
टीम इंडिया के हेड कोच पद के लिए मुंबई स्थित बीसीसीआई हेडक्वार्टर में इंटरव्यू शुरू हो चुके हैं. इस मीटिंग में क्रिकेट एडवाइजरी काउंसिल (सीएसी) नए हेड कोच के लिए आवदेकों का इंटरव्यू ले रही है. इस इंटरव्यू के लिए 10 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. इन 10 उम्मीदवारों में रवि शास्त्री, वीरेंद्र सहवाग, क्रेग मैकडरमोट, लांस क्लूसनर, राकेश शर्मा, लालचंद राजपूत, फिल सिमंस, टॉम मूडी, डोडा गणेश और रिचर्ड पाइबस का नाम शामिल है.
इन सभी नामों में टीम इंडिया के डायरेक्टर के रूप में सफल रहे रवि शास्त्री टीम इंडिया के कोच की रचे में सबसे आगे चल रहे हैं.
भारतीय टीम के हेड कोच के लिए वर्ल्ड क्रिकेट के बड़े से बड़े नामों से आवेदन किया है. ऑस्ट्रेलिया,साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज के सभी पूर्व दिग्गज खिलाडियों ने टीम इंडिया का कोच बनने के लिए रुचि दिखाई है. लेकिन कुछ ऐसे भी नाम रहे हैं जो ज्यादा बड़े होने के बावजूद अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं.
यदि आप किसी काम में काफी दक्ष हैं, तो इसका बिलकुल ये मतलब नहीं है कि आप ऐसा किसी और को सिखाने में अच्छे साबित हो. वहीं दूसरी तरफ बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने काम औसत होने के बावजूद भी दूसरों को अच्छा सिखाते हैं. क्रिकेट में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें कई औसत खिलाडी बतौर कोच काफी सफल साबित हुए हैं. लेकिन दूसरी तरफ कई ऐसे दिग्गज क्रिकेटर रहे हैं, जो बतौर कोच काफी असफल रहे हैं.
एक नजर डालते हैं ऐसे ही 5 दिग्गज खिलाड़ियों के बारे में, जो बतौर कोच भारतीय टीम में असफल रहे हैं.
1. विवियन रिचर्ड्स
अपने दिनों में विवियन रिचर्ड्स एक महान खिलाड़ी हुआ करते थे. उस जमाने में वह विस्फोटक बल्लेबाज माने जाते थे. लेकिन बात जब आती है उनके कोचिंग करियर की तो वहां वह काफी असफल साबित हुए हैं. विश्वकप 1999 के दौरान वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच थे. लेकिन खराब स्वास्थ्य को देखते हुए वह प्रतियोगिता के दौरान हट गए थे. उनकी जगह पर टीम का कोच विवियन रिचर्ड्स को बनाया गया था. लेकिन वेस्टइंडीज की टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी.
उसके बाद टीम का सबसे खराब दौरा न्यूजीलैंड के लिए हुआ. जहां कैरेबियाई टीम कीवी टीम से 2-0 से टेस्ट में हार गई थी. उसके बाद रिचर्ड्स ने बड़ी टीमों के लिए कोचिंग के लिए नहीं जुड़ पाए. हालांकि घरेलू टी-20 टीमों के लिए वह बतौर मेंटर काम कर रहे हैं.
2. बिशन सिंह बेदी
पूर्व भारतीय बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी अपने जमाने के बेहतरीन स्पिन गेंदबाज माने जाते थे. बेदी बल्लेबाजों पर अपनी फ्लाइट और लाइन लेंथ से दबाव बनाते थे और भारतीय टीम की सफलता के अहम किरदार हुआ करते थे. वह विदेशों में भी सफल हुए .लेकिन कोचिंग के काम में वह भी उतना सफल नहीं हुए. 1990 में वह भारतीय टीम के मुख्य कोच बने थे.
भारत जब न्यूजीलैंड के दौरे पर गया तो टीम को 3 टेस्ट मैचों की सीरिज में 1-0 की हार का सामना करना पड़ा था. बिशन सिंह बेदी उस दौरान टीम के प्रदर्शन से बहुत ही नाराज हुए थे. सिंह बेदी भी अन्य महान खिलाड़ियों की तरह बतौर कोच असफल साबित हुए.
3. मार्टिन क्रो
न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज मार्टिन क्रो अपने देश के क्रिकेट की दुनिया के बड़े सितारे थे. क्रो न सिर्फ अच्छे बल्लेबाज थे बल्कि वह एक अच्छे कप्तान भी थे.लेकिन दिग्गज कीवी खिलाड़ी बतौर कोच बुरी तरह असफल रहे. आईपीएल के पहले सत्र में क्रो आरसीबी के मुख्य कोच थे. इस लीग की मजबूत मानी जाने वाली टीम आरसीबी पॉइंट्स टेबल में 7वें स्थान पर रही.
हालांकि टीम के मालिक विजय माल्या ने उन्हें छोड़कर बाकी सभी कोचिंग स्टाफ को हटा दिया था. बाद में अगले साल क्रो ने खुद आरसीबी के मुख्य कोच का पद छोड़ दिया और रे जेंनिंग्स को टीम का मुख्य कोच बनवाया.ये बहुत अनोखा अवसर था जब कीवी खिलाड़ी ने खुद लक्ष्य न पूरा कर पाने के बाद किसी और को अपनी जगह सौंप दी थी.
4. कपिल देव
भारत के अबतक के सबसे सफल आलराउंडर कपिल देव अपने खेलने के दिनों में देश को सेलिब्रेशन करने का कई मौका दे चुके हैं. एक समय वह टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भी थे. वह भारत के पहले वर्ल्ड चैंपियन टीम के कप्तान थे.साल 1999 में इस दिग्गज को अनुशुमन गायकवाड़ की जगह टीम का मुख्य कोच बनाया गया था. भारत ने उनकी कोचिंग में टेस्ट और वनडे में न्यूजीलैंड से सीरीज जीती. लेकिन उसके बाद टीम को काफी संघर्ष करना पड़ा.
ऑस्ट्रेलिया में टीम को 3-0 से टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद वनडे ट्राई सीरीज में पाकिस्तान टीम के साथ बुरी हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद टीम दक्षिण अफ्रीका से ट्राई सीरीज भी हार गई थी. इसी बीच सचिन तेंदुलकर से उनके संबंध खराब हो चुके थे. जिसके बाद कपिल ने भारतीय टीम की कोचिंग पद से दे दिया.
5. ग्रेग चैपल
ऑस्ट्रेलिया का ये पूर्व दिग्गज खिलाड़ी अच्छा बल्लेबाज होने के साथ बेहतरीन कप्तान भी था. अपनी कप्तानी में उन्होंने 3 एशेज सीरीज के साथ 21 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी.साल 2005 में चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाया गया था. वह टीम के साथ 2007 के वर्ल्डकप तक जुड़े थे. जहां टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी. चैपल के उस दौर में भारत के कई खिलाड़ियों से रिश्ते खराब रहे खासकर तब के कप्तान गांगुली से उनका विवाद गहरा रहा.
उन्हें गांगुली को टीम से बाहर करने का जिम्मेदार भी माना जाता था. इस दौरान भारत का प्रदर्शन काफी मिला जुला रहा था. जहां टीम का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा वह था वर्ल्ड कप से टीम की जल्द विदाई.ये भारतीय टीम के टूटने का समय था, इस वजह से टीम ने प्रबंधन ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. उसके बाद ग्रेग चैपल किसी भी टीम के कोच नहीं बने हैं.