
Ravindra Jadeja Fencing, IND vs ENG 3rd Test: भारतीय टीम और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. शुरुआती 2 मुकाबलों के बाद यह सीरीज 1-1 की बराबरी पर है. जबकि तीसरा मुकाबला कल (15 फरवरी) से राजकोट में खेला जाएगा. यह मैच भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे से खेला जाएगा.
इस मुकाबले में स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा का खेलना लगभग तय माना जा रहा है. राजकोट जडेजा का होमग्राउंड भी है, ऐसे में माना जा रहा है कि इस मैदान पर वो धांसू प्रदर्शन करते हुए अपनी तलवार चला सकते हैं. बता दें कि जडेजा मैदान पर कई बार तलवार चलाने के अंदाज में जश्न मनाते दिखे हैं.
बैजबॉल के साथ तालमेल बैठाने की जरूरत
मगर तीसरे मुकाबले से पहले जडेजा ने इंग्लैंड टीम और उनके बैजबॉल गेम को करारा जवाब दिया है. इस ऑलराउंडर ने कहा कि इंग्लैंड कोई बड़ी टीम नहीं है और उसे हराना भी कोई बड़ी बात नहीं है. जडेजा ने कहा कि इंग्लैंड को हराने के लिए उनके आक्रामक खेल यानी बैजबॉल के साथ तालमेल बैठाने की जरूरत है.
जडेजा ने यह भी कहा कि 5 मैचों की इस सीरीज के पहले मुकाबले में भारतीय टीम ने दूसरी पारी में कुछ गलतियां की थी. यदि यह छोटी-छोटी गलतियां नहीं करते तो हैदराबाद में खेला गया सीरीज का पहला मुकाबला भी भारतीय टीम ही जीतती.
इंग्लैंड सबसे मजबूत टीमों में नहीं है
तीसरे टेस्ट से ठीक एक दिन पहले जडेजा ने कहा, 'मैं इंग्लैंड को (सबसे कड़ी) टीमों में से एक नहीं कहूंगा. अन्य टीमों के लिए भारत आना और यहां आकर जीतना आसान नहीं है. वह आक्रामक होकर खेलते हैं. हमें बस इससे सामंजस्य बैठाना होगा और उसके अनुसार योजना बनानी होगी.'
पैर की मांसपेशियों में चोट के कारण दूसरा टेस्ट नहीं खेलने वाले जडेजा ने कहा, 'अगर पहले टेस्ट की दूसरी पारी में छोटी-छोटी गलतियां नहीं होती तो हम नहीं हारते.'
100 प्रतिशत देने के साथ चोट से बचना चाहेंगे
हाल में चोटों से जूझने के बारे में जडेजा ने कहा, 'यह निराशाजनक है लेकिन इन दिनों क्रिकेट के मुकाबले काफी बढ़ गए हैं और यह हमेशा दिमाग में रहता है. मैं मैदान में कहीं छिप नहीं सकता, मैं किसी भी प्रारूप में हमेशा महत्वपूर्ण स्थानों पर रहता हूं और शायद यही कारण है (चोट लगने का) और गेंद अक्सर मेरे पास आती है.'
जडेजा ने कहा कि चोटों से बचने के लिए उन्हें चतुराई भरे बदलाव करने होंगे़. उन्होंने कहा, 'मैं अपना शत प्रतिशत देना चाहूंगा और अपने शरीर को बचाना चाहूंगा और जब जरूरत नहीं हो तो कूदने से बचूंगा. बस यही है. मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता क्योंकि ऐसा (चोट से वापसी) पहले भी हो चुका है.'