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OPINION, T20 World Cup| द्रविड़ सर का प्रयोग 'तमाशा' बन गया... फिर खाली हाथ रह गई टीम इंडिया

टीम इंडिया से बहुत सारी उम्मीदें थीं. रोहित ब्रिगेड टी20 वर्ल्ड कप की खिताबी रेस में कायम थी... सिर्फ दो जीत बाकी थी, लेकिन सेमीफाइनल में इंग्लैंड से मिली हार ने भारतीय टीम के सपने को तोड़ दिया. भारतीय टीम का मौजूदा टी20 वर्ल्ड कप का अभियान थमते ही कई सवाल उठने लगे हैं. मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा लगातार निशाने पर हैं...

Rahul Dravid and Rohit Sharma (Getty) Rahul Dravid and Rohit Sharma (Getty)
विश्व मोहन मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

T20 World Cup: India's debacle: आखिरकार... जिसका डर था वही हुआ. टीम इंडिया का किसी वैश्विक टूर्नामेंट के नॉकआउट स्टेज के दबाव में पिटने का सिलसिला जारी रहा. एडिलेड में 10 नवंबर को कुछ ऐसा हुआ जो असंख्य भारतीय प्रशंसकों को रुला गया. हद तो तब हो गई, जब भारतीय गेंदबाजों ने बिना कोई पराक्रम दिखाए इंग्लैंड की सलामी जोड़ी के आगे अपने हथियार डाल दिए और अंग्रेजों को टी20 विश्व कप-2022 के फाइनल का टिकट बिना लड़े ही तोहफे में दे दिया. वैश्विक टूर्नामेंट की बात करें तो पिछले 9 साल में यह छठी बार है, जब भारतीय टीम नॉकआउट चरण में हार कर टूर्नामेंट से बाहर हो गई. दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमी रविवार को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर भारत और पाकिस्तान का फाइनल देखना चाहते थे, पर ऐसा नहीं हुआ.

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IND vs ENG Semi-Final: टीम इंडिया तो 'पावरप्ले' में ही हार गई थी

इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल 10 विकेट से गंवाने के साथ ही वैश्विक खिताब की तलाश एक बार फिर अधूरी रह गई. मौजूदा टी20 वर्ल्ड कप में भारतीय अभियान का यह बेहद निराशाजनक अंत रहा, जिसकी शुरुआत पाकिस्तान पर नाटकीय जीत के साथ हुई थी. नॉकआउट मुकाबले में रोहित ब्रिगेड टिक न सकी और उसे बटलर एंड कंपनी ने आसानी से अपना शिकार बनाया. दरअसल, भारतीय टीम पावरप्ले में ही हार गई थी. भारतीय बल्लेबाज पहले 6 ओवरों में सिर्फ 38/1 बना सके, जबकि इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज बटलर और एलेक्स हेल्स ने 169 रनों का पीछा करते हुए 63/0 रन बना डाले थे.

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... 'नॉकआउट का भूत' और टीम इंडिया का इससे पार न पाना

भारतीय टीम एक बार फिर वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में हार गई. उसे चार अलग-अलग विरोधियों से मात खानी पड़ी है. जहां एक ओर 'मेन इन ब्लू' को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने क्रमश: 2015 और 2019 के वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने से रोका था, वहीं 2016 के टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में उसे वेस्टइंडीज ने मात दी थी. और अब इंग्लैंड ने उसे टी20 वर्ल्ड कप-2022 के सेमीफाइनल में करारी शिकस्त दी. भारतीय टीम पर 'नॉकआउट का भूत' इस कदर हावी है कि वह सेमीफाइनल का बाधा पार नहीं कर पाती है. टीम इंडिया ने आखिरी बार 2014 में टी20 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल जीता था, जब उसने मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में विराट कोहली की धमाकेदार नाबाद अर्धशतकीय पारी (72* रन, 44 गेंदों पर) की बदौलत दक्षिण अफ्रीका को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी. 

गुजरे जमाने का रवैया... खामियाजा भुगतना पड़ा

दरअसल, टी20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को गुजरे जमाने का रवैया अपनाने का खामियाजा भुगतना पड़ा. उसे टी20 क्रिकेट की आधुनिक शैली अपनाने की जरूरत है, जहां टीमें शुरू से ही गेंदबाजी में कड़ी मेहनत करती हैं. टी20 के लिए भारतीय टीम में कुछ बड़े बदलावों की जरूरत है. अगले हफ्ते शुरू हो रहे न्यूजीलैंड दौरे के लिए हार्दिक पंड्या टी20 में भारतीय टीम के कप्तान होंगे. ये पंड्या ही हैं, जिन्होंने टी20 वर्ल्ड कप के दौरान पूरे भारतीय अभियान के दौरान सराहनीय धैर्य दिखाया. अब समय आ गया है जब उन्हें टी20 प्रारूप में पूरी तरह टीम की बागडोर सौंप दी जाए. साथ ही घरेलू क्रिकेट में धूम मचा रहे खिलाड़ियों पर दांव खेलने होंगे जो 2024 के टी20 वर्ल्ड कप तक पूरी तरह तैयार हो जाएं. 

