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द्रविड़ का अंडर-19 क्रिकेट में यो-यो टेस्ट के लिए BCCI को 'बिग नो'

अंडर-19 और इंडिया ए टीम के कोच राहुल द्रविड़ बीसीसीआई की इस योजना से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

राहुल द्रविड़ राहुल द्रविड़
विश्व मोहन मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

'टीम इंडिया में जगह पानी है, तो पास करना ही होगा यो-यो टेस्ट. जी हां! यह एक ऐसी शर्त है, जो इस समय भारतीय क्रिकेट टीम में चयन का पैमाना बन चुकी है. इस टेस्ट को पास करने में नाकाम हुए बड़े से बड़े दिग्गज खिलाड़ी टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं. लेकिन बीसीसीआई इसी यो-यो टेस्ट को अंडर 19 और जूनियर लेवल की क्रिकेट पर भी लागू करना चाहती है.

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लेकिन अंडर-19 और इंडिया-ए टीम के कोच राहुल द्रविड़ बीसीसीआई की इस योजना से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. द्रविड़ का मानना है कि जूनियर क्रिकेट के स्तर पर हर खिलाड़ी को सबसे पहले अपने कौशल पर ध्यान देना चाहिए. जिसके बाद द्रविड़ और जूनियर टीम मैनेजमेंट का समर्थन नहीं मिलने पर बीसीसीआई को इस योजना का विचार रद्द करना पड़ा.

क्या है यो यो फिटनेस टेस्ट ?

आपको बता दें कि यो-यो टेस्ट में कई 'कोन' की मदद से 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनाई जाती हैं. एक खिलाड़ी रेखा के पीछे अपना पांव रखकर शुरुआत करता है और निर्देश मिलते ही दौड़ना शुरू करता है. खिलाड़ी लगातार दो लाइनों के बीच दौड़ता है और जब बीप बजती है तो उसने मुड़ना होता है.

हर एक मिनट या इसी तरह से तेजी बढ़ती जाती है. अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और 'बीप' के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है. अगर खिलाड़ी दो छोरों पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो परीक्षण रोक दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया सॉफ्टवेयर पर आधारित है, जिसमें नतीजे रिकॉर्ड किए जाते हैं.

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एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक नेशनल क्रिकेट अकादमी के एक अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय टीम के ट्रेनर ने अंडर-19 टीम में यो-यो टेस्ट को शामिल करने की कोशिश की थी लेकिन द्रविड़ ने साफ कर दिया कि जूनियर क्रिकेट को इसकी जरूरत नहीं है. इस उम्र में खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘फिटनेस जरूरी है लेकिन अगर वह रन बना रहे हैं और विकेट ले रहे हैं तो यही चयन का आधार होना चाहिए.’

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