
टीम इंडिया अभी न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में व्यस्त है, जहां उसने शुरुआती मुकाबले में कीवी टीम को 12 रनों से शिकस्त दी. इससे पहले टीम इंडिया ने श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में 3-0 से धमाकेदार जीत हासिल की थी. देखा जाए तो मेन इन ब्लू ने अबतक लगातार पांच वनडे मुकाबलों में जीत दर्ज कर ली है. भारतीय टीम की हालिया कामयाबी के पीछे प्लेयर्स की मेहनत और लगन को कतई खारिज नहीं किया जा सकता है.
लेकिन इस सफलता के पीछे टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ का भी अहम रोल होता है. टीम में सपोर्ट स्टाफ की भी भूमिका खिलाड़ियों जितनी ही महत्वपूर्ण होती है. इनका लक्ष्य प्लेयर्स को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से लगातार फिट रखना होता है. विराट कोहली ने भी श्रीलंका सीरीज के बाद तीन सपोर्ट स्टाफ के तीन लोगों का खासतौर पर जिक्र किया था.
आइए आपको भारतीय टीम के सपोर्ट स्टाफ से अवगत कराते हैं ...
1. हेड कोच: राहुल द्रविड़
रवि शास्त्री के कार्यकाल की समाप्ति के बाद राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का हेड कोच बनाया गया था. द्रविड़ की कोचिंग में भारतीय टीम पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंची थी, जहां उसे इंग्लैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. द्रविड़ के पास युवाओं के साथ घुलने-मिलने और उन्हें टीम के माहौल से सहज महसूस कराने की आदत है. द्रविड़ के मार्गदर्शन में भारत की अंडर-19 टीम साल 2018 में विश्व कप जीतने में कामयाब रही थी.
2. बल्लेबाजी कोच: विक्रम राठौड़
विक्रम सिंह राठौड़ ने 2019 एकदिवसीय विश्व कप के बाद बल्लेबाजी कोच के रूप में संजय बांगड़ की जगह ली थी. उनका कार्यकाल 2021 में फिर से बढ़ाया गया था. विक्रम इससे पहले संदीप पाटिल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य भी रह चुके थे. राठौड़ युवा खिलाड़ियों की बैटिंग में तकनीकी समस्याओं को दूर करने की महारत हासिल है.
3. पारस म्हाम्ब्रे: गेंदबाजी कोच
पारस म्हाम्ब्रे लंबे समय तक अंडर-19 और भारत-ए टीम के साथ जुड़े हुए थे. म्हाम्ब्रे ने युवा भारतीय तेज गेंदबाजों का एक पूल विकसित किया है. मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, आवेश खान और प्रसिद्ध कृष्णा को उनके करियर के शुरुआती वर्षों में म्हाम्ब्रे ने मदद की थी. पारस म्हाम्ब्रे को नवंबर 2021 में भरत अरुण की जगह गेंदबाजी कोच के रूप में नियुक्त किया गया था.
4. टी. दिलीप: फील्डिंग कोच
टी. दिलीप अपने खेल के दिनों में एक ऑलराउंडर हुआ करते थे. टी. दिलीप ने लेवल-3 का कोचिंग कोर्स पूरा किया है और इससे पहले हैदराबाद टीम और इंडिया-ए साइड के लिए बतौर कोच काम कर चुके हैं. दिलीप ने 2021 में आर श्रीधर की जगह ली थी. दिलीप को द्रविड़ का पसंदीदा माना जाता है. ईशान किशन, ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग स्किल्स को बेहतर बनाने में दिलीप की अहम भूमिका रही है.
5. फिजियो: कमलेश जैन और योगेश परमार
पिछले साल जून में कमलेश जैन को फीजियो नियुक्त किया गया था. कमलेश जैन ने नितिन पटेल की जगह ली थी, जो काफी लंबे वक्त तक बतौर फिजियो टीम इंडिया से जुड़े रहे थे. भारतीय टीम से जुड़ने से पहले कमलेश जैन ने आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ लगभग 10 सालों तक काम किया था. कमलेश जैन के अलावा असिस्टेंट फिजियो योगेश परमार भी टीम के साथ जुड़े हुए हैं.
6. वीडियो एनालिस्ट: हरि प्रसाद मोहन
पिछले एक दशक में वीडियो एनालिस्ट का महत्व काफी बढ़ गया है. वर्तमान में टीम इंडिया के लिए यह रोल हरि प्रसाद मोहन निभा रहे हैं, जो भारतीय खिलाड़ियों के साथ ही विरोधियों का वीडियो फुटेज रखने में व्यस्त रहते हैं. इससे उन्हें गेंदबाजों और बल्लेबाजों की कमियों का पता चल जाता है जो भारतीय टीम के काम आती है.
7. मसाज थेरेपिस्ट: अरुण कनाडे
रमेश माने के स्थान पर अरुण कनाडे को टीम का मसाज थेरेपिस्ट नियुक्त किया गया था. रमेश माने ने लगभग एक दशक तक भारतीय टीम के साथ काम किया था और खिलाड़ी उन्हें प्यार से 'माने काका' कहकर बुलाते थे. अरुण कनाडे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ काम कर चुके हैं और वह लगभग पांच सालों से भारतीय दल का हिस्सा हैं.
8. स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच: सोहम देसाई
भारत के अनुकूलन विशेषज्ञ सोहम देसाई मैदान पर उतरने से पहले खिलाड़ियों के फिटनेस लेवल को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं. वह खिलाड़ियों के लिए डाइट प्लान बनाने के साथ ही फिटनेस एक्सरसाइज के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करते हैं. सोहम देसाई गुजरात रणजी टीम की फिटनेस पर भी काम कर चुके हैं. सोहम की फिटनेस गजब की है. वो जिम में खिलाड़ियों के साथ ही खुद पर भी काफी मेहनत करते हैं.
9. थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट: रघुवेंद्र, नुवान और दयानंद
विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज की समाप्ति के बाद रघुवेंद्र, नुवान सेनेविरत्ने और दयानंद गरानी की तारीफ की थी. रघुवेंद्र को भारतीय खिलाड़ी 'रघु' कहकर पुकारते हैं. रघु लगभग 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद थ्रो डाउन करते हैं. श्रीलंका के नुवान सेनेविरत्ने की बात करें तो वह बाएं हाथ से बॉलिंग कर बल्लेबाजों को बेहतर अभ्यास करने में मदद करते हैं. वहीं दयानंद गरानी में दोनों हाथों से बॉलिंग करने की काबिलियत है.