
Suryakumar Yadav: टीम इंडिया के मध्यक्रम के बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव इस समय काफी सुर्खियों में हैं. सूर्यकुमार ने हाल ही में मुंबई में आयोजित पुलिस शील्ड क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में 249 रन बना दिए थे. उन्होंने अपने क्लब पारसी जिमखाना की ओर से पायेड स्पोर्ट्स क्लब के खिलाफ यह पारी खेली थी.
इस शानदार प्रदर्शन के लिए सूर्यकुमार यादव को मैन ऑफ मैच का अवार्ड दिया गया था. लेकिन दिल को छू लेने वाले घटनाक्रम में भारतीय बल्लेबाज ने अपना मैन ऑफ द मैच की पुरस्कार राशि एक स्थानीय ग्राउंड्समैन को देने का फैसला किया. यादव ने मैच के बाद इस बारे में बात की कि कैसे ग्राउंड स्टाफ के योगदान को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है.
सूर्यकुमार यादव ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा, 'ग्राउंड्समैन की ओर से किए गए प्रयासों के बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती है. वे मैदान पर आने वाले पहले व्यक्ति होते हैं. वे सुबह साढ़े छह बजे यहां पहुंच जाते हैं. वे पिच तैयार करेंगे, ओस को क्लियर करेंगे. ये चीजें मेरे दिल के काफी करीब हैं क्योंकि जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो मुझे याद है कि जब भी मुझे नेट्स पर बल्लेबाजी करनी होती थी, मैं ग्राउंड्समैन और अपने कुछ दोस्तों के साथ पिच को रोल करता था.'
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यादव ने कहा, 'वे किसी के ध्यान में नहीं आते हैं. हम स्कोर करते हैं तो हर कोई हमारी प्रशंसा करता है. हम अपना नाम कागजों में देखते हैं लेकिन दुख की बात है कि कोई भी उनके (ग्राउंडमैन) प्रयासों के लिए धन्यवाद नहीं कहता है. मुझे लगता है कि प्रत्येक खिलाड़ी को खेल के प्रति ग्रांउड्समैन के योगदान को याद रखना चाहिए. वे हमारे लिए पिच बनाते हैं, वे सुनिश्चित करते हैं कि हमें अपने करियर को उंचाई देने के लिए एक अच्छा ट्रैक मिले. वे बहुत तारीफ योग्य पात्र हैं.'
अभी भी स्थानीय क्रिकेट खेलते हैं सूर्यकुमार
सूर्यकुमार यादव मुंबई क्रिकेट के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हैं, जो भारत के लिए खेलने के बावजूद मुंबई के मैदानों में स्थानीय क्रिकेट खेलने आते हैं. साउथ अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा की जानी बाकी है. ऐसे में सूर्यकुमार यादव ने अपने क्लब पारसी जिमखाना के लिए तीन-दिवसीय फाइनल मैच खेलने का फैसला किया.
31 वर्षीय सूर्यकुमार ने कहा कि जब भी वह खेलने के लिए उपलब्ध होते हैं, तो वह अपने स्थानीय क्लब के लिए खेलना पसंद करते हैं.
उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा अपने सहयोगियों से कहता हूं कि अपनी जड़ों को कभी न भूलें, जहां से यह यात्रा शुरू हुई है. स्थानीय क्रिकेट, क्लब क्रिकेट और फिर भारत. मैं हर किसी के योगदान का सम्मान करता हूं. जब भी मैं उपलब्ध होता हूं तो बस अपना बैग उठाता हूं और अपने क्लब के लिए खेलता हूं. मैं हमेशा क्लब-कल्चर को बनाए रखता हूं. दूसरे लोगों को भी आना चाहिए और अपने क्लब की सेवा करनी चाहिए. अगर आपके बगल में खड़े क्लब को अब आपकी सबसे ज्यादा जरूरत है, तो बस अपनी आंखें बंद कर लें और सामने आ जाएं.'
इतने वर्षों के बाद भी सूर्यकुमार अभी भी उस कल्चर को मिस करते है जो केवल एक स्थानीय क्लब में पाया जाता है. इसलिए सूर्यकुमार नेट्स सेशन के बजाय उन मैचों को खेलना पसंद करते हैं. मजाक, आलोचना, स्लेजिंग जैसी चीजों ने उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनने के लिए मानसिकता विकसित करने में मदद की है.
मुंबई इंडियंस के इस क्रिकेटर ने कहा, 'देखिए मुझे यहां खेलने के लिए कितनी तरह की पिचें मिलती हैं. मैं क्रॉस मैदान में खेलता हूं, वहां एक अलग तरह की पिच होती है. जब मैं आजाद मैदान में खेलता हूं तो यह अलग होता है. जब मैं मुंबई के लिए खेलने गया तो मैं किसी भी ट्रैक पर एडजस्ट कर सकता था. इसलिए मैच खेलना बहुत महत्वपूर्ण है.'