
कहते हैं ना कि यदि कोई व्यक्ति किसी एक काम में महारत हासिल कर लेता है, तो वह दूर तलक जाता है. मगर जो व्यक्ति एक साथ दो काम पकड़ ले, या फिर एक साथ दो काम करने की कोशिश करता है, तो उसमें सफल होने की बहुत कम उम्मीद होती है.
कई बार तो वह व्यक्ति अधर में ही लटक जाता है. ना तो इधर का होता है और ना ही उधर का. यहां बात एक भारतीय टेस्ट स्पेशलिस्ट प्लेयर की हो रही है. इनका नाम मयंक अग्रवाल है, जो कर्नाटक के बेंगलुरु शहर के रहने वाले हैं.
इंटरनेशनल क्रिकेट में तीन फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी20) होते हैं. बहुत कम प्लेयर होते हैं, तो तीनों फॉर्मेट में साथ खेल पाते हैं. खासकर उसी फॉर्मेट के हिसाब से तो बहुत ही कम. इनमें मौजूदा वक्त में विराट कोहली, स्टीव स्मिथ, केन विलियमसन, बाबर आजम, रोहित शर्मा जैसे प्लेयर शामिल हैं. जो तीनों फॉर्मेट में खेलने में सक्षम होता है, उसके कप्तान बनने के ज्यादा चांस होते हैं. जो नाम गिनाए गए हैं, वे सभी अपनी टीम के कप्तान हैं या रह चुके हैं.
मगर कुछ ऐसे भी प्लेयर होते हैं, जो अपनी शैली के विपरीत खेलने की कोशिश में अपना स्पेशल खेल भी बिगाड़ लेते हैं. इनमें मयंक अग्रवाल का नाम गिना जा सकता है. मयंक ने इंटरनेशनल क्रिकेट में टेस्ट स्पेशलिस्ट ओपनर के तौर पर डेब्यू किया था. उन्होंने पहला टेस्ट 26 दिसंबर 2018 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेला था.
मयंक की टेस्ट विशेषज्ञता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में 161 गेंदों का सामना करते हुए 76 रन बनाए थे. उनका स्ट्राइक रेट 47.20 का रहा था. इसी टेस्ट की दूसरी पारी में मयंक ने 41.17 के स्ट्राइक रेट से 102 गेंदों पर 42 रन बनाए थे. तब से अब तक मयंक ने टीम इंडिया के लिए 21 टेस्ट खेले, जिसमें 1488 रन बनाए. इस दौरान 4 शतक लगाए हैं.
मयंक अब तक सीमित ओवरों के फॉर्मेट (वनडे, टी20) में वह तेजतर्रार खेल नहीं दिखा पाए, जैसा कि केएल राहुल, ईशान किशन या रोहित शर्मा दिखाते आ रहे हैं. यही वजह है कि उन्हें अब तक सिर्फ 5 ही वनडे खेलने का मौका मिल सका है. टी20 इंटरनेशनल में तो मयंक का डेब्यू भी नहीं हो सका.
मगर अब ऐसी स्थिति बन रही है कि मयंक टेस्ट टीम में भी अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं. आखिरकार इसकी वजह क्या है? इसकी बड़ी वजह है कि वह टेस्ट में अपने पहले जैसे शानदार खेल में निरंतरता नहीं दिखा पा रहे हैं. मयंक को टेस्ट में केएल राहुल, शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ जैसे प्लेयर्स से कड़ी टक्कर मिल रही है.
मयंक की टेस्ट में भी यह लय बिगड़ने का बड़ा कारण इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) को माना जा सकता है. दरअसल, IPL में मयंक ने 2011 में RCB की ओर से खेलते हुए डेब्यू किया था. तब से 2018 तक मयंक के लिए कोई भी आईपीएल सीजन ऐसा नहीं रहा, जिसने उन्हें काफी नाम दिया हो. यहां तक वह सिर्फ दो सीजन में ही 200 से ज्यादा रन बना सके थे. मगर 2019 से मयंक ने अपने टी20 गेम पर ध्यान दिया और थोड़ा आक्रामक खेलना शुरू किया, जो उनकी टेस्ट स्पेशलिस्ट वाली छवि से बिल्कुल उलट था.
मयंक उसमें सफल भी हुए. उन्होंने 2020 सीजन में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ एक शतक भी जमाया था. मगर यहां भी एक कमी रही कि मयंक टी20 में भी वो ताबड़तोड़ या आक्रामक खेल नहीं दिखा सके, जिससे उन्हें टीम इंडिया में डेब्यू के लिए चांस मिल सके. हां, मगर मयंक ने इस होड़ में अपना टेस्ट वाला गेम भी बिगाड़ लिया. अब वह टेस्ट में ओपनिंग करते हुए ज्यादा बड़ा स्कोर नहीं बना पा रहे हैं.
मयंक ने अपने पिछले 10 टेस्ट में सिर्फ एक बार 212 रनों की पारी खेली. इसके अलावा कोई शतक भी नहीं लगा सके हैं. यह वही मयंक अग्रवाल हैं, जिन्होंने एक महीने में (नवंबर, 2017) ही एक हजार फर्स्ट क्लास रन ठोक दिए थे. ऐसा करने वाले वह भारत के एकमात्र बल्लेबाज हैं. उन्होंने यह उपलब्धि 2017 में हासिल की थी. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली जैसे दिग्गज भी यह रिकॉर्ड नहीं बना पाए हैं.
अब मयंक के सामने टीम इंडिया में वापसी की एक मुश्किल चुनौती है. इसके लिए उन्हें अपने खेल पर ध्यान देना होगा और हर फॉर्मेट में उसी लिहाज से खेलना होगा, जैसा की उस फॉर्मेट और मौजूदा स्थिति की डिमांड होती है. बता दें कि मयंक को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए भी टीम में जगह नहीं मिली है.