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निराश... हताश टीम इंडिया (Getty)

भुवनेश्वर का दौर खत्म... अब आगे देखने की जरूरत

शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, राहुल त्रिपाठी, रजत पाटीदार जैसे युवा बल्लेबाजों ने हाल के दिनों में अपने जोरदार प्रदर्शन से लगातार प्रभावित किया है. दो साल बाद होने वाले अगले टी20 वर्ल्ड कप के लिए उन्हें तैयार करने की जरूरत है. भुवनेश्वर कुमार, अर्शदीप सिंह और मोहम्मद शमी की भारतीय तेज तिकड़ी ने लीग चरण में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन हेल्स और बटलर के हमले के आगे उनकी पोल खुल गई. भुवनेश्वर और अर्शदीप दोनों के लिए कोई स्विंग नहीं थी और उनमें इंग्लिश जोड़ी को परेशान करने की रफ्तार नहीं दिखी. सच्चाई तो यह कि कि भुवनेश्वर का दौर अब खत्म हो चुका है. टीम इंडिया को उनसे आगे देखने की जरूरत है.

अश्विन और DK का पूरा हुआ 'व्हाइट बॉल' गेम

साफ संकेत हैं कि रविचंद्रन अश्विन और दिनेश कार्तिक दोनों ने भारत के लिए  सफेद गेंद वाला अपना अंतिम मैच खेल लिया है. अश्विन ने जो किया- ठीक किया, लेकिन आधुनिक व्हाइट बॉल के खेल में इस तरह के धीमे मूवर्स के लिए कोई जगह नहीं है. दूसरी तरफ 'फिनिशर डीके' के साथ प्रयोग किसी 'तमाशा' से कम नहीं था. यह प्रयोग डीके और ऋषभ पंत दोनों के लिए घातक साबित हुआ. दोनों ही प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह बनाने की चिंता में डूबे रहे और जिससे उनका आत्मविश्वास कम होता गया.

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तूफानी गेंदबाज उमरान को कब अपनाएंगे..?

आईपीएल में उमरान मलिक की तेजी ने हर तरफ धूम मचाई थी. 150 किलोमीटर से अधिक की रफ्तार से लगातार गेंदबाजी कर सुर्खियां बटोरने वाले इस गेंदबाज को टी20 वर्ल्ड कप में नहीं आजमाना हैरान करता है. आगामी न्यूजीलैंड दौरे के लिए इस तूफानी बॉलर को टी20 ओर वनडे दोनों स्क्वॉड में रखा गया है. देर से ही सही... अब उमरान को नियमित तौर पर मौके देने की जरूरत है, तभी इस गेंदबाज को निखारा जा सकता है. मोहसिन खान, मुकेश चौधरी, आवेश खान जैसे तेज गेंदबाज भी आने वाले दिनों में स्टार बन सकते हैं. 

बड़े क्रिकेटर्स.... बड़े रिकॉर्ड्स के पीछे भागे द्रविड़

कुल मिलाकर यह टी20 वर्ल्ड कप मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की आंखें खोलने वाला रहा. अब समय आ गया है कि वह पुराने मानकों को तोड़ कर कुछ नया करें. पूर्वाग्रह से निकलें, जिद छोड़ें और बड़े क्रिकेटर्स और उनके बड़े रिकॉर्ड्स के पीछे न भागें. नवोदित खिलाड़ियों को तराशें और 2024 के टी20 वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया की ऐसी फौज खड़ी करें, जो समय के अनुरूप हो, पुराने ढर्रे पर नहीं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे खिसकता जाएगा और इस खेल से प्रसंशकों का मोह भंग होता जाएगा.

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अब चुभते सवालों का सामना तो करना ही पड़ेगा 

राहुल द्रविड़ को चुभते सवालों का सामना तो करना ही पड़ेगा, एशिया कप के दौरान कुछ खराब ओवरों के लिए अवेश खान को बाहर का रास्ता दिखाया गया था. दूसरी तरफ, चोट से वापस लौटे केएल राहुल को लगातार खराब प्रदर्शन के बाद भी टीम में बनाए रखा गया. चोट से उबरने के बाद हर्षल पटेल में वो पैनापन नहीं दिखा, लेकिन दौरे पर गए स्क्वॉड में वह बने रहे. मोहम्मद शमी टी20 वर्ल्ड कप प्लान में नहीं थे, लेकिन उन्हें आखिर में बुलाया गया. युजवेंद्र चहल की लेगब्रेक गुगली को क्यों नहीं आजमाया गया..? जब भी इस वर्ल्ड कप में भारतीय अभियान के खत्म होने की कहानी दोहराई जाएगी, ऐसे कई सवाल भारतीय टीम प्रबंधन को झेलने ही होंगे. 

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