

दिल्ली में खेले गए टेस्ट में भारत ड्रॉ की ओर जा रहा था लेकिन मैच हार गया. 28 रन पर 6 विकेट गिरे और कपिल देव को सज़ा सुनाई गयी. उन्होंने एक छक्का मारकर अगली ही गेंद पर फिर हवाई शॉट मारा और आउट हो गए थे. साथ ही संदीप पाटिल भी ज़ोखिम भरा शॉट मारने के फेर में चलते बने थे. दोनों को अगले मैच में टीम में नहीं रखा गया. कहा जाने लगा कि गावस्कर ने कपिल देव को टीम से हटाया था. लेकिन फिर चीफ़ सेलेक्टर हनुमंत सिंह ने साफ़ किया कि ये फैसला सिर्फ़ और सिर्फ़ उनका ही था. ये एकमात्र टेस्ट मैच था जो कपिल ने मिस किया था.

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प्रदीप मैगज़ीन दिल्ली टेस्ट के बाद फिर से कपिल देव से मिले. कपिल देव गुस्से से भरे हुए थे और उन्होंने बेहद कड़े शब्दों में, जो भी हो रहा था, उसकी आलोचना की. कलकत्ता में हुआ अगला मैच ड्रॉ रहा और गावस्कर को भीड़ के गुस्से का शिकार होना पड़ा. यही वो मैच था जिसके बाद गावस्कर ने कभी भी ईडेन गार्डन में दोबारा न खेलने का फैसला किया था. ये सीरीज़ भारत 1-2 से हारा. 

गावस्कर और कपिल देव के बीच की पूरी कहानी को विस्तार से समझने के लिये और क्रिकेट की और भी रोचक कहानियों को जानने-समझने के लिये प्रदीप मैगज़ीन की किताब 'नॉट जस्ट क्रिकेट' पढ़ें. इसे आप यहां से पा सकते हैं. क्लिक करें. 

 

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