
टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच तीन टी20 की सीरीज के पहले मैच में नेल्सन नंबर का अजब संयोग देखने को मिला. मैच में भारतीय टीम टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी थी. उसने 111 रन पर अपना पहला विकेट गंवा दिया. यहां कप्तान रोहित शर्मा 44 रन बनाकर क्लीन बोल्ड हो गए. तब स्कोर 111/1 हो गया था. यह नेल्सन नंबर पर विकेट गंवाना हुआ.
दरअसल, क्रिकेट जगत में 111 के आंकड़े को नेल्सन नंबर कहा जाता है. यह नाम एडमिरल नेल्सन के नाम पर पड़ा है. नेल्सन एक योद्धा थे, जिन्होंने समुद्र में कई युद्ध जीते थे. ऐसा कहा जाता है कि उनकी एक आंख, एक हाथ और एक पैर नहीं था. हालांकि, यह सही नहीं है. नेल्सन के दोनों पैर थे.
क्या है डबल और ट्रिपल नेल्सन
कहा जाता है कि दो अलग-अलग हादसों में नेल्सन ने अपनी एक आंख और एक हाथ गंवा दिया था. एक आंख, एक हाथ और एक पैर नहीं होने की धारणा के चलते 111 नंबर नेल्सन को समर्पित किया गया. क्रिकेट में इस अंक के गुणांक (मल्टिप्लाई) को डबल नेल्सन, ट्रिपल नेल्सन जैसे नाम से पुकारा जाता है.
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क्रिकेट में इस तरह हुई नेल्सन की एंट्री
नेल्सन नाम और नंबर की एंट्री कुछ इस तरह होना माना जाता है. पहला तो यह है कि 1874 और 1891 के बीच न्यूजीलैंड की एक घरेलू फर्स्ट क्लास टीम का नाम नेल्सन रखा गया था. उसने वेलिंगटन के खिलाफ 17 मैच खेले. इनमें से पहले ही मैच में नेल्सन टीम 111 रन पर सिमट गई थी. यह मैच टाई रहा था. इसके बाद 17वें मैच की आखिरी पारी में भी नेल्सन टीम ने 111 रन ही बनाए थे. इस तरह इसे नेल्सन नंबर कहा जाने लगा.
अंपायर एक पैर पर खड़े हो जाते थे
ICC के बेस्ट अंपायर में माने जाने वाले डेविड शेफर्ड भी नेल्सन नंबर को लेकर काफी फेमस हैं. दरअसल, जब भी कोई टीम 111 रन के स्कोर पर आती थी या कोई प्लेयर इस स्कोर पर आता था, तो यह फील्ड अंपायर डेविड शेफर्ड अपने एक पैर पर खड़े होकर जश्न मनाते थे. उनका यह अंदाज फैंस को भी काफी पसंद आता था.
एक यह भी मामला है कि 2011 में ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच एक टेस्ट खेला गया था. इस मैच में साउथ अफ्रीका टीम को 111 रन का टारगेट मिला था. संयोग की बात है कि यह टारगेट भी 11 बजकर 11 मिनट पर ही मिला था. तब फील्ड अंपायर इयान गोल्ड ने भी डेविड शेफर्ड की तरह ही एक पैर उठाकर जश्न मनाया था